Alok Singh

Romance

5.0  

Alok Singh

Romance

चाय संग रिश्ते अंतिम भाग

चाय संग रिश्ते अंतिम भाग

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बातों से बातें निकलती हैं फिर बातें अपनी जड़ें मजबूत करती हैं और अगर उसमे भावनाओं और लगाव की खाद और पानी का साथ हो तो फिर बातें अपनी नयी नयी टहनियां और पत्ते खुद से निकालती हैं और फिर बातों का एक वृक्ष बना लेती हैं 

ध्रुव और अमृता की बातों का सिलसिला भी कुछ ऐसे ही चल रहा था पर दोनों सतर्क थे कहीं उनकी इतनी पुरानी दोस्ती जज्बातों की जल्दबाजी में समय से पहले ही खत्म न हो जाए अभी की हालातों से लड़ाई से लेकर, भूत में खट्टी मीठी यादों और बरसात की फुहारों तक, सब शब्दों के माध्यम से समय के कागज पर कुछ नया लिखा जा रहा था तो कुछ पहले से लिखा हुआ पढ़ा जा रहा था।

सोमवार मंगलवार बुधवार आया और कब आकर चला गया दोनों को होश नही ज्यदा बातें करने से लगाव की ज्योति जलने ही लगत है और तब तो ज़रूर जब प्यार के दिये में घी पहले से ही हो।

अभी तक ध्रुव ने अमृता को उसके रेस्टोंरेंट के बारे में कुछ न बताया था कि पिछले शुक्रवार को वह उससे कैसे मिलने को बेताब था।

आज गुरुवार का दिन है वही दिन भर की भाग दौड के बाद ध्रुव रेस्टोंरेंट जाकर चाय पीता है और एक सेल्फी लेकर फेसबुक पर अपलोड करता है " द बेस्ट रेस्टोंरेंट " और वही फोटो वह अमृता को भेजता है और अनभिज्ञ सा पूछता है कि कभी आओ यहां चाय पीते हैं।

रेस्टोंरेंट की सजावट से वह समझ जाती है कि ये उसी का रेस्टोंरेंट है पर वह ये ध्रुव को नही बताना चाहती है कि यह उसी का रेस्टोंरेंट है वह जवाब में उस जगह की लोकेसन साझा करने को बोलती है और कल 6 बजे मिलने को बोलती है ठीक है तो कल मिलते हैं। 

ध्रुव सोचता है चलो कुछ देर अपने घर पर बात कर लेता है वह घर पर बात करने के बाद वह वहां से सीधा एक गिफ्ट की दुकान पर जाता है और कल के लिये अमृता के लिये एक हाथ वाली घड़ी लेता है गुलाबी रंग में उस घड़ी का फीता है और बहुत ही साधारण सी मगर सुंदर सी घड़ी है 

उसकी पैकिंग वह खुद से करता है उसमें कुछ गुलाब की पंखुडिंयां भी डालता है और फिर उन पंखुडिंयां पर हलका सा इत्र छिड़कता है ज़िससे जब अमृता उसे खोले तो एक हलकी हलकी महक में खुद को पाये। 

14 फरवरी दिन शुक्रवार , समय दिन के 3 बजे।

सारा दिन दोनों मिलने को बेताब हैं दोनों लोगों को पता नहीं कौन सी चीज अपनी तरफ खींच रही है उस दिन ध्रुव खुद को तैयार करके 5 बजे ही रिस्टोंरेंट पहुंच गया जबकि अमृता जिसको आज के दिन 5 बजे अपने रिस्टोंरेंट पहुंचना रहता है अरे आज के दिन ही उसके रिस्टोंरेंट में एक अलग तरह की चाए बनती है जो वह स्वयं बनाती थी

अमृता आज 6 बजे रेस्टोंरेंट पहुंचती है और सीधे अपने रेस्टोंरेंट के एक कमरें जिसको वह ऑफिस की तरह प्रयोग में लाती थी वहीं चली जाती है वहां लगे CCTV कैमरों से ध्रुव को देखती है। 

ध्रुव जब से आया है 2 बार चाय का ऑडर दे चुका है अमृता देखती है कि ध्रुव अपने मोबाइल में कुछ बार बार देख रहा है और कुछ देर बाद वह मोबाइल पर लिखता है शायद किसी को कोई संदेश भेज रहा है लेकिन अमृता अपने ही फ़ोन पर ध्रुव के संदेश पढ़ कर समझ गयी कि ध्रुव उसी का इंतजार कर रहा है

