कुलधरा
कुलधरा
इतिहास के पन्नों में दर्ज एक ऐसा गांव जहां अब कोई नहीं रहता .. इस गांव में पहले हजारों की संख्या में लोग रहा करते है । साथ खाते - पीते , उत्सव मनाते थे .. पर एक दिन कुछ ऐसा हुआ की .. इस स्थान को छोड़कर सब चले गए और दे गए श्राप कभी न बसने का .. हालांकि राजस्थान सरकार की तरफ से इस स्थान को पर्यटन के लिए अब खोल दिया है । अब यहां रोज हजारों की तादाद में लोग देश - विदेश से घूमने आते है । जैसे आप आये है ..
इतना कह कर गाइड रामसिंह ने हल्की मुस्कान ली और अपने साथ आये 12 लोगों के दल को गांव के बारे में बताने लगा । रामसिंह की गाइड के रूप में अभी नियुक्ति हुई है । वो एक प्राइवेट ट्रेवल एजेंसी से जुड़ा है .. जिसका कॉन्ट्रैक्ट सीधा राज्य सरकार से है ।
ये 12 लोगों का दल अजमेर से आया है .. ये एक प्रकार से घुमंतू लोगों का दल है जो देश के विभिन्न स्थानों पर घूमना पसंद करते है । इस दल में एक प्रेमी जोड़ा है - आर्यन और लतिका .. इन दोनों का ये गांव बहुत पसंद आया .. वो यहां की हर चीज में गहरी दिलचस्पी और रुचि दिखा रहे थे खासकर लतिका ..
शाम होने के बाद कुलधरा गांव में रुकना अब मना नही था पर गाइड रामसिंह ने एहतियातन ये फैसला लिया की सब लोगों को इस गांव से 5 किमी. दूर बने एक गेस्ट हाउस में रुकना होगा । 2 दिन के इस ट्रिप में ज्यादा कुछ है नहीं घूमने को सिवाए कुलधरा गांव के जो करीब 861X261 मी. के आयताकार क्षेत्र में बसा था ।
लतिका को यहां अजीब सी ठंड और अपनेपन का एहसास हो रहा था जबकि इस वक्त यहां का तापमान 40 के ऊपर जा रहा था । रामसिंह बार - बार उन्हें शाम होने से पहले गेस्ट हाउस पहुंचने को कह रहा था । रामसिंह सभी को बस में बैठाने वाला था कि तभी दल में से एक आदमी बोल पड़ा -
- ये गांव सरकार द्वारा सेफ घोषित किया गया है फिर हम लोगों को गेस्ट हाउस वापस क्यों ले जाया जा रहा है ।
- जंगली जानवर का खतरा तो बना ही है ..
- यहां इस रेगिस्तान में मुझे नही लगता कोई जंगली जानवर है .. मुझे तो लगता है आप लोग मानते हो कि यहां कुछ है .. हम लोग अगर गांव के अंदर नहीं रह सकते तो गांव के बाहर टेंट लगा के रखेंगे .. क्या कहते हो दोस्तों
सभी ने थोड़ी सी ना - नुकुर की पर धीरे - धीरे सभी गांव से थोड़ा बाहर टेंट लगा कर रुकने को राजी हो गए पर टेंट सभी के लिए था नही ..
तब समीर (जिसने टेंट का आईडिया दिया था) वो और उसके 4 साथी .. अजय , अभय , अमर और अनिल चूंकि घुमंतू नेचर के थे इसलिए सिर्फ उन्ही के पास टेंट है .. पांच टेंट 12 लोगो में बटा .. । कोई भी सोने के फिराक में नही था सभी जाग कर 12 बजे के बाद कुलधरा गांव के अंदर जा कर सच्चाई जानना चाह रहे थे ।
12 बजे
12 बजते ही सभी अपने टेंट से बाहर निकले .. कुछ डरे और कुछ उत्साहित थे । 20 लोगो के इस दल में 5 छोटे - छोटे ग्रुप थे .. जैसे एक ग्रुप समीर और उसके 5 साथियों का था वही एक ग्रुप 4 सदस्य का था जिनमे 2 लड़कियां और 2 लड़के थे .. रश्मि , रजत , अंकुर , नैना और एक लड़का अकेले था - मनोज वही एक कपल था साथ में आर्यन और लतिका कुल 14 सदस्यों के साथ उनका गाइड रामसिंह था । गाइड रामसिंह शुरू में गाँव आने के लिए नहीं मान रहा था पर जब पैसे का ज्यादा लालच दिया गया तो वो भी मान ही गया।
सभी अपने - अपने दल के साथ कुलधरा गांव के अंदर प्रवेश किये ..
