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Anuradha Kumari

Abstract

3.5  

Anuradha Kumari

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प्यार पैसा और नौकरी

प्यार पैसा और नौकरी

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320


एक सरकारी नौकरी से हारा

दूसरा अपनी प्रेमिका सेे बिछड़ा।


कुछ पानेे की ज़िद में तपस्याा दोनों ने किया 

तो बताओ तुझ में और मुझ में अंतर क्या हैै??

 

एक को ताना से मारा गया

दूसरा को पत्थर से

तन्हा तुम भी रहा तन्हा् हम भी

खता तुमने भी नहीं किया और हमने भी नहीं।

तो बताओ तुझ में और मुझ में अंतर क्या हैै???

  

एक ने धीरे सेे अपनी नजरें उठाई

दर्द से छुपी एक मुस्कुराहट है छुपाई

हाले से हंसकर कहाा उसने

अंतर कुछ नहीं भाई, बिना पैसों का 

ना नौकरी मिली ना प्यार वाली लुगाई ।

मानव दोनों के जीवन में ईश्वर ने सबक सिखायाा हो।


रास्ताा तपस्या से जीवन भर नौकरी पाना हो

या ,,,,की आत्माा.... से... आत्मा ....का मिलन हो

हम दोनोंं ने राह सजाते रहे ।

खुशी और प्यार पाने की जिद में, खुद को घुमाते रहे


दोनों केेेेेे बीच इसी तरह बातें चलता रहा

कि तुम ......तुम..... ना ....रहो  ...

मैं .... भी ...... मैंं .......ना ...रहूं...

पैसों की दुनिया में हमनेे, हम दोनों ने

मोहब्बत का रास्ता बनाते रहेे।।


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