अनुराधा कुमारी
अनुराधा कुमारी
ना पास आते हो ,न दूर जाते हो
यूँ निगाहों में बस के क्यों सताते हो।
जब भी करे हम प्रीत की बाते ,
बातों में उलझा कर दूर चले जाते हो।
तेरा प्यारा सा चेहरा निंदिया उरा जाती है
जब आँखें खोलूँ तो दूर छुप जाते हो।
कभी - कभी मेरी बातों पर नाराज हो जाते हो
जब प्रीत जताती हूँ तो बातों में उलझाते हो।
बेशक दूर हो , काम के चलते मजबूर हो
कोई बहाना बना के क्यों न आ जाते हो।
बेवजह तंग करना ये कैसा सुमार है
जब कहती हूँ, भूल जाओ तो प्यार जताते हो ।
लबों पर फिर भी, मुस्कान रहती है
आज तक न जान सकी ये कैसा प्यार हैं।