Ankur Singh

Horror

4  

Ankur Singh

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शापित हॉस्टल

शापित हॉस्टल

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स्वामी विवेकानंद कॉलेज के सभी हॉस्टल में नए सत्र के छात्रों का आगमन शुरू हो गया । इनमे से एक निरंजन झा बॉयज़ होस्टल भी है । छात्रों को उनके अलग - अलग कमरे आवंटन कर दिए गए । हर कमरे में 2 छात्र के रहने की व्यवस्था की गयी । आलोक और अभय ग्रेजुएशन के लिए डभौरा गांव से एक साथ यहां कानपुर आये है । मन में उमंग और ढेर सारे सपने लिए उन्होंने हॉस्टल में कदम रखा । उन्हें कमरा नंबर 14 मिला था रजिस्टर पर हस्ताक्षर करते वक़्त अभय हैरान रह गया । 

रजिस्टर में कमरा नंबर 12 के बाद , कमरा नंबर 14 अंकित है । अभय से रहा नहीं गया .. हस्ताक्षर करा रहे वार्डन जोशी जी से पूछा बैठा - 


- सर कमरा नंबर 12 के बाद 14 .. सर 13 रजिस्टर में नहीं लिखा है ऐसा क्यों सर ??

- यहां के जो मालिक है रतन सिंह जी वो थोड़े अंधविश्वासी है उन्होंने 13 नंबर का कमरा आधा - बना कर छोड़ दिया है । चूंकि उसमें कोई रह नहीं सकता इसलिये उसका जिक्र रजिस्टर पर नहीं है । अब अपने कमरे में जाओ ( जोशी ने दोनों को टका सा जवाब दे कर चलता किया )


दोनों ने ऐसा जताया जैसे उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा । उन्होंने वार्डन से अपने कमरे की चाभी ली और अपने कमरे को खोजने के लिए निकल गए । 

हॉस्टल के मुख्य गेट से घुसने पर बाएं हाथ पर वार्डन का आफिस है । जबकि सीधा जाने पर गोल रास्ता है .. चाहे दाएं से जाये या बाएं से .. रास्ता पहुँचता है एक ही मुख्य बिल्डिंग में जहां छात्रों के रहने की व्यवस्था है । आलोक और अभय दोनों दरवाजों पर लगे नंबर को पढ़ कर अपना कमरा खोजने का प्रयास कर रहे थे कि तभी उनकी नजर एक आधे - अधूरे कमरे में पड़ी जो इस बिल्डिंग के आखिरी में थी । दोनों अभय और आलोक उस कमरे को देखे जा रहे थे जैसे उसमें अजीब सा आकर्षण हो । वैसे भी ये कमरा सबसे आखिरी में पड़ता था इसके बगल से पीछे की तरफ गार्डन जैसा था .. पर 14 नंबर वो तो कही दिख ही नहीं रहा । उन्हें याद आया कि कमरा नंबर 6 के बाद एक सीढ़ी है मतलब उनका कमरा दूसरी मंजिल पर है । वे वापस जाने के लिए मुड़े ही थे की तभी वे किसी से टकरा गए 

रॉकी .....

रॉकी ग्रेजुएशन में सीनियर था लड़ाई- झगड़ा , रैगिंग में अव्वल , कॉलेज में प्रोफेसर तक उससे दूर रहना पसंद करते थे । अभय और आलोक उसी रॉकी से टकरा गए ।

- तुम लोग नए चूजे हो न 

(अभय और आलोक के बोलने से पहले रॉकी के साथ आये उसके 2 अन्य साथी में से एक जैंगो बोला )

- हा बॉस ये नए चूजे है - 

( रॉकी ने जैंगो को शांत रहने को इशारा किया )

- क्यों बे कौन हो तुम लोग , यहां क्यों आये हो ??

