Ankur Singh

Horror

4  

Ankur Singh

Horror

कल आना

कल आना

6 mins
343



आयुष आज बहुत जल्दी उठ गया करीब सुबह 5 बजे .. उसका इरादा था सुबह जल्दी उठ कर पढ़ाई करना .. क्लास 10 में पढ़ने वाला आयुष .. स्वभाव से सरल , मृदुभाषी होने के अलावा होशियार और चालाक भी था.. पर पिछले कुछ दिनों या कहा जाए महीना भर से उसकी पढ़ाई ठप चल रही है इसके पीछे की वजह है .. गांव में घट रही घटनाएं .. ऐसी घटनाएं जो पहले कभी नहीं घटी .. इसके बारे में गांव वालों को भी सिर्फ एक अंदाजा ही है ।


हाशिमपुर नाम के गांव की अपनी अलग खूबसूरती है । यहां के लोग , यहां के स्थान .. इसकी अलग पहचान बनाते है पर पिछले 1 महीने से यहां कुछ अजीब घटनाये घट रही है। लोग अचानक ही गायब हो जा रहे है। इसके पीछे का राज जानने की कइयों ने कोशिश की पर .. किसी के भी हाथ कुछ न लगा। जो गायब हो जा रहा था वो फिर वापस मिल नहीं रहा था ना साबुत के रूप में ना अवशेष के रूप में।


आयुष ने फैसला किया वो इस बार इस राज का पता वो लगा के रहेगा .. रात को जाग सके इसलिए वो दिन में सो गया .. शाम को खाना - खा कर .. अपनी चारपाई पे लेट गया और रात के 12 बजे का इन्तेजार करने लगा। 


आयुष चारपाई पर लेटे लेटे एक डायरी बना रहा था जिसमे उसने उन बातों का जिक्र किया था जो इन लोगो के गायब होने के घटनाओं से जुड़े हो जैसे कि - 


1. रात को 12 बजे के बाद अपने आप तेज़ हवाएं चलने लगती है । 

2. एक इंसान (पुरुष या स्त्री) दरवाजा खटखटा कर .. घर में मौजूद किसी एक व्यक्ति को बाहर बुलाते है 

3. जो बाहर निकलता है वो गायब हो जाता है .. उसका फिर कुछ पता नही चलता है 

4. हफ्ते में 1 बार आती है और एक बार में कई लोगों को पकड़ ले जाती है 

5. पिछले एक महीने में 4 बार आयी है और 9 लोगों को ले जा चुकी है ..

6. जिन लोगो को ले जाती है उनके यहाँ दरवाजे पर खून या लाल रंग से लिखा मिलता है ..

"खोया सामान चाहिए .. कल आना"

पर कब आना है , कहा आना है कुछ नही लिखा होता  

7. पुलिस गायब होने वाले इंसानों को खोज चुकी है पर उन्हें न तो गायब व्यक्ति मिले और न ही अपहरणकर्ता ।

8. गायब हुए लोगों में लगभग लोग व्यापारी थे - कोई कपड़ा बेचता था , कोई ढाबा चलाता था तो कोई अनाज बेचता था .. एक तो पुलिस वाला भी था ।


हाथ की घड़ी में लगा छोटा से अलार्म के बजने से आयुष का ध्यान भंग हुआ पर बहुत कोशिश के बाद भी गायब हुए लोगों के बीच संबंध नहीं बना पाया। बिस्तर से उठकर टोर्च और एक बैग लिया और धीरे से अपने घर के पीछे के रास्ते बाहर निकल गया।

  

आसमान में खूबसूरत चाँद निकल हुआ था पर उसकी रोशनी में भी सब कुछ दुधला - दुधला दिख रहा था पर साफ देखने के लिए टोर्च की जरूरत पड़ रही थी । 


आयुष आगे बढ़ा और धीरे - धीरे , चोरी - चोरी गांव में घूमने लगा उसकी मंशा उस अपहरणकर्ता को रंगे हाथ पकड़ने कि थी और वो गाँव में घूम कर उस अपहरणकर्ता को खोजने का प्रयास कर रहा था। अपहरणकर्ता कि ही वजह से गांव के लोग गायब हो रहे थे पर आधे घंटे तक घूमने के बाद भी आयुष को कोई नही दिख रहा था ..


