Alok Singh

Drama

5.0  

Alok Singh

Drama

चाय संग रिश्ते-भाग १

चाय संग रिश्ते-भाग १

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ध्रुव अपने काम से निजात पाकर दोपहर की थकान को मिटाने आज अपने ऑफिस के सामने ही खुले नए चाय रेस्टोरेंट "अमृता द चाय रेस्टोरेंट" में जाता है और एक कुर्सी जो की रेस्टोरेंट में सड़क की तरफ का मुँह किये हुए पड़ी होती है , पर बैठते हुए एक चाय का आर्डर करता है।

साहब कौन सी चाय पिएंगे ?

मतलब ? अब क्या चाय के भी कई रूप हो गए हैं इंसानो की तरह ? ध्रुव ने वेटर की बात पर चुटकी लेते हुए जवाब में कहा। 

वेटर जवाब में सिर्फ अपने कुछ दांतों को दिखाते हुए, सिर्फ मुस्कुराकर मेनू कार्ड ध्रुव की तरफ बढ़ा देता है।

ओह माय गॉड। इतनी तरह की चाय ? मेनू देखते हुए ध्रुव के मुँह से अनायास ही ये शब्द अपनी आँखों को बड़ी बड़ी करते हुए निकल गए।

फिर अपने चश्मे को सही करते हुए उसने आज लेमन जिंजर वाली चाय के लिए आर्डर कर दिया।

ध्रुव एक गांव का रहने वाला लड़का है जो कि टेलीकम्यूनिकेशन यानी दूरसंचार विभाग में काम करता है। उसका काम टॉवर को इनस्टॉल करवाने से है। वैसे उसको कभी भी चाय पसंद नहीं है लेकिन जब भी वह खुद को कुछ ज़्यदा ही थका हुआ पाता है,जब सिर्फ शरीर की थकावट ही नहीं बल्कि मानसिक थकावट भी उसपर अपने पैर पसार देती है तो ही उसको चाय की तलब लगती है।

वैसे भी गांव में चाय का चलन बहुत ही नया है क्योंकि चाय इंसान की भूख को मार देती है और गांव के लोगों का काम मेहनत से भरा रहता है मानसिक भले ही न हो मगर शारीरिक मेहनत कुछ ज़्यदा ही होती है और उसके लिए भोजन सही समय पर सही मात्रा में करना अति आवश्यक है। चाय में कैफीन की मात्रा इंसान के दिमाग पर भी धीरे धीरे अपना दुष्परिणाम भी छोड़ती रहती है।

ध्रुव चाय आर्डर करने के बाद अपने घर वालों से बात करने के लिए फ़ोन मिलाता हैट्रिंग ट्रिंग की घंटी उसकी माँ के मोबाइल पर बजना शुरू होती हैमाँ अपनी बेटी से कहती है देख जरा बेटा ध्रुव का फ़ोन होगा।ध्रुव की एक छोटी बहन है अमिताघर में उसको सब बेटा ही पुकारते हैं शायद इसलिए क्योंकि वह जताना चाहते हैं कि उनके लिए बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं है। उनकी बेटी भी बेटे से कमतर नहीं हैअमिता चार्ज हो रहे मोबाइल की तरफ बढ़ती है और कहती है माँ आपको कैसे पता चल जाता ही कि भईया का ही फ़ोन होगा ?

चल फ़ोन दे तू और अपना होमवर्क कम्पलीट करज़्यदा न समझ। कुछ रिश्तों के तार ऐसे होते ही हैं कि वो प्रकाश के वेग से भी तेज चलकर अपना एहसास दिला जाते हैं।

हाँ बेटा कैसा है तू ? मैं बढ़िया हूँ माँ। आप सब लोग कैसे हैं ? एक सवाल का जवाब एक नए सवाल का सहारा लेकर ही शायद आगे बढ़ता है तभी ध्रुव ने जवाब और सवाल को एक धागे में ही बुन दिया

हम लोग भी बढ़िया हैं। जैसे की सभी के माँ बाप जवाब देते हैं ध्रुव की माँ का भी वैसा ही जवाब था।

चाय नास्ता हुआ बेटा ?