रॉकी के हाव-भाव से दोनों समझ गये की ये सीनियर है और अब उनकी रैगिंग होने वाली है । दोनों ने हाथ जोड़ लिया और - 

- सर हम नए स्टूडेंट है ..  हमने बैचलर कोर्स में एडमिशन लिया है सर .. सर मेरा नाम आलोक है और ये मेरा दोस्त अभय (आलोक ने किसी तरह अटकते - अटकते अपनी बात कही )

(आलोक की बात सुनकर तीनों सीनियर हँसने लगे .. किसी तरह अपनी हँसी रोकी - )

- मेरा नाम रॉकी है और ये मेरे दोस्त - जैंगो और मयंक और हम तुम्हारे सीनियर है अब से जब भी तुम हमसे मिलोगे झुक कर सलाम करोगे .. समझ गए  

- जी सर (कहते हुए दोनों जापानियों के स्टाइल में झुक कर सीधे खड़े हो गए )

- शाबाश .. रॉकी खुश हुआ .. अच्छे बच्चे हो बड़ी जल्दी सीख रहे हो .. यहां क्या कर रहे हो ? ( रॉकी ने अपनापन जताते हुए कहा )

- सर हम अपना कमरा खोज रहे है कमरा नंबर 14 ( अभय ने कहा )

- अच्छा कमरा नंबर 14 .. वो तो सीढ़ियों से ऊपर है .. चले जाओगे या छोड़ के आये । ( इतना कह कर रॉकी और उसके साथी जोर-जोर के हँसने लगे )।

- नहीं सर आपको तकलीफ उठाने की कोई जरूरत नहीं है हम दोनों खुद ही चले जाएंगे । इतने में रॉकी के मोबाइल पर किसी की कॉल आयी .. रॉकी ने फ़ोन उठा कर बोला -

हां शालिनी बोल ... (आलोक ने अभय की ओर इशारा किया और फिर दोनों ने झुक कर सलाम किया और अपना सामान उठा कर सीढ़ी की ओर जाने लगे । रॉकी और उसके साथी बात करते हुए वही खड़े रहे ।

आलोक और अभय किसी तरह भारी सामान उठा कर दूसरी मंजिल पर ले गए । सीढ़ी से आगे बढ़ते ही बाएं हाथ पर सबसे आखिरी कमरा उनका था यानी 14 नंबर । बालकनी से नीचे देखने पर उन्हें आश्चर्य हुआ कि उनका कमरा ठीक कमरा नंबर 13 के ऊपर है । अभय ने ताला खोल कर दरवाजा खोला और दोनों सामान लेकर अंदर चले गए । 

दरवाजे के बगल में स्विच बोर्ड है उस पर चार - पांच स्विच है और एक चार्जिंग पॉइंट । अभय ने सारे स्विचों को एक - एक कर 'ऑन' किया । कमरे में एक 100 वाट वाला बल्ब लगा था जलने लगा, एक पंखा था जो मर्रे - मर्रे ( बहुत ही धीमी गति से) चलने लगा .. अभय ने पंखा को देखते हुए कहा “अगर पंखा ऐसे ही चलता रहा तो वे गर्मी से मर जाएंगे” पर तभी आलोक को ध्यान से देखने पर पंखे वाले स्विच के ऊपर एक 'नॉब' दिखा .. जिसे घुमाने पर पंखा तेज़ हो गया । दोनों ने कमरे का मुआयना किया .. कमरे में लाइट और पंखे के अलावा .. 2 फोल्डिंग थी और । दोनों ने एक फोल्डिंग पर अपना सामान रखा  

और दरवाज़ा बन्द कर आराम करने जा ही रहे थे कि तभी 2 लोग दरवाजे पर आ कर खड़े हो गए । 

- आप लोग नए है का ( उनमें से एक बोला )

- जी हां हम नए है और आप ( अभय ने पूछा )

- जी हमहू .. मतलब हम भी यहां नए ही है अरे आपके बगल वाले कमरा में है .. हमारा नाम अरविंद है हम मधुबनी बिहार से है और ये हमारा रूम पार्टनर यानी साथी है - गगनदीप .. बनारस से .. आप लोग कहा से है - 

- हम लोग डभौरा गांव से है .. प्रयागराज में पड़ता है (अभय ने बताया )

- अच्छा आप लोग वैसे भी पड़ोसी है ऐसे भी पड़ोसी है .. आप लोग आराम कर ले .. शाम को मिलते है । 

( इतना कहकर अरविंद ने गोविंद की ओर इशारा किया और दोनों सलाम कर वापस चले गए .. उनके जाते ही अभय ने दरवाजा बंद कर दिया और फोल्डिंग पर आ कर लेट गया )।

अभय ने जेब से फोन निकाला और एक जगह फ़ोन लगाने लगा .. बगल में बैठा आलोक बोल पड़ा - 

- भाभी को लगा रहा है का 

- हा देख रहे उनको कमरा मिला की नहीं 


स्वामी विवेकानंद कॉलेज के तहत कई महिला हॉस्टल है - उनमें से एक है - कौशल्या देवी गर्ल्स हॉस्टल । अभय की दोस्त - रेणु ने भी इसी कॉलेज में ग्रेजुएशन के लिए एडमिशन लिया है । 

रिंग जा रही थी .. थोड़ी दे दर में फ़ोन उठा 

- हेलो - हां अभय कैसे हो ?? कमरा मिला ..

