मुलाकात
मुलाकात
जीवन में
कुछ बाते
कुछ मुलाकाते
अजीब होती है
क्योकि
वो बाते
वो मुलाकाते
सब कुछ
बदल देती है
मिलने वाले इंसान को
उसकी सोच को
उसके व्यवहार को
उसके नजरिया को
उसकी बाते
उसके वादे
उसके इरादे
सब बदल जाता है
कदाचित
मुलाकात से
उसे जो मिला
वो काफी नहीं था
उसे अधिक की चाह थी
यह अधिक की चाह
उसे उस रिश्ते से दूर
बहुत दूर ले जाती है
इतना दूर
जहाँ से उसे
वो करुणा
वफा
हमदर्दी
भी नजर नहीं आती है
जो उसे हासिल थी उस
रिश्ते से
जो अब बोझ है उसके लिए
बोझ
जिसे ढोना उचित नहीं था
कोई इंसान ऐसा क्यों करे
कि रिश्तों का बोझ उठाए
भटकता रहे
इधर से उधर
उधर से इधर।