Prakash Chinchole

Inspirational

4.2  

Prakash Chinchole

Inspirational

हलचल

हलचल

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'सर, मुझे थोड़ा काम है, मुझे थोड़ी देर के लिए जाना है।'

'क्यों क्या बात है।' 

'कल थोड़ी परेशानी हुई थी, डॉ ने एंडोस्कोपी की सलाह दी है।'

'ठीक है।'

'साथ मे कोई हैं?'

'सर, कोई नही।'

'तो फ़िर किसी को अपने साथ ले जाइए।'

'ठीक है सर, मैं नीता को पूछती हूँ।'

'ओके।'

थोड़ी देर बाद आकर उन्होंने कहा, 'सर, मैं मीना को साथ ले जा रही हूँ।'

'ओके।'

*****

हकीकत का पहला दृश्य तो समाप्त हो गया लेकिन ऐसा लगा जैसे भीतर हलचल की एक लहर दौड़ रही हो। ऐसी हलचल को व्यक्त किया जाए या नियंत्रित किया जाना योग्य हैं, आपसे बेहतर कौन बता सकता है? 

हलचल बढ़ी इसलिए है क्योंकि पिछले हफ़्ते ही तो हमने उन्हें पूछा था कि अपनी सबसे अच्छी फ्रेंड का नाम बताओं तो उन्होंने नीता का ही नाम लिया था। अक्सर अनुमान तो यही होता है कि बेस्ट फ्रेंड ऐसे अवसर पर हमेशा साथ देने में आगे ही रहते हैं।


हलचल की तीव्रता को कम करने का एक उपाय यह भी है कि क्यों न हलचल के मूल तत्व को ही समाप्त कर दिया जाए! यहाँ हक़ीक़त का सिर्फ़ एक पहलू हमें नज़र आता है लेकिन दूसरे पहलू को हम जानते ही नहीं है। दूसरे पहलू को जानने में कही हम हमारा अमूल्य समय बर्बाद तो नहीं कर रहें है?


लघुकथा छोटी होती है कम समय में पढ़ी जा सकती है लेकिन हलचल पैदा करने में सक्षम होती हैं।  

यह लघुकथा की श्रेणी में यह फ़िट नही है क्योंकि हलचल के रूप में उभरते विचारों का यहाँ रास्ता बंद करने का प्रयास किया जा रहा है। आपकी प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है, वास्तविकता आप भी साझा कर सकते है!


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