गांव में स्ट्रीट लाइट जैसा बंदोबस्त किया गया था पर लाइट ही नहीं आती अक्सर रात में .. इसलिए रात होने से पहले ही सब खा पीकर सो जाते है इसलिए इस वक़्त किसी के भी दिखने की उम्मीद न के बराबर थी। गाँव देहात में ऐसा ही होता है पहले तो सुविधाएं ही नहीं आती और अगर गलती से आ भी गयी तो वैसा काम नहीं करती जैसे काम करने के लिए उसे बनाया गया था। यानि सुविधा का होना ना होना एक समान था।


आयुष हताश होकर वापस जाने को मुड़ा ही की उसे मुखिया के घर के बाहर किसी का साया दिखा । इस वक्त जहां पे आयुष खड़ा है वहां से मुखिया का घर करीब 100 मीटर था। आयुष छुप कर देखने का प्रयास करता है की हो क्या रहा है ..


उसने देखा एक साया .. मुखिया जी के दरवाजे को खटखटा रहा है और उनके बेटे कि आवाज में बुला रहा है जो दिल्ली में रह कर पढ़ाई करता है । मुखिया जी ने जब बेटे की आवाज़ सुनी तो उसने रहा नहीं गया .. उन्होंने दरवाजा खोला ..


मुखिया जी को दरवाजे पे कोई नही दिखा .. और वे अपने बेटे निखिल का नाम ले कर इधर - उधर देख रहे है .. पर आयुष को वो साया अब भी वहीं दिख रहा था .. मुखिया जी के घर का दरवाजा अपने आप बन्द हो गया .. वे वापस जाने को मुड़े ही थे की उनके बेटे की आवाज थोड़ी और दूर एक झाडी से आयी .. जो बचाओं .. बचाओं चिल्ला रहा था .. मुखिया दौड़ते हुए उस झाड़ी में गए और .. एक साया उस झाड़ी से निकला और उनके हाथ को पकड़ कर घसीटता हुआ ले जा रहा था । आयुष ने उस साया का पीछा करना चाहा पर वो तुरंत ही गायब हो गया ..


आयुष सावधानी से इधर - उधर देखने लगा पर उसे कोई नहीं दिखा की तभी आयुष को लगा की पीछे कोई अचानक से उसके पीछे खड़ा हो गया है उसने पलट कर देखा तो वहीं साया अब एक लड़की के रूप में है और उसने आयुष को ध्यान से देखा और कहना शुरू किया - 


- “तुम मेरा पीछा कर रहे हो” 


आयुष इतना डर हुआ था की कुछ बोल ही नहीं पाया .. इशारा तक नहीं कर पाया .. हां या ना 

पर उस लड़की ने कहना चालू किया 


- तुम सच्चाई जानना चाहते हो .. कोई ना मैं बता देती हु वैसे भी पर तुम किसी को बता नहीं पाओगे .. मेरा नाम कोमल है मैं इसी गांव की लड़की हूं मेरी 2 बीघा जमीन हड़पने के लिए मेरे पिता जी को मरवा दिया इसी मुखिया ने .. पर भूमिका ऐसी बनाई जैसे उनके साथ हादसा हुआ हो पर .. पिता जी के जाते ही मैं और मेरी मां को खाने के लाले पड़ गाये हमे मांग - मांग कर काम चलाना पड़ा । जिसके यहां भी मांगने जाती वही मेरी जवानी पर नजर गड़ा लेता और जब अपना जिस्म बेचने से मना कर देती तो कल आने को कह कर भगा देते थे सब .. कब तक अपनी किस्मत से बच पाती .. मुझ पर मुखिया ने बदचलन होने का आरोप लगाया और मेरे साथ गलत काम कर मुझे मार दिया .. मेरी मां ने पुलिस के आगे बहुत हाथ जोड़े पर कोई नही सुना .. सबने कहां कल आना ..

कल आना .. कल आना कर के मेरी मां की भी जान ले ली .. उनकी चीखों ने जमीन - आसमान एक कर दिया। मुझसे भी माँ का दर्द देखा नहीं गया इसलिए मैं उन सबसे बदला लेने निकली हु जो कल आना .. कल आना कह कर किसी की जान और अस्मत से खेल जाते है .. मुझे अफसोस जरूर है पर मुझे तुम्हारे साथ भी कुछ करना होगा ..


इतना कह कर वउस लड़की की आत्मा ने आयुष के सिर पर हाथ रखा और आयुष कुछ ही क्षणों में बेहोश हो गया ।

सुबह गांव वालों को जब मिला तब आयुष बेहोश था .. जब होश में आया तब उसे याद ही नहीं रहा कि वो यहां कैसे आया ..और उसने अपने बोलने कि शक्ति भी खो दी 

इस घटना से सहम कर पूरा गांव धीरे - धीरे खाली होने लगा पर……


समाप्त 





Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror