रहस्यमयी
रहस्यमयी
वर्षों पहले तनु के साथ एक अविस्मरणीय
अविश्वसनीय एक रहस्यमयी घटना घट चुकी है। जिसे वह याद करती है तो आज भी उसे विश्वास नहीं हो पाता है। सन 1999 की बात है। तनु के पति कॉलेज जाने से पहले उससे बोले, "यह कागज (पेपर) यहाँ बाबू की फोटो के पास रख रहा हूँ। आज या कल में एक लड़का आएगा और यह पेपर लेकर जाएगा। याद से पेपर दे देना" ।
तनु ने कहा, "इसमें याद करने की क्या बात है। जब कोई माँगने आएगा तो बिल्कुल दे दूंगी"। उसके पति बाय बोलकर चले गयें
तनु की सासु अम्मा भी वही बैठी हुई थी। सुबह का समय था तो बहुत सारे काम निपटाने थे। तो उसने अम्मा से बोला, "अम्मा थोड़ी देर आप यही बाहर वाले कमरे में बैठिए, वह लड़का आएगा तो देने में अच्छा पड़ेगा । कोई आए तो मुझे बुला लिजिएगा या फिर यह पेपर उठा कर दे दीजिएगा" ।
काफी देर तक अम्मा बाहर बैठी रही। तनु अंदर काम समेटती रही। थोड़ी देर बाद तनु ने सब तैयारी करके अम्मा को रसोई में बुलाया। आज अम्मा कढ़ी बनाने वाली थी । अम्मा ने बोला,"अभी मैं रसोई में हूँ। तुम जाकर बाहर बैठो"।
तनु ने कहा, "अम्मा क्यों परेशान होती हो। कोई आएगा तो दरवाजा खटखटायेगा ही, आवाज देकर बुलायेगा ही । तबसे दरवाजा खटखटाने की आवाज आई । अम्मा बोली, "जाकर देखो तो, शायद कोई आया है" ।
तनु बाहर आई तो देखा दो सुंदर से, नाजुक से, वो कहते हैं ना सुकोमल सुकुमार एकदम मनोहारी छवि वाले दो लड़के खड़े थे ।
उन्होंने पूछा, "मैडम सर है" ?
तनु ने कहा, "नहीं वह तो कॉलेज गये है"।
वह एक दूसरे का मुँह देखते हुए बोले,"सर हमारे लिए कोई कागज रखकर गए हैं" ?
तनु ने बोला, "हाँ वह बोले थे कि एक लड़का आ कर ले जाएगा"।
वह बोले, "हाँ मैडम वही कागज लेने आया हूँ"।
तनु ने उठाकर वह पेपर उनको दे दिया। बच्चे पेपर उलट पलट कर देखकर, लेकर चले गए ।
तनु अंदर जाकर अम्मा को बोली, "मुसीबत गई। वह लड़का आकर के अपना पेपर लेकर गया । अभी हम चैन से रहेंगे। नहीं तो चिंता लगी रहती न जाने कब आ जाए लेने के लिए" ।
इतना कह कर वह अपने रोज के कामों में व्यस्त हो गयी। दोपहर को जब उसके पति घर पर आए तो पेपर बाबू की फोटो के पास ना देखकर उन्होंने पूछा, "क्या कोई आया था पेपर लेने के लिए"?
तनु ने कहा, "हाँ एकदम राम-लक्ष्मण की जोड़ी सी दो लड़के आए थे । सच्ची कहूँ आपके शहर में मैंने इतने खूबसूरत चेहरे पहली बार देखें । कौन थे ? क्या नाम है"?
तनु के पति बोले, "अब क्या पता तुमने किसको देखा है । क्योंकि जिसको मैंने वह पेपर देना था वह इतना कुछ खास तो नहीं है"।
मैं बता दूँ तनु के शहर में आदिवासी लोग की आबादी ज्यादा है । उसके पति के कॉलेज में भी मुख्यत: सारे आदिवासी बच्चे ही हैं । तो जिस हिसाब से तनु बोल रही थी सुंदर, सुकोमल, सुकुमार वैसे बच्चे होने की संभावना बहुत कम थी ।
पर खैर अम्मा ने भी आते हुए बोला, "तुम जो पेपर रख कर गए थे । दो लड़के आकर उसे ले गए । तनु के पति ने भी देखा बाबू की फोटो के पास कोई पेपर नहीं रखा था । बात खत्म हो गई।
दो दिन बाद की बात है । उस दिन शायद इतवार था या कोई छुट्टी का दिन था । तनु के पति कुछ लिख पढ़ रहे थे। उनका पेन छूट कर सोफे के नीचे चला गया। उन्होंने झुक कर निकालने की कोशिश की तो देखा नीचे कोई पेपर पड़ा हुआ था ।
पेपर देखते ही उन्होंने तनु और अम्मा को बुलाया और बोले, "तुम दोनों लोग तो बोल रही थी वह पेपर कोई दो लड़के लेकर गए" ।
तनु कुछ बोले उसके पहले ही अम्मा बोल पड़ी, "हाँ तो क्या हम झूठ बोलेंगे ? बोला तो था दो लड़के आए थे लेकर गए" ।
तनु के पति बोले, "अम्मा, आपने पेपर दिया था" ?
अम्मा बोली, "नहीं मैं तो वहाँ नहीं थी । पर किसी ने आ कर दरवाजा खटखटाया था। उसके बाद मैंने तनु को किसी से बात करते सुना था । उसके बाद आकर तनु ने बोला कि दो बच्चे आकर पेपर ले गए" ।
उन्होंने पेपर तनु के आँखों के आगे करते हुए पूछा, "अगर पेपर बच्चे ले गए थे तो यह क्या है" ?
तनु ने बोला, "मुझे क्या मालूम यह क्या है "।
तनु के पति बोले, "डियर यह वही पेपर है जो मैंने तुम्हें उस बच्चे को देने के लिए कहा था । जो तुम्हारे हिसाब से दो सुंदर सुकोमल सुकुमार लड़के आकर तुमसे ले गए थे" ।
अब तो तनु और अम्मा एकदम आवाक हैरान-परेशान, हैं... यह कैसे संभव है ? पेपर तो तनु ने दिया था उस दिन। अगर यह पेपर यहीं पड़ा है तो तनु ने उन बच्चों को क्या दिया था। वह दोनों भी तो अच्छे से उलट पलट कर देखकर तब कागज लेकर गए थे।
बाद में तनु के पति ने वह कागज जिसको देना था उसको दे दिया था।
तनु आज भी विश्वास नहीं कर पाती है कि उसने वह पेपर उन बच्चों को नहीं दिया था । पर फिर सवाल वही रह जाता है कि जो आए थे वह कौन थे ? जब पेपर घर पर ही रखा था, तो जो ले गए वह क्या ले गए ?
तनु को परेशान देखकर तनु के पति बड़े प्यार से बोले," याद करो उनके जाने के बाद तुमने पहला वाक्य क्या बोला था"?
तनु ने सोचते हुए बोला, "मुसीबत गयी अब चैन से ... "
तनु के पति तनु को टोकते हुए बोले, "हाँ वही तो, लगता है तुम्हारे भगवान तुम्हें दर्शन देने आए थे और तुम्हारी सारी मुसीबतें लेकर गए"।
अविश्वसनीय कहेंगे या रहस्यमयी या और क्या कहेंगे ? रहस्यमयी ही न, क्योंकि इसके अलावा और दूसरी कोई भी अवधारणा सही नहीं बैठती है।