Ruby Mandal

Tragedy Fantasy Inspirational

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Ruby Mandal

Tragedy Fantasy Inspirational

सकारात्मक सोच।

सकारात्मक सोच।

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एक दिन यमराज के मन में विचार आया । चलो! कुछ लोगों को डराया जाए । उनके स्वप्न में जाकर उन्हें भयभीत कर थोड़ा मजा मस्ती पाया जाए। 


एक व्यक्ति के स्वप्न में जैसे ही पहुंचे उसके निंद्रा के मध्य में व्यक्ति यमराज को देखकर अत्यधिक प्रसन्न हुआ बोला आ ही गए, आप! आज मुझे लेने , मैं तो धन्य हुआ ।


यमराज बोले- तुझे डर नहीं लगा, मुझे देखकर! क्या तुझे अपने जीवन से मोह नहीं रहा?


व्यक्ति बोला :- क्या करूं इस व्यर्थ जीवन का? चैन तो कहीं भी अब मिलता नहीं , सुख और शांति की तलाश में रहता हूं ,बेचैन हुए कभी-कभी तो मन में आता है कि बिन बुलाए ही आपके पास में क्यों नहीं चला जाता, फिर सोचता हूं कि आप, अगर एंट्री ना दें ! तो शरीर से भी गया और आपके राज्य में भी कहीं अकाल पड़ जाए तो! मैं तो यु ही मृत्युलोक पर कभी वृक्षों पर, कभी खंडहरों में कभी किसी के शरीर में लड़कर भटकता फिरता रहूंगा। यहां- वहां भूत , प्रेतों के साथ भूख प्यास। श्मशान घाट पर भी आजकल सब का है नंबर लगता ।और इस कलयुग के संक्रमण के चलते ,ना इंसान चैन से जी पाता और मरने के बाद भी उसे मुक्ति के लिए लाइन में लगा कर स्वाहा किया जाता। ऐसी जिंदगी से तो मैं खुद ही अब जाना चाहता हूं ,कृपया ! मुझे अपने संग ले चले और इस पीड़ा भरे जीवन से मुक्ति दे । जब चला जाएगा यह संक्रमण का रोग तो फिर मुझे डाल देना किसी नवजात के देह में। मैं फिर नया जीवन लेकर आऊंगा और चैन से सुकून से जी पाऊंगा ।पर इस बार मुझे किसी धनवान के घर ही भेजना गरीबी में जी कर तंग ही हो गया हूं , ताने इतने मिलते हैं यहां जितना खाने के लिए दाने ना मिलते। यमराज को बहुत निराशा हुई,मन में बोले -शायद ! ये व्यक्ति परिश्रम करने से डरता है इसलिए जीवन से मोह नहीं है । इस जैसे ही निकम्मे व्यक्ति को किसी चीज का भी भय नहीं होता है। मेरे साथ चलने की बात तो इस प्रकार कर रहा है जैसे कि मैं इसे विश्व भ्रमण के लिए ले जा रहा हूं। 


व्यक्ति अब यमराज के साथ चलने के लिए उनका पीछा करने लगा और कहने लगा जब आप मेरे द्वार तक आए हैं ।तब आपको मुझे लेकर ही जाना पड़ेगा । मैं आपकी एक नहीं सुनूंगा । 


यमराज जी बड़ी चिंता में पड़ गए। उन्होंने कहा:- मुझे एक दो काम और निपटाने हैं ।मैं जाते समय तुम्हें अपने साथ अवश्य ले जाऊंगा। तब तक मैं बाकियों को भी वार्निंग देकर आता हूं।


व्यक्ति मान गया ,यमराज जी को थोड़ी शांति मिली । उन्होंने सोचा किसी स्त्री को ही भयभीत करता हूं। हर स्त्री तो सावित्री नहीं होती। जो मेरा पीछा पकड़ लेगी और यमलोक तक आ जाएगी, यह तो कलयुग है, सब अपने प्राणों की चिंता में ही व्यस्त रहते हैं। चलो! फिर आगे बढ़ता हूं ,वह एक स्त्री के पास पहुंचे ।स्त्री अपनी गहरी निंद्रा में स्वप्न में श्रृंगार करने में व्यस्त थी।