हाँ माँ।वही करने एक रेस्टोरेंट में आया हूँ। ओके।

रेस्टोरेंट से याद आया कि वो जो रमेश अंकल है न उनकी बेटी ने भी एक रेस्टोरेंट खोला है कहींबता रहे थे लड़की कि जिद थी रेस्टोरेंट खोलने किहोटल मैनेजमेंट किया था उसनेअब चाय का रेस्टोरेंट खोला हैअच्छा माँ !। ये तो बढ़िया हैध्रुव ने बातों के सिलसले में एक प्रवाह को बनाये रखने के लिए अपने कुछ शब्दों को प्रवाहित कर दिया।

माँ वो चाय बहुत अच्छी बनाती थी उसके हाथों की चाय का स्वाद जिसने चख लिया शायद वह कभी भूल पाए।

हाँ बेटा तू सही कह रहा है।

अच्छा बेटा तू घर कब आरहा है ? आजा बहुत दिन हो गए हैं तुझे देखे।

माँ काम ज़्यदा है छुट्टी अभी नहीं मिल पाएगी सोच रहा हूँ होली पर ही आऊं सीधा १०-१५ दिन की छुट्टी लेकर। ठीक है बेटा अपना ध्यान रखनाले अपने पापा से बात कर ले।

पापा जी नमस्तेखुश रहो बेटाध्रुव के पापा ने फ़ोन को कान के और करीब लाते हुए बोले। और बेटा क्या हो रहा है आज कल ? वही पापा कामओकेमन लगाकर काम करना बेटा।जी पापा। जी

अपना ध्यान रखनाले माँ से बात करमुझे बाजार जाना है फिर बाद में बात करते हैं। ओके पापा

हाँ बेटा।समय पर खाना खाते रहना। काम के चककर में अपनी सेहत न ख़राब कर लेनाजी माँ। चलो अच्छा फिर बाद में फ़ोन करता हूँ माँहाँ बेटा ठीक है।और हाँ माँ। अमिता कैसी है ? पढाई करती है या नहीं ? ले बात कर ले। यहीं बैठी है तब तक मैं तेरे पापा को लिस्ट बना कर दे दूँ क्या क्या लाना है बाजार से। ओके माँ

हेलो भईया। हेलो कैसी हो ? बढ़िया भईयाआज कल स्कूल में न। खूब काम दे रहेप्रोजेक्ट पर प्रोजेक्टपता नहीं क्या मिलता है इन लोगो को बच्चों का बचपन ख़राब करने में। ऐसे प्रोजेक्ट क्या कोई देता है।अब एक प्रोजेक्ट के चककर में सारा घर लगता हैफिर भी बच्चे को उस प्रोजेक्ट के बारे में कुछ ज़्यदा नहीं पता रहता है। उसकी बातों में जैसा इस व्यवस्था को लेकर बहुत सारी शिकायतें हो।

हाँ। ऐसा करना न। तू आगे चलकर एक खुद अपना स्कूल खोलना।एक नए सिस्टम की शुरुआत करना।

हाँ भईया देखना एक दिन मैं ऐसा ही करूंगी।

चल अभी दिन में सपने न देख। पहले उस काबिल बन जा, फिर देखना क्या करना है।

अमिता का मुँह थोड़ा बन गया।

भाई बहन की नोक झोंक भी बहुत अजीब रहती हैजो एक दूसरे से कई शिकायतें भी रखते हैं प्रेम भी रहता है और लड़ाई भी 

अच्छा चल मैं फ़ोन रखता हों तू अपना प्रोजेक्ट कम्पलीट करऔर होली पर जो चाहिए रहेगा व्हाट्सप्प कर देनाठीक है भईया। लव यू..लव यू... टू।

सर आपकी चाय, शुक्रिया।


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