- हां कमरा मिल गया .. तुम कैसी हो ?

- मैं ठीक हुं - पर सुनों अभी बात नहीं कर सकती .. हमारी सीनियर है शालिनी वो जूनियर्स की रैगिंग ले रही है .. बाय । 


इतना कह कर रेणु ने फ़ोन रख दिया पर उसकी बात सुनकर अभय का दिमाग फिर गया .. उसने तुरंत ही आलोक को पूरी बात बताई - 

- अच्छा तो शालिनी .. रॉकी की प्रेमिका होगी .. दोनों एक जैसे गुण वाले मिले है .. अब आराम कर ।

आलोक अपनी फोल्डिंग पर आराम करने चला गया और अभय सोच में डूबे - डूबे कब सो गया उसे पता ही नहीं चला । 


शाम को 8 बजे बगल का पड़ोसी जगाने आया - 

- अरे अभय , आलोक अभी तक सो रहे हो क्या मेस वाली घंटी बज गयी है .. चलो खाना खा लों .. देर से आने वालो को नहीं मिलता है .. फटाफट उठो ..

दरवाजे से बोलकर अरविंद वापस चला गया .. कुछ ही क्षणों में दोनों उठ कर बैठ गए और किसी तरह .. खोजते - खोजते मेस तक पहुंचे ..



अध्याय - 2 

   रैगिंग न हुई बवाल हो गया 



रात को 9 बजे के आस - पास दोनों खा-पीकर फुरसत हुए और वापस कमरे की तरफ जाने लगे । उन्हें सामने की तरफ कुछ लोगों का झुंड दिखा .. थोड़ी देर में पूरा माजरा समझ आया .. सीनियर्स कुर्सी पर बैठ कर .. जूनियर्स से रैगिंग ले रहे थे .. किसी को गाना - गाने को कह रहे है तो किसी को नाचने को .. तो किसी को एक्टिंग करने को .. 

दोनों को देख लिया गया और उन्हें बुला लिया गया .. अभय और आलोक को अलग - अलग टास्क मिला .. एक को नाचने का और एक को गाने का .. आलोक ने गाना सुनाया पर अभय ने ये कह कर नाचने से मना कर दिया कि उसे नाचना नहीं आता और अभय को लेकर कमरे में चला गया । 

रॉकी को इस बात का बहुत बुरा लगा उसने अपने साथियों से कह कर उसे पकड़ लिया और तब तक पीटा जब तक अभय माफी न मांगने लगे पर अभय थोड़ी ही देर में बेहोश हो गया .. आलोक ने अभय को सहारा दिया और अपने कमरे में ले के आया । 


रात को अचानक अभय को किसी के रोने की आवाज़ सुनाई दी .. किसी लड़के के सिसक - सिसक के रोने की आवाज आ रही थी .. अभय ने आँख खोल कर इधर - उधर देख कर ये जानने का प्रयास करने लगा की आवाज आ कहाँ से आ रही है पर बेहोशी में होने की वजह से कुछ समझ नहीं आ रहा था । धीरे - धीरे आंखे खोल कर देखने का प्रयास किया पर .. आवाज से इतना तो जान गया था कि या तो बगल में या नीचे कोई रो रहा है । इससे पहले वो कुछ और समझ पाता कमरे की लाइट चली गयी और बाहर से कोई दरवाजा खटखटाने लगा। 