यमराज को देखते ही वह इतनी प्रसन्न हो उठी और कहने लगी:- आपने आने में इतनी देर क्यों कर दी। मैं ना जाने कितने दिनों से आपका इंतजार कर रही हूं। चलिए !आपका भैसा कहां है, दिखाई नहीं दे रहा ? मुझे उसकी सैर भी करनी है।


लोग तो आपके आने के लिए बुढ़ापे तक इंतजार करते हैं। इस जीवन से मिली कठिनाइयों को संघर्ष करते हुए न जाने कितने ही अनुभवों को अपने अंदर संजोते है । तब जाकर जीवन का मूल मंत्र समझ कर उसे कैसे जिया जाए इस बारे में ज्ञान बखाने लगते हैं। मैं तो आपके इंतजार में ही इतनी देर से प्रतीक्षा कर रही हूं। स्त्री को इस प्रकार आनंद से विभूषित हुए देखकर यमराज फिर बहुत आश्चर्यचकित होते हुए कहते हैं - हे नारी! क्या तुम्हें अपने परिवार पति और बच्चों से प्रेम नहीं है? क्या तुम उनके साथ इस जीवन को सुख से जीना नहीं चाहती हो? तुम क्यों मेरे साथ चलने के लिए इतनी आतुर हो ? तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता कि मैं यमराज हूं , मृत्यु को अपने साथ लेकर चलता हूं और जीवन से उसे छीन लेता हूं। 


तुम तो मुझसे इस प्रकार बात कर रही हो जैसे कि मृत्यु पाकर तुम अमृत को पा लोगी। इतनी भी क्या आतुरता है मृत्यु को पाने की और मेरे साथ यमलोक जाने की ? मैंने तो सोचा कि तुम भयभीत हो जाओगी और अपने प्राणों की रक्षा के लिए मुझसे गुहार लगा ओगी। मैं तो लोगों के चेहरे पर भय का वातावरण देखना चाहता था ।पर तुम तो मुझे देखकर इतनी प्रश्न हो रही हो। ऐसा भी क्या पा रहे हो, तुम मनुष्य मृत्यु को पाकर ।


महिला :- अब यह पृथ्वी जीवन जीने योग्य नहीं रही है। मैं अपने पति परिवार बच्चों से अत्यधिक प्रेम करती हूं ,पर पिछले कुछ दिनों से मुझे कोरोनावायरस हो गया है ,और सभी ने मुझे इस दरवाजे के पीछे अकेला छोड़ दिया है। यहां बैठे बैठे हैं अत्यधिक अधीर हो गई हूं, घर से बाहर निकल नहीं सकती। बच्चे मेरे पास आ नहीं सकते सभी को अपने प्राणों का भय होता भी है और नहीं भी । कभी-कभी तो कहते हैं :- हम आ जाते हैं आपके पास , मृत्यु को सब एक साथ ही प्राप्त करके चले जाएंगे। हमें बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा ,हमें मां की ममता चाहिए ।पति भी कुछ इसी प्रकार की बातें कर रहे हैं , वह मेरे पास आ गए तो उन्हें भी यह घातक रोग लग जाएगा। 

मैं नहीं चाहती कि मेरे कारण मेरे ही परिवार के सदस्यो को किसी भी प्रकार की असुविधा हो और यह कोरोना ना जीने देता है मनुष्य को, ना मरने। भय का ऐसा वातावरण है कि मानव चाह रहे हैं कि जो हो जाए एक साथ ही क्यों ना मरा जाए। कितने सालों से सुन रही हूं, प्रलय आएगी! प्रलय आएगी! वह भी तो नहीं आती । जो यह पूरे पृथ्वी एक साथ ही मृत्यु के मुख में समा जाएं और इस कष्ट दाई जीवन से मुक्ति पाएं ।


यमराज और ज्यादा आश्चर्य चकित होकर कहते हैं:- यह कौन सी बीमारी इस प्रकार की है, जो मुझसे भी भयंकर हो गई है। यमराज का भय किसी को भी ना रहा । अगर कोरोना होने का भय हर किसी के अंदर विद्यमान हैं और विद्यमान भी कुछ इस प्रकार से है कि लोग उसे कोई छोटी मोटी बीमारी नहीं समझते। मनुष्य तो भयानक रूप में इसको ऐसे समझ रहे हैं जैसे किसी के पीछे भूत पड़ा हुआ होता है, वैसे ही हर इंसान अपने पीछे कोरोनावायरस को देख रहा है । उस भय से छुटकारा पाने के लिए वह सोच रहा है कि यमराज आएं और हमें चुपचाप अपने साथ लेकर चल जाएं । 