कहाँ हो जीआज मिलना था न? याद है या भूल गयी? मई आपका इंतज़ार कर रहा हूँ।

अमृता खुद की सांसों पर थोड़ा सयम रखते हुए थोड़ा सा पानी पीकर उठ पड़ती है अपने वेटरों को पहले ही हिदायत दे देती है की उसके साथ ऐसा बर्ताव किया जाए की वह अजनबी है।

हेलो ध्रुव कैसे हो आप? अचना ध्रुव के पीछे से एक जानी पहचानी सी आवाज आती है।

हेलो हेलो हाय जुबान ऐसी लड़खड़ाई जैसे कोई आशिक़ अपनी प्रेमिका की आँखों से मय पीकर खुद को भूल गया हो और किसी ने उसको थोड़ा सा झकझोर दिया हो।

जी मैं बढ़िया आप बताओआज देर हो गयी आने में ? ध्रुव को तो पता ही था की आज के दिन अमृता जल्दी आती है अपने रेस्टोरेंट में और बताएं कब पहुंचे यहाँ जयदा इंतज़ार तो नहीं करना पड़ा आपकोवैसे आपको तो न इंतज़ार करना पसंद और न ही इंतज़ार करवाना ? है न हाँ जी पर कभी कभी इंतज़ार भी न बहुत सुहावना होता है जो ये महसूस भी नहीं होने देता कि कोई इंतज़ार कर रहा है ध्रुव बोला-

हाँ कभी कभी मगर बहुत लम्बा लगता है अमृता ने जवाब दिया।

दोनों अपनी तेज सांसों को छुपाने की कोशिश में लगे हुए हैं।  चाय पियेंगी आप ? ध्रुव ने थोड़ा माहौल को हल्का करने की कोशिश करने के लिए पूछा।

जी ज़रूरचलिए अपनी पसंद की चाय का आर्डर कर दीजिये अमृता बोली।

पर आज शायद वह चाय न मिल पाए यहाँ ध्रुव ने तुरंत जवाब दिया।

अच्छा ऐसा क्या है उस चाय में ? अमृता खुद के बालों में हाथ फेरते हुए कहा। दोनों लोग अपने शब्दों के माध्यम से ये नहीं जाहिर होने देना चाहते थे कि ये रेस्टोरेंट अमृता का है।

इसलिए अमृता ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कोई नहीं कोई और चाय पी ली जाए फिरऔर एक लेमन जिंज़र चाय कि तरफ इशारा करते हुए बोलीये कैसी रहेगी ? 

जैसी आज्ञा ध्रुव ने मुस्कुराते हुए कहा।

कभी शांत तो कभी कोई पुरानी यादों पर समय की छिट्टियाँ मारकर ताजा करने की कोशिश में दोनों लोग एक आने वाले भविष्य को अपने हाथों की लकीरों में बसने की कोशिश में लगे हुए हैं। 

वो भी एक दिन थे यारआपके हाथों की चाय अभी भी याद है मुझे ध्रुव बोला।

हाँ जी आप तो चाय पीते नहीं थे पर उस दिन आपकी आँखें चाय की दीवानगी बयां कर गयी थीअमृता चाय के प्याले को होठों से लगाकर मेज पर रखते हुए कहा।

हाँ जी आप सही कह रही हैं उस दिन वो खुशबु एक सम्मोहन की तरह थी ध्रुव ने चाय के प्याले को दोनों हाथों से घुमाते हुए कहा

ये रेस्टोरेंट कितना अच्छा है न ध्रुव ने अमृता के मुँह से जानना चाहा वह उसके ड्रीम प्रोजेक्ट के बारे में अमृता के मुँह से ही जानना चाहता है लेकिन अमृता नहीं चाहती थी कि वह आज के दिन अपनी सफलताएं खुद से गिनवाए।

अमृता ने सवाल का जवाब न देते हुए कहा चलो कहीं और चला जाये।

ध्रुव भी उसके इशारे को समझ गया कि वह इस सवाल जा जवाब नहीं देना चाहती है तो उसने कहा कहाँ ?