दरवाजा आलोक ने खोला .. दरवाजे के बाहर 4 लोग खड़े थे हाथ में मोमबत्ती लिए .. हुड से चेहरा ढके हुए .. अचानक उन्होंने आंखे ऊपर की .. आलोक आंखे देख कर घबरा गया और खूद को संभाल नही पाया और पीछे गिर गया । उन चारों लोगो के आंखों से खून निकल रहा था .. सबसे आगे खड़े शख्स ने अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाये और उसके इशारे पर उसके दोनों साथी आगे बढ़े और अभय को पकड़ लिया और जबरदस्ती उसे अपने साथ ले जाने लगे और दरवाजे को बाहर से लॉक कर दिया । आलोक ने कई बार दरवाजा खटखटाया , चिल्लाया पर किसी ने भी दरवाजा नही खोला .. उधर अभय को लेकर रूम नंबर 13 में छोड़ दिया । अभय को याद था कि कमरा नंबर 13 अधूरा था .. न दरवाजा .. न खिड़कियां .. पर इस वक़्त इसमे एक दरवाजा लगा है । उन चारों ने उसे कमरे में फेंक कर दरवाजा बन्द कर दिया । अभय कुछ देर शांति से लेता था कि तभी उसे फिर से किसी के रोने की आवाज़ आने लगी । उसने अंधेरे में इधर - उधर देखने का प्रयास किया पर उसे कुछ भी नजर नही आया .. थोड़ी देर में आंखे अभ्यस्त हुई .. तब उसे थोड़ी दूरी पर किसी के बैठ के रोने का आभास हुआ । अभय किसी तरह घिसट कर उस रोते हुए इनसान के पास .. दिलासा देने पहुंचा .. अभय ने जैसे ही उसे छुआ .. उस इंसान ने अपना मुंह ऊपर उठाया और उसे देख कर अभय चौक गया ....


इधर - कमरे के बाहर चारों लोगो ने अपना हुड उतारा और आपस में हँसी - मजाक करने लगे .. ये रॉकी और उसके सदस्य थे जो अभय के साथ मजाक कर रहे थे .. की तभी कहीं से वार्डन आ गया उसने रॉकी को इस तरह मस्ती करते देखा तो समझ गया की इन लोगो ने कोई कारनामा किया है । 

इससे रॉकी से वार्डन कुछ पूछता .. रॉकी ने खुद ही बताना शुरू कर दिया - 

- ऐ वार्डन .. इस कमरे में अभय बंद है .. उसको सुबह से पहले बाहर नहीं निकालना .. 

- क्या किस कमरे में .. (वार्डन ने आश्चर्य से कहा )

- अरे ये है न .... कमरा नंबर 13 .. 

- अरे ये तुमने क्या कर दिया .. और दरवाजा कहां से मिला ??

- पीछे के मैदान से .. (रॉकी ने बड़े - अनमने ढंग से जवाब दिया )

- उफ्फ ये क्या कर दिया तुमने ...


वार्डन ने सिर पर हाथ रख लिया और भागता हुआ कमरा नंबर 13 तक पहुंचा .. दरवाजा को देखते ही उसके होश उड़ गए .. उसके मुंह से अनायास ही निकल गया ..


- अरे ये तो वहीं दरवाज़ा है .. 


उसने तेजी से दरवाज़ा खोला और अंदर दाखिल हुआ .. टोर्च की रोशनी में जो नजारा देखा .. उसे देख कर उसके होश ही उड़ गए .. अभय घुटनों के बीच में सर छुपाये रो रहा था ..

इतने में रॉकी और उसके साथी भी वहां पहुंच गए .. रॉकी के साथ .. जैंगो और मयंक के अलावा .. गोली करके चौथा साथी भी था .. रॉकी ने गोली को इशारा करके .. अभय को उठाने को कहाँ - वार्डन के मना करने के बाद भी .. रॉकी की दबाव में आ कर गोली ने जैसे ही अभय को उठाने के लिए हाथ लगाया .. अभय ने गोली को गर्दन से दबोच लिया और उसके गर्दन पर दांत गड़ा कर खून पीने लगा .. वार्डन .. तुरंत भाग लिया और वार्डन के पीछे - पीछे - रॉकी और उसके साथी भी भाग लिए ..

भागते हुए तीनों वार्डन के कमरे में पहुंचे .. वार्डन ने दरवाजा अंदर से बन्द कर लिया .. बहुत घबराया हुआ दिख रहा था । 

रॉकी ने वार्डन ने कॉलर से पकड़ कर पूछना शुरू कर दिया - 

- क्या था वो 

- मैं नही जानता 

- सच बताओ क्या जानते हो तुम 

- तुम चारों में से कोई नही बचेगा और न ही मैं ..

