Alok Singh

Drama

5.0  

Alok Singh

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चाय संग रिश्ते भाग ३

चाय संग रिश्ते भाग ३

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"अमृता द चाय रेस्टोरेंट" शायद हर प्रान्त की चाय पीने का मौका देने वाला एक मात्र रेस्टोरेंट था।देश की ही नहीं अपितु कुछ बिदेशी चाय के स्वाद का तड़का उस रेस्टोरेंट में उपलब्ध था।

ध्रुव के पैर हर रोज अनायास ही उस रेस्टोरेंट की तरफ उसको लेकर जाने लगे।वह जो कभी कभार चाय पीने वाला था वो अब लगभग हर रोज , कभी कभी तो दिन में दो तीन बार इस रेटोरेन्ट में आकर अलग अलग तरह की चाय पीने लगा था।जैसे जैसे दिन बीतते गए वैसे वैसे उसको वहां की चाय के संग मोहब्बत होने लगी।एक रिस्ता बनने लगा उसका वहां की हर एक चाय से।

१५ दिन हो चुके हैं।और ध्रुव लगभग ३०-३५ तरह की चाय पी चुका था।हर चाय में एक अलग सा लगाव था।जो उसको अपने प्यार में बांध रही थी। जैसे चाय का चस्का न होकर।उसको अब एक लत से लग गयी हो।वह चाय की महक जो थोड़ी अनजानी कुछ पहचानी थी अब पूरी तरह से जानी पहचानी हो चुकी थी।अब तो चाय का आर्डर देने समय से चाय खत्म होने तक उसको अमृता की यादें ही अपने आगोश में रखती थी।

उसने जो अभी तक गौर न किया था।वह था उस रेस्टोरेंट का नाम और वह यादें जिसकी आगोश में रहना उसको अब अच्छा लगने लगा था।

आज इक्कीसवाँ दिन है लगातार।।उसके कदम किसी शराबी की तरह किसी मधुशाला में अपनी मोहब्बत को पाने या तलाश करने के लिए बढ़ते जा रहे हैं।

कहते भी है न।कि कोई काम अगर लगातार २१ दिन तक कर लिया जाए तो वह आदत बन जाती है।और यहाँ तो वह मोहब्बत के काल्पनिक बादलों की बरसात में लगातार २१ दिन से भीग रहा था।

आज उसने मेनू में सबसे आखिरी में लिखी चाय का आर्डर किया है।अमृता द स्पेशल चाय।उसकी कीमत भी और चाय के मुकाबले सबसे ज़्यदा थी।

वेटर ने बताया ये चाय सिर्फ सफ्ताह में एक दिन ही बनाई जाती है।और आज क्योंकि शुक्रवार है इसलिए वह किस्मत वालों में से एक है कि उसको चाय पीने को मिल जायेगी।और हाँ वेटर ने बताया की इस चाय का आर्डर लेने और सर्व करने में लगभग ३० मिनट लगेगा।

ध्रुव की बेचैनिया बढ़ने लगी।ऐसा क्या है इस चाय में ? 

उसने आर्डर कन्फर्म कर दिया और एक बेंच पर खुद को बिराजमान करके फेसबुक पर यूँ ही कुछ पोस्ट देखने लगा।

अचानक पता नहीं ऐसा क्या उसके दिमाग में आया। कि उसने फेसबुक में अमृता को ढूनने की कोशिश शुरू की।

मुश्किल तो होता ही है।एक नाम से कई कई फेसबुक प्रोफाइल होती हैं।पर कुछ कॉमन फ्रेंड और उसकी बहन के प्रोफाइल में अमृता का जुड़ा होना उसको उसकी प्रोफाइल तक पहुंचाने में मदद कर गया।

वह उसकी प्रोफाइल देखने लगा।

उसकी प्रोफाइल में एक चीज कॉमन मिल रही थी उसकी लोकेशन वही थी जो ध्रुव की थी।उसके दिल में थोड़ी से बचैनी और बढ़ी।थोड़ा उम्र और थोड़ा अमृता की चाय की खुशबू का नशा जो उसको पिछले २१ दिन से उसको अपनी आगोश में जकड़े हुए है।उसकी प्रोफाइल में तांक झांक करने के लिए उकसाने के लिए बहुत थी।

