नकली आँख
नकली आँख
बड़े नेताजी तो बन गए पर दुर्भाग्य से एक आँख खराब थी।
विदेश भी जाना हुआ। पता चला कि वहाँ नकली आँखें बड़ी सुंदर और हूबहू बनाई जाती थीं।
फैसला लिया कि खुद के लिए भी एक नकली आँख बनवा ली जाए।
नकली आँख बनी, पहनी।
नकली आँख इतनी परफेक्ट बनी थी कि सभी धोखा खा गए कि असली कौन सी है और नकली आँख कौन सी ?
कोई भी अंतर नहीं बता पाया।
एक जिगरी यार के पास गए हुए थे, उससे भी पूछा इन दोनों में से असली आँख कौन सी है ?
आँखों में आँख डालकर जिगरी यार तुरंत बोला, 'ये' है।
आश्चर्यमिश्रित स्वर में पूछा, तुझे कैसे पता चला !!!
इसमें कौन सी बड़ी बात है। इस आँख में शर्म नाम की कोई चीज ही नहीं है।