उन्होंने सोचा क्यों ना जाकर इस कोरोना को ही मैं अपने साथ लेकर चलूं। वह कोरोना को खोजने के लिए निकलते हैं कि कौन ऐसा कौन - सा ऐसा रोग है , जिसने मेरा ही भय मिटा डाला और मेरे कार्यो को करने में असुविधा पैदा कर रहा है। कोरोना को खोजने के लिए यमराज आकाश मार्ग से जाते हैं । 

तभी एक बच्चा की आत्मा उन्हें रास्ते में खेलती हुआ दिखाई देती है। यमराज सोचते हैं ,बड़े लोगों को तो मैं जरा भी भयभीत नहीं कर सका ।चलो इस बच्चे को ही भय दिखाकर अपने मन को थोड़ा संतुष्ट करता हूं कि मेरा डर किसी के अंदर तो विद्यमान होगा।


यमराज बच्चे के पास जाते हैं, बच्चा यमराज को देखकर जोर-जोर से हंसते हुए कहता है-: अंकल अभी आप लॉकडाउन में कौन से फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में जा रहे हैं ,जो यमराज के कपड़े पहन कर और इस भैंस को साथ में लेकर घूम रहे हैं । यमराज कहते हैं :- बालक! मैं सचमुच का यमराज हूं , तुम्हें मुझे देखकर भय होना चाहिए ।मैं तुम्हारे प्राणों को हर सकता हूं ,तुम्हें मृत्यु दे सकता हूं ,क्यों तुम्हें मुझसे भय नहीं लग रहा है।

बालक मुस्कुराते हुए कहता हैं :- क्या आप सच कह रहे हैं ! आप यमराज हैं ? 

यमराज:- हां ! मैं तुमसे झूठ क्यों बोलूंगा भला। मैं ही यमराज हूं, लोगों के प्राणों को हरना मेरा ही कार्य है। मुझसे तुम्हें डरना चाहिए कि मैं तुम्हें तुम्हारे जीवन से मुक्त कर अपने साथ ले जाना चाहता हूं , मगर तुम भयभीत क्यों नहीं हो रहे? 


बालक यमराज के पैरों में पड़ जाता है। यमराज बहुत प्रसन्न हो जाते हैं, सोचते हैं! अब यह बालक कहेगा कि मैंने तो अभी दुनिया में कुछ भी नहीं देखा! आप मुझे इतना जल्दी क्यों मृत्यु दे रहे है? मुझे क्षमा कीजिए और जीवित रहने दीजिए।

बच्चा भय के कारण कापने लगेगा, तब मैं थोड़ा प्रसन्न होकर हा! हा !हा !हा में हंसकर, किसी भी गलत कार्य को करने के लिए मना करूंगा।


तभी बालक यमराज के पैरों में गिर कर कहता है:- मृत्यु के देवता यमराज! मैं आपकी प्रतीक्षा कर रहा था और आपने मुझे इतनी जल्दी दर्शन दे दिए । यह तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। चलिए! मैं आपके साथ चलने के लिए तैयार ही खड़ा हूं। मैं प्रतिदिन स्वप्न में इस कोरोनावायरस से संक्रमित शरीर को छोड़कर जाने के लिए शरीर से बाहर निकलता हूं। पर ये माया मुझे इस बालक के शरीर से निकलने पर वापस खींच लिया करती हैं और आपके आने की प्रतीक्षा करने को कहती हैं। 


यमराज बहुत आश्चर्यचकित हुए उन्होंने बालक से कहा :- तुझे अपने माता- पिता से प्रेम नहीं है, तुम इस जीवन से प्रेम नहीं करते हो । यहां पर तुम्हें क्या  दुख प्राप्त हो रहा है? तुम क्यों मेरे साथ जाने के लिए इतनी आतुर हो ।