- अबे वो है क्या (रॉकी का गुस्सा अब चरम सीमा पर था )

- बताता हु - 


अध्याय 3

इतिहास खुद को दोहराए 


ये 5 साल पहले की बात है तब भी इसी तरह रैगिंग होती थी .. इससे भी ज्यादा .. उस साल एक नया लड़का आया था ... विकास नाम था..। तरह - तरह की रैगिंग की गयी उसके साथ .. इतनी बुरी रैगिंग शायद ही कभी किसी के साथ हुई हो । कमरा नंबर 13 उसी को अलॉट था उसी कमरे में उसको बाहर से बन्द कर उसके कमरे की लाइट बंद कर दी गयी .. उसे अंधेरे से बहुत डर लगता था .. थोड़ी ही देर में डर की वजह से उसका हार्ट फेल हो गया .. सुबह जब कमरा खुला तब उसकी लाश मिली .. मामला आया - गया हो गया .. किसी को कोई सज़ा नही हुई .. रैगिंग का मामला उठा ही नही उसके बाद से कोई भी उस कमरे में रह नहीं पाया ..  विकास ने सबको मार दिया .. तंग आ कर 2 वर्ष पहले इस कमरे के खिड़की और दरवाजे तोड़ दिए गए .. न रहेगा कमरा .. न कोई आ कर रुकेगा .. 

पर तुम लोगो ने दरवाजा जोड़ कर उस खंडहर को फिर से कमरा बना दिया .. ऊपर से तुम लोगो ने अभय के साथ जबरदस्ती रैगिंग भी की .. अब वो पहले से ज्यादा गुस्सा और ताकतवर है .. और अब उसके मृत्यु और अभय के रैगिंग में जो भी शामिल होगा मारा जाएगा । 


इससे पहले वार्डन कुछ और कह पता पूरे हॉस्टल की लाइट चली गयी .. फिर थोड़ी देर में वापस आयी तो धीम - तेज होने लगी । चारों घबरा कर बाहर निकले तो सामने अभय खड़ा जिस पर विकास की आत्मा सवार थी .. 

जैंगो ऊपर की भागा और मयंक दूसरी तरफ .. वार्डन और रॉकी वही रह गए .. जैंगो ने जैसे। ही दूसरी मंजिल पर कदम रखा .. चारों तरफ तेज़ हवाएं चलने लगी .. दरवाजे अपने आप खुलने और बन्द होने लगे .. आलोक का दरवाजा भी अपने आप खुल गया .. आलोक ने बाहर निकल कर जब अभय को देखा तो उसके होश उड़ गए .. अभय .. जैंगो के सामने खड़ा है .. उसकी आंखों में खून निकल रहा है । इसके पहले आलोक कुछ कर पाता अभय ने जैंगो को सिर को पकड़ा और इतनी तेज़ी से दबा दिया की उसका सिर तरबूजे की तरह फट गया । 

इधर मयंक भाग रहा था की तभी उसे गोली नजर आया .. जो बचाने की गुहार लगा रहा था .. मयंक को तरस आ गया .. उसे बचानें के लिए जैसे ही मयंक ने जैसे ही उसके घांव पर हाथ रखा .. गोली .. अभय में बदल गया और घाव के जरिये मयंक की शरीर की चमड़ी खींच ली .. मयंक का सिर्फ कंकाल बचा था ।

दूसरी तरफ वार्डन अपने कमरे में कैद था .. उसके कमरे की लाइट धीम - तेज़ होते होते अचानक चली गयी .. कुछ ही क्षणों में वापस आयी ..तब वार्डन को एहसास हुआ की उसके पीछे कोई खड़ा है .. वार्डन जैसे ही पलटा उसकी चींख निकल गयी .. वार्डन के होठ से अपने होठ लगा कर उसकी जिंदगी खीच ली और वार्डन कुछ ही क्षणों में बेजान सा जमीन पर पड़ा था । अजीब से रहस्मयी शक्ति थी अभय में आलोक को छोड़ कर बाकी सब को ऐसे सुला दिया जैसे की वो बहुत गहरी नींद में हों .. 

रॉकी भाग कर छत पर पहुंच चुका था .. रॉकी के पीछे - पीछे आलोक भी पर .. अभय का शरीर उड़ता हुआ दूसरे तरफ से आया .. रॉकी को पकड़ा और अपने साथ कमरा नंबर 13 में ले गया .. कुछ ही क्षणों में रॉकी की घुटी - घुटी से चीख निकली फिर कुछ ही पलों में सब शांत हो गया ।

सुबह अभय उसी कमरे में मिला .. वो कैसे आया और रात में हॉस्टल में क्या क्या घटा उसे कुछ याद नही - सब उसे बाहर निकाल ही रहे थे कि तभी उसने एक कुटिल मुस्कान ली और धीरे से दीवार की तरफ मुख करके कहाँ -

रैगिंग करने वालों से मैं बदला लेता रहूंगा ... 


समाप्त  




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