रिश्ते
रिश्ते
1 min
205
दर्द का बेहद अंबार हो गया,
रिश्तों का जब कारोबार हो गया।
मोहब्बत तो उनसे अथाह थी,
नफरतों का भयंकर दीदार हो गया।
रिश्तों का टूटना आम सा दिखता है,
अपनेपन का अब देखो संसार हो गया।
उनका इंतजार अब नहीं करते हैं,
जिंदगी का हर लम्हा बेकरार हो गया।
बेहद इश्क करना भी खतरनाक है,
जरूरत इंसानों का तार तार हो गया।
भरोसा करना अब ढकोसला है,
जिन्दगी का खंजर सीने से पार हो गया।