कपल केस
कपल केस
शिक्षकों की ऑनलाइन ट्रांसफर पालिसी मनोहर लाल सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक कही जा सकती है। प्रदेश में सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी शिक्षक ही हैं, इसलिए इनके ट्रांसफर के लिए मारामारी हमेशा से ही बनी रही है। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बंसीलाल का शिक्षकों के प्रति हमेशा उपेक्षा का भाव जगजाहिर रहा है। एक बार उन्होंने शिक्षकों को सबक सिखाने के लिए हर शिक्षक का तबादला उसके निवास से 20 मील दूर कर दिया था। विरोधस्वरूप बंसीलाल के इस तानाशाही कदम के खिलाफ 1973 में हरियाणा के 22 हजार शिक्षकों ने गिरफ्तारियां दी थीं। हरियाणा की जेलें शिक्षकों से खचाखच भर गईं थीं। इसके चलते बहुत से शिक्षकों को पड़ोसी राज्यों की जेलों में भी भेजना पड़ा था।
कहने का भाव यह है कि शिक्षकों का तबादला हमेशा से ही भिरड़ (बर्र) के छत्ते में हाथ डालने जैसा रहा है। इसके चलते राज्य में शिक्षकों के तबादले ने एक उद्योग का रूप ले लिया था। मगर ऑनलाइन पॉलिसी के कारण हर शिक्षक संतुष्ट है और इसने भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
किस्सा 1987 का है। उस साल हरियाणा के विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री बंसीलाल के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की जबरदस्त पराजय हुई थी। कांग्रेस पार्टी मात्र 5 विधायकों तक ही सिमट गई थी।
नई सरकार स्वर्गीय चौधरी देवीलाल के नेतृत्व में बनी। जैसाकि हमेशा से होता आया है कि नई सरकार बनने पर शिक्षकों के तबादले थोक में होते हैं तो उस समय भी तबादले हुए। भिवानी जिले में कार्यरत एक शिक्षिका का तबादला उसके घर से काफी दूर कर दिया गया। उसने तबादला रोकने के लिए हर जगह गुहार लगाई, यहाँ तक कि वह शिक्षा मंत्री तक भी गई, मगर तबादला रुका नहीं।
चौधरी देवीलाल सर्वत्र, सर्वसुलभ, सबकी सुनने वाले मुख्यमंत्री थे इसीलिए उनको जन नेता की उपाधि मिली हुई है। हर जगह से थक हारकर वह शिक्षिका अपना ट्रांसफर नोट लेकर भिवानी में एक प्रोग्राम में आए तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के पास पहुंच गई।
उसने मुख्यमंत्री को ट्रांसफर नोट दिया और कहा: सर, मेहरबानी करके मेरा तबादला रद्द करवा दो।
चौधरी देवीलाल ने चिर परिचित अंदाज में कहा: ठीक स, हो ज्यागा।
(ठीक है, हो जाएगा)
पर शायद शिक्षिका को मुख्यमंत्री के आश्वासन पर पूरा यकीन नहीं हुआ। अतः उसने अपने ट्रांसफर रद्द करवाने के दावे को और ज्यादा वजनदार बनाने के लिए कहा: सर, मेरा कपल केस भी है।
(तबादलों में कपल केस को कंसीडर किया जाता है जिसके तहत अगर पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हों तो उनको एक ही स्टेशन पर रखा जाता है)
यह सुनकर मुख्यमंत्री देवीलाल ने भी चुटकी ले ली बोले: कपल केस तो मेरा भी स, मैं तो चंडीगढ़ रहूँ अर चौधरण तेजाखेड़ा, मैं किस धोरे आपणी एप्लिकेशन लेके जाऊं ?
(कपल केस तो मेरा भी बनता है, मुझे तो राज्य के कामकाज के सिलसिले में चंडीगढ़ रहना पड़ता है पर मेरी पत्नी हरकी देवी तेजाखेड़ा, सिरसा रहती हैं। हम दोनों पति-पत्नी इक्कठे कैसे रहें ? मैं ये दरख्वास्त लेकर कहाँ जाऊं ?)