अभी कुछ दूर गए ही होंगे की ... खंडहर जैसे दिखने वाले इस गांव में न जाने कहा से धुंध आने लगा, रेगिस्तान में धुल समझ में आती है पर धुंध और देखते ही देखते वे सभी उस धुंध की गिरफ्त में जकड़ गए। कुछ देर बाद जब धुंध गायब हुआ तो उनके सामने का नजारा कुछ और ही था । चारो तरफ चहल - पहल थी .. अजीब सा शोर - शराबा था .. ऐसा लग रहा था जैसे वो सब अतीत में चले गए हो .. या इतिहास खुद को दोहरा रहा है ।
एक जगह बहुत भीड़ दिखी .. उन्हें तो सब वही जा के खड़े हो गए पर उन्हें राजस्थानी भाषा समझ में नही आ रही थी इसलिए रामसिंह उनके ट्रांसलेटर का काम कर रहा था -
- हुजूर गड़बड़ हो गयी .. मंत्री सलीम सिंह आ रहा है
- वो यहां क्यों आ रहा है
- उसे रूपवती से शादी करनी है
- पर वो हमारे कुल का नहीं
- अगर हमने बात नहीं मानी तो वो जबरदस्ती कर लेगा
- कुछ सोचना पड़ेगा
अचानक उन सभी के सामने एक नया दृश्य आ गया .. जहां सलीम सिंह गांव वालों को पकड़ कर रूपवती के बारे में पूछ रहे है पर गांव वालों ने रूपवती को कही छुपा दिया है इसलिए मंत्री सलीम सिंह परेशान हो गया ।
उसने गांव वालों पर हंटर बरसाए , उनके घावों पर नमक छिड़का दिया .. उसपे भी बात नहीं बनीं तो बंधकों के आंखे नोचवा दी .. रूपवती कब तक बर्दाशत करती वो अचानक सबके सामने आ गयी और जा कर सलीम सिंह के बाहों में गिर गयी सिर्फ इस शर्त पर की गांव वालों को छोड़ दिया जाए पर .. सलीम सिंह का दिल नहीं पिघला .. उसने सभी गांववालों को बांध कर उनको जिंदा जला दिया .. रूपवती ये सब देख कर इतना विचलित हो गयी उसने अपनी कमर से कटार निकाल कर सलीम सिंह को मार दिया .. सलीम सिंह के भूमि पर गिरते ही उसके सैनिकों ने रूपवती पर हमला कर दिया .. इससे पहले की सैनिक उसे पकड़ पाते दहकते आग में कूद गयी और जलते हुए कहा -
- जिस जमीन के लालच में यहां इतना खून बहा .. ये जमीन अब हमेशा बंजर रहेगी और इस जमीन पर बसने वाले का सामूल नाश हो जाएगा .. मेरी आत्मा सदैव बदला लेगी ।
अचानक दृश्य बदल गया सबको समझ आ गया की उस रात हुआ क्या था .. लोग घर - बार छोड़ के भागे नही थे बल्कि जिंदा जला दिए गए थे और रूपवती के श्राप की वजह से ये गांव फिर कभी न बसा .. इससे पहले कि वो कुछ और सोच या कर पाते उन्हें अचानक एक साया जैसा दिखा .. उस साये से बचकर उन लोगों ने बाहर जाने की सोची पर .. पीछे का रास्ता गायब हो चुका था अब वे यहां फस गए थे .. अब यहां से वे बाहर नहीं जा सकते थे। उस आत्मा ने बारी - बारी से उन लोगो का शिकार करना शुरू किया .. किसी की आंख फोड़ दी ..किसी की टाँग .. कुछ नहीं बचा .. किसी को भी भागने का मौका नही मिला .. एक जोर की आंधी आयी और सब उसी में गायब हो गए। उस आत्मा सभी को मौत कि नींद सुला दिया।
सुबह 8 बजे
कंपनी का मालिक अपने गाइड को खोजता हुआ आया पर उसे वहां कोई नहीं मिला सिवाए बस के .. मामला दबाना मुश्किल था अतः एक बार फिर सरकार ने कुलधरा में रात में जाने से मना कर दिया हालांकि इसकी वजह जंगली जानवर बताई गयी न की सच्चाई।
समाप्त