बढ़ती उम्र
बढ़ती उम्र
'एक दर्जन अंडा दे दो', सौ रुपये का नोट दुकान की काउंटर पर रखते हुए। 'और क्या दूं।'
'उम्र बढ़ाने वाली कोई चीज़ दे दो।'
'किस की उम्र बढ़ाना चाहते हो?'
'चलते-चलते जूते का सोल परेशान कर रहा था, मैंने इसे पूरा निकाल ही दिया है, अब इसे चिपकाना है।' हाथ में रखे रबर के सोल को दिखाते हुए मैंने कहा।
…. वह मुस्कुराने लगा।
'ऐसी तो कोई वस्तु मेरे पास नहीं है।'
'हाँ, मेरे पास 'xyz क्विक' है लेकिन उससे यह चिपकेगा नहीं।' थोड़ा रुककर, सोचते हुए दुकानदार ने कहा।
'रबर चिपकाने वाली भी ट्यूब मिलती है, शायद 'xyz बॉण्ड' ऐसा ही कुछ नाम है, ज़्यादा महंगी भी नहीं, बस दस पन्द्रह रुपयों में ही तो आती है!'
'आज तक किसी ने डिमांड नहीं की।'
'यही तो मैं तुम्हें हमेशा कहता हूं .. जब लोगों को पता चलता है कि इस दुकान में छोटी-छोटी काम की चीजें मिलती है... नाम दूर तक पहुँचता है।'
'अगली बार ले आऊंगा।'
घर पर लौटकर बेटे से सोलुशन ढूंढने के लिए कहा… लेकिन उसकी कोशिश सफ़ल नहीं हुई।
'वेंटीलेटर लगाकर और कितनी उम्र बढ़ाओगे' पत्नी का इशारा मैं समझ गया।
नहाने से पहले मैं शेविंग क्रीम की ट्यूब अपने गालों पर लगा रहा था।
'गालों ही गालों में मुस्कुराते हो, मन ही मन क्या सोचते रहते हो, हमें क्या पता!'
'अरे, मैं वो पप्पू की दुकान में गया था, उसे उम्र बढ़ाने वाली ट्यूब मांग रहा था।'
…. वह भी मुस्कुराने लगी।
'तुम भी तो अपने गालों पर ट्यूब ही लगाती हो, उम्र तो इससे भी बढ़ती ही है!'
'मेरी वाली ट्यूब तो आप भी लगाते हो!'
मैं तो चल पड़ा नहाने, संवाद में विराम ज़रूर लगा है…मुझे उम्मीद है कि आप इस संवाद को अवश्य जारी रख सकते है। मौसम अच्छा है और इस मौसम में आप अभी भी शांत है… तो यह आप के महान होने का परिचय हो सकता है।