उसकी नज़र एक पोस्ट पर पड़ती है।जिसमे इसी रेस्टोरेंट के फ्रंट की फोटो होती है।वही स्टाइल में तो लिखा है इस फोटो में "अमृता द चाय रेस्टोरेंट"।और अमृता भी उसमे एक प्रोफेशनल ड्रेस में बहुत खूबसूरत लग रही है।

ध्रुव का दिमाग बहुत तेजी से दौड़ रहा है और सांसे भी थोड़ा अपनी रफ़्तार बढ़ा चुकी हैं।

अपने भविष्य की खातिर दोनों पढाई और नौकरी के चककर में पिछले ३ साल से किसी भी तरह के कम्युनिकेशन में नहीं थे।। और अमृता ने भी फेसबुक प्रोफाइल अभी जल्द ही बनाई थी।

कुछ प्रोफाइल में फोटोज को वह लिखे करता गया।

और फिर अचानक उसके घर से फ़ोन आने पर जैसे वह किसी मोहपास से बाहर आता है 

नमस्ते माँ।

खुश रहो बेटा।कैसे हो ? ध्रुव की माँ ने सवाल किया।

मैं बढ़िया हूँ।आप सब कैसे हैं ?

ऐसी ही कुछ फॉर्मल बात होने के बाद।माँ कहती है कि होली पर घर आरहा है न।तो टिकट करवा ले अभी से वरना कन्फर्म टिकट नहीं मिलेगी।फिर आने में दिक्कत होगी।

जी माँ करवा लूंगा आज ही।छुट्टी के बारे में अपने सर से बात कर लेता हूँ

हाँ बेटा कर ले।आओ इस बार।कुछ शादी के लिए फोटो आयी हैं देख ले।फिर कुछ बात और आगे बधाई जाए

उसको क्या पता था कि उसने अभी अभी एक किसी शख्श की कई फोटो को पसंद कर चुका है।वही आने वाले समय में उसकी फाइनल पसंद हो जाएगी 

ठीक है माँ।।मैं जैसा होगा कल आपको बताऊंगा।

ठीक है बेटा।अपना ध्यान रखना और समय पर खाना भी खा लिया करना।जैसे हर माँ का सवाल होता है या यूँ कहें की हिदायत होती है अपने बच्चों के लिए वही ध्रुव की माँ ने ध्रुव को दी

सर।आपकी चाय हाज़िर है।

पिछले ३० सेकंड से ध्रुव को एक बहुत ही पहचानी सी खुशबू उसको अपनी तरफ खींच रही है।अरे ये तो अमृता वाली चाय है? 

हाँ सर ये हमारे रेस्टोरेंट की स्पेशल चाय है।जिसको मैडम खुद अपने हाथो से बनाती है।और क्योंकि वो आज के दिन इस रेस्टोरेंट में आती है इसलिए ये सिर्फ शाम के समय आज के दिन ही चाय मिलती है।

आपकी मैडम का क्या नाम है ? जी अमृता।उन्ही के नाम पर ही ये रेस्टोरेंट का नाम पड़ा है।

ध्रुव का दिमाग जैसे सुडोकू की सबसे कठिन पजल को सॉल्व कर चुका था।अच्छा।क्या मैं उनसे मिल सकता हूँ ? 

मैं एक बार बात करके देखता हूँ सर।ऐसे मैं अपनी तरफ से पहले से कुछ नहीं कह सकता हूँ। वैसे अब उनके जाने का समय हो गया है।तो शायद मुश्किल हो।

ओके ओके तुम जल्दी जाकर बताना की ध्रुव अमिता के भाई आपसे मिलना चाहता है।देखना वो तुरंत तैयार हो जाएँगी मिलने को

ओके सर।

२ मिनट बाद ही वेटर वापस आकर कहता है सॉरी सर।।मैडम जैसे मैं पहुंचा बाहर निकल चुकी थी।

ध्रुव को तो जैसे आज हर सेकंड की कीमत समझ में आगयी हो।लेकिन अब वह कुछ नहीं कर सकता था।अगर मिलना है तो फिर आने वाले शुक्रवार का इंतज़ार करना पड़ेगा।

थैंक यू।

कोई नहीं।

ध्रुव ये कह कर उसी चाय को लेकर कुर्सी पर बैठ गया और न जाने किस सपने में खो गया।


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