जहाँ आप ले चलें अमृता के मुँह से अनायास ही निकल गया और फिर उन शब्दों के जाल को थोड़ा सँभालते हुए थोड़ा शरमाते हुए तो थोड़ा मुस्कुराते हुए बोलीयहीं एक मॉल है चलो वहीँ चला जाए।

अमृता को ध्रुव का ये व्यवहार अच्छा लगा कि वह अपने सवाल पर अडिग नहीं है और न फि फ़ोर्स कर रहा है अपने सवाल के जवाब के लिए दोनों उठ खड़े होते हैं।

मॉल में एंट्री करते समय थोड़ा सा अमृता के पैर लड़खड़ा जाते हैं क्योंकि उसने हाई हील की सैंडल पहन रखी हैं जयदा देर तक चलने में उसको थोड़ा सा उनकंफर्ट लगता है ध्रुव ने हाथ आगे बढ़ाते हुए उसके एक हाथ को हाथ से सहर देते हुए एक हाथ को कमर का सपोर्ट करते हुए अमृता को थामने की कोशिश करता है।  

ध्रुव को जैसे एक हाई वाल्ट का करंट लगता है अजब से बेचैनी और न जाने कौन कौन से भावों को सँभालते हुए ध्रुव बोलता हैआप सही हैं न ?

अमृता सम्भलते हुए बोलती- जी शुक्रिया, अब इस शुक्रिया का क्या करूँ ? मेरी तिजोरी में अब जगह नहीं बचीध्रुव बोलता है

मॉल के चौथे माले पर फ़ूड कार्नर है दोनों लोग वहीँ पहुंच कर एक टेबल पर बैठ जाते हैं।

क्या ऑर्डर किया जाए आपको तो पिज़्ज़ा बहुत पसंद था अभी तक वह लिस्ट में है या समय के साथ साथ लिस्ट में बदलाव हो गया ध्रुव ने थोड़ा मुस्कुराते हुए अमृता से पूछा।

जी मेरी पसंद कभी ख़राब नहीं होतीवह ध्रुव के इशारे को समझ गयी थी हाँ कुछ चीजे समय के साथ बदलती रहती हैंऔर बदलना भी चाहिए शायदअमृता ने थोड़ा संजीदा स्वर में जवाब दिया

ध्रुव ने एक पिज़्ज़ा आर्डर कर दिया और आर्डर आने का इंतज़ार करने लगा।

और बताएं ज़िंदगी में क्या कुछ नया चल रहा है और इधर दुहर के सवालों जवाबों से कब वो एक दूसरे को सुनने में व्यस्त हो गए की पता ही न चला पिज़्ज़ा आया दोनों एक साथ खाते जा रहे हैं और बातें भी कर रहे हैंएक दूसरे के मोबाइल में कुछ पुरानी फोटोज देख कर हंस रहे हैं।

रात के १० बजने वाले हैं समय कब पंख लगाकर उड़ चला बिना कोई आवाज किये चुपचाप सबके सामने से समय चलता रहता है

अमृता के पापा का फ़ोन अमृता के मोबाइल पर आता है तब उसको लगता है कि १० बज गए हैं

चलो अब चलते हैं काफी देर हो गयीफिर मिलेंगे।

अपने एक हाथ से अमृता के एक हाथ को पकड़ कर दूसरे हाथ से जेब से वो गिफ्ट निकल कर रखता है।

ये क्या है ?

कुछ नहींकुछ जज्बात हैं ध्रुव ने बोला।

अच्छा तब तो संभाल कर रखना पड़ेगा और अमृता ने अपना दूसरा हाथ ध्रुव के दूसरे हाथ पर रखते हुए एक मजबूत रिश्ते की मजबूती को और मजबूत करते हुए कहा।

धीरे धीरे कदम से कदम मिल रहे हैंजज्बातों के भी और दिल के भी।

घर पहुंच कर फ़ोन करके बता देना ध्रुव बोला।

ओके जी और कुछअमृता यह बोल कर हँसने लगी।

रात के १०४५ बज रहे हैंअमृता ने ध्रुव को फ़ोन करके बताया की वह घर पहुंच गयी हैं और बोली की कुछ देर बाद बात करते हैं

ध्रुव इंतज़ार कर रहा है और सोच रहा हैये एक चाय का रिश्ता है जो उनके रिश्ते को एक नया रंग दे रहा है।

एक रिश्ता पहले तो एक सहारा तलाश करता है फिर न जाने कितनो का सहारा हो जाता है।

ऐसे ही कई बार चाय पर मुलाकातों ने ध्रुव और अमृता को एक रिश्ते में बाँध दिया।


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