तभी बच्चा बोलता है इस कोरोना समय में मेरे माता-पिता को कोरोनावायरस ने अपना शिकार बना लिया ।उन्हें अब आपके पास भेज दिया, मैं भी भला यहां जी कर क्या करूंगा! यहां पर तो लोग अपने ही परिवार के अपने ही लोगों को नहीं देख पा रहे हैं और मेरा तो इस दुनिया में कोई भी नहीं रहा सभी कोरोना की भेंट चढ़ गए ।सभी को कोरोना  ने निगल लिया। मैं भी अब अपने परिवार के पास जाना चाहता हूं । मुझ पर कृपा कीजिए !मुझे अपने साथ ले चलिए। मैं अपने माता-पिता के साथ आप ही के राज्य में रहूंगा। 


यमराज को क्रोध आ जाता है ,यह कौन सा ऐसा राक्षस है। जिसने मेरा कलयुग में नाम ही धूमिल करके रख दिया। किसी को भी मुझ से डर रहा ही नहीं । बच्चे से लेकर बड़े, बूढ़े ,सभी मेरे साथ खुशी-खुशी चलना चाहते हैं। किसी को जीवन का मोह नहीं रहा। अब तो मैं इस कोरोना से मिलकर ही रहूंगा। वह बच्चे से पूछते हैं, यह कोरोना मुझे कहां मिलेगा ? मैं इस से मिलना चाहता हूं । 

बच्चा और कहता है सब लोग कहते हैं कि मेरे अंदर भी कोरोना है। आप सही देख लीजिए, मेरे अंदर ही आपको कोरोनावायरस मिल जाएगा।वैसे तो यह आया चीन के एक नगर से था पर इसने थोड़े ही समय में पूरे विश्व पर जीत हासिल करली।


यमराज बड़े क्रोधित हुए और कोरोना को खोजने लगे, लड़के ने तभी छीक मारी, छिक के साथ कोरोनावायरस भी हवा में दौड़ने लगा यमराज ने जैसे ही उसको देखा अपना रूप छोटा सा बनाया और उसके पीछे दौड़े। कोरोनावायरस खुशी से दूसरे के कंधे पर जाकर बैठ गया। तभी यमराज भी उसके पीछे जाकर बैठे और बोले :- तू इतना छोटा सा वायरस जिसने पूरी पृथ्वी को अपने कंट्रोल में कर रखा है। ऐसा खौफ है तेरा की यमराज को देखकर भी लोग नहीं डरते हैं ।उल्टे खुश होने लगते हैं और मेरे साथ जाने की जिद करने लगते हैं।

इस प्रकार अगर मनुष्य मेरे साथ मेरे राज्यों में आने लगे तो पृथ्वी पर कोई भी जीवित नहीं बचेगा। ऐसी कौन सी शक्ति है जो तू बार-बार रक्तबीज राक्षस की तरह अपना रूप बदलता ही चला जा रहा है? क्या तेरा नाश करना किसी के बस में नहीं है ? 

तभी कोरोनावायरस हंसते हुए बोला:- मुझे पता था! एक दिन आप आएंगे मेरे पास, मैं मनुष्यों का बनाया हुआ, वह हथियार हूं, जो उसने एक दूसरे को मारने के लिए प्रयोग किया और अब खुद ही मेरे सामने हथियार डाल चुका है । वह जैसे ही मेरे किसी एक रूप को मारता है या उसके लिए कोई औषधि का आविष्कार करता है, मैं अपना दूसरा रूप धारण कर लेता हूं । मैं कलयुग रावण भी हूं, और रक्तबीज, महिषासुर जैसे राक्षस भी मेरे सामने छोटे हो गये है । मेरे सामने कोई भी टिक नहीं सकता ।जब मैं थोड़ा शांत होता हूं, लोग सोचते हैं! मैं अब नहीं आऊंगा ,जैसे ही लोगों के मन से मेरा भय निकलने लगता है। मैं फिर उन्हें अपना शिकार बनाता हूं। नए रूप में और इस प्रकार में उनके मन में और उनके शरीर पर राज कर रहा हूं ।

