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राजकुमार कांदु

Tragedy

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राजकुमार कांदु

Tragedy

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ये विज्ञापन हमें बेवकूफ बनाते हैं

और हम सब जानकर भी

फूले नहीं समाते हैं।


विज्ञापन के जाल में फँसकर

घटिये को भी सिर माथे चढाते हैं

इसीलिये रोजी रोटी का सवाल छोड,

मंदिर मस्जिद का सवाल उठाते हैं

और जब भडकती है नफरत की आग 

अवाम के सीने में

इस आग पर हमारे प्रिय नेता 

अपने स्वार्थ की रोटी पकाते हैं


विज्ञापन की इसी सफलता को 

नेताओं ने भी खूब भुनाया है

करके भारी विज्ञापन 

अपनी दुकानदारी को चमकाया है

अभिनेता भी जो कभी कर न सके 

वह सारा गुण नेताओं ने अपनाया है

कभी भाषण, कभी राशन 

हर वो दाँव आजमाया है 

जिससे चले खूब नेतागीरी 

और लगे कि वह हमसाया है

नेता कोई भी हो चाहे हो कोई दल 

सबने अपनी करतूतों से राजनीती को 

दलदल बनाया है। 


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