kacha jagdish

Fantasy

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नक्षत्र : भाग 2

नक्षत्र : भाग 2

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    कहानी नक्षत्र आगे


वह श्रण आने में कुछ समय बाकी है। राजगुरु तनिष्का को मिलने जाते है। 


राजगुरु : तनिष्का, तैयारी पूरी हो गई। 

तनिष्का : हां गुरुजी, लगभग हो ही चुकी है। लेकिन मेरे राजकुमारी होने से सारे लोग घबराते है और अपनी पूरी ताकत लगाने से कतराते है। इसलिए जब पाताल लोक के लोगों से सामना होगा तो कुछ कह नहीं सकती। 

राजगुरु : तुम जानती तो हो ना धरती पर तुम अपनी असलियत और अपनी ताकत सबके सामने नहीं दिखा सकती। और शक्ति ऐसी है की बारबार उपयोग नहीं किया जा सकता। एकबार उपयोग करने में काफी ताकत चली जाती है इसलिए सोच समझ कर उपयोग करना। और तो और यह याद रखना वो परीलोक नहीं और तुम्हारी सहायता के लिए कभी कभार ही आ सकते है तो हमेशा ध्यान रखना। 

तनिष्का : यह सब में जानती पिताजी ने यह सब शुरुआत में बता दी थी। लेकिन वो नश्रत्र और आखिर वो श्रण है क्या?? उसमें ऐसा क्या खास है। 


राजगुरु : यह तुम्हारे लिए जानना बहुत जरूरी भी है। 

पाताललोक के लोग हमेशा अपनी ताकत बढ़ना चाहते रहे। यह नक्षत्र में धरती पर एक इंसान दिखेगा जो की अच्छाई ने चूना होगा और पाताल लोक के लोग उसे अपनी तरफ करना चाहते है। ताकि आनेवाले कई समय तक उनकी ताकत का मुकाबला कोई ना कर सके। 


तनिष्का : अब समझी। 


आखिर वो दिन आ गया। परिलोक के सारे बड़े लोग एक जगह जमा हो गये जहाँ से धरती देखी जा सके। जैसे ही नक्षत्र बनना शुरू हुआ उन्हें जगह पता चल गई। लेकिन वह इंसान समय आने पर ही पता चलता। 


तनिष्का इस जगह पहुंच जाती है। वह एक शहर था। जहाँ हजारों इंसान थे बस यह पता चलना बाकी था कि वो इंसान कौन है? 


थोड़ा समय बाकी था। तभी तनिष्का अपनी चारों ओर काला धुआं महसूस होता है वो धीरज बनाये रखती है। तभी एक आवाज आती है, " क्या बात है राजकुमारीजी, बहुत खूब। हमें तो लगा था की हमारे मुकाबले का कोई है ही नहीं।" 


तनिष्का समझ गई निषिका है। उसने जिस ओर से आवाज आ रही थी ओर एक खंजर फेंकती है। निषिका अपनी तलवार से उस खंजर को दूर फेंक देती है। तभी तनिष्का कहती है, " मारना नहीं चाहती थी, बस देखना चाहती थी जैसी बातें सुनी है ऐसा कुछ है या सिर्फ बातें है। निषिका भी जवाब में कहती है," बातों से क्या पता चलेगा। चलो, एक नजारा दिखा देती हूँ। 


निषिका छलाग मारकर तनिष्का के पास पहुंच जाती है। 


तभी वो श्रण आ गया। वह इंसान शहर में दिखना शुरू हो गया। वह एक लड़की थी जो अपने दोस्तों के साथ घर जा रही थी। 


यह देखने के बाद जब तनिष्का निषिका पर वार करने जा रही थी की निषिका कूद दूर चली जाती है यह कहते हुए, "इतनी भी क्या जल्दी है फिर मिलेंगे। वो काले धुएं में बदल हवा की तेजी से गायब हो गई। 


तनिष्का के आंखों में भी वो लड़की की तस्वीर छप चुकी थी। 


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