मेरे साथ कई लोगों का भी स्वार्थ जुड रखा है ,मुझे जब चाहे कुछ लोग भय के रूप में लोगों के भीतर अंकित कर देते हैं। और उन लोगों ने मुझे लोगों के शरीर में रहने का रास्ता भी बतलाया है ,और वही लोग मेरा साम्राज्य बढ़ाने में मदद भी कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि मुझे खत्म नहीं किया जा सकता मगर आज लोग एक दूसरे से ही इतना विद्रोह रखते हैं कि वह खुद ही मुझे खत्म नहीं होने देंगे। वह हमेशा ही चाहेंगे कि वह स्वयं तो सुरक्षित रहें और दूसरों को मुझसे हानि पहुंचाते रहें । मेरे भय का आतंक बनाए रखें ताकि उनका स्वार्थ सिद्ध हो सके ।अब देखो मैं कौन सा रूप लूंगा कि देवता और दानव किसी को भी नहीं छोडूंगा।


यमराज को भी अब कोरोनावायरस से भर लगने लगता है ।वह विनम्र निवेदन के साथ कहते हैं:-

मनुष्य ने भी अनेक प्रकार के अत्याचार और पाप किए हैं और एक दूसरे का शोषण भी करते हैं, तो आप उनके कर्म के अनुसार ही उन्हें लगा किजिए। मैं आपको अपने यमलोक का सेनापति बना दूंगा।

कोरोना पर मैं तो आपको अपनी कोरोनावायरस सेना का मुख्यमंत्री बनने का अवसर देता हूं। साथ ही ये अनुमति भी दूंगा की आप जब जिसे मृत्यु देना चाहें दें सकते हैं जैसे में करता हूं क्योंकि मैं किसी को भी नहीं छोड़ता, जो मुझसे उलझता है उसे मैं आपके यहां पर भेजे बिना नहीं छोड़ता। यमराज को अत्यधिक क्रोध आया वह बोले तुझे नाश करने का मेरे पास एक अचूक रामबाण तरीका है पर तुझे यह भ्रम हो चुका है कि तू अब इस दुनिया से नहीं जाएगा । लेकिन तू ये भूल गया, कि जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी निश्चित होती है ।

मनुष्य को तो मैं फिर भी पुनर्जन्म देखकर बाकी की जीवन को जीने के लिए धरती पर भेज सकता हूं। पर तुझे मैं अपना अधिपत्य नहीं जमाने दूंगा। 


यह कहते हुए यमराज आकाश में चले जाते हैं और भगवान शिव के पास जाकर कहते हैं:- हे प्रभु! सम्पूर्ण धरती कोरोना के कारण आतंकित है। इतना आतंक है उनमें कि कोई पाप और पुण्य को भी नहीं मान रहा है। हर कोई सोचता है कि जब मरना ही है और वह भी कोरोना से तो डरना कैसा! जो मर्जी आ रहा है कर रहा है । कृपा करके आप इस कोरोना का अंत कर दीजिए । जिस प्रकार आपने शक्ति की देवी काली मां से रक्तबीज को हराया था। उसी प्रकार मां शक्ति को कहिए कि वह इस कोरोनावायरस को भी हरा दे। नहीं तो व्यक्तियों में ना तो ईश्वर के प्रति श्रद्धा बचेगी। अब तो मृत्युलोक में मुझे देखकर मनुष्य भयभीत नहीं होते, बल्कि खुशी से झूम उठते हैं। अपने परिवार को त्यागने के लिए तत्पर रहते हैं। इस प्रकार तो मनुष्य समय से पहले ही अपना जीवन खो बैठेंगे और मेरा राज्य समाप्त हो जाएगा ।मैं इस प्रकार का अत्याचार और नहीं सह सकता। कृपया कर आप किसी रूप में इस कोरोना का अंत कीजिए। 


महादेव कहते हैं:- यह भी तो मनुष्य ने स्वयं के सर्वनाश के लिए और शक्तिशाली बनाने के लिए स्वयं ही बनाया है। इसे तो मैंने नहीं बनाया, तो जिसे मैंने बनाया ही नहीं उसका अंत में कैसे करू। जिन लोगों ने इसे बनाया है उन्हें भी यह मार चुका है, और विज्ञान भी इसके सामने घुटने टेक चुके हैं । 

फिर भी लोगों में जीवन को जीने की इच्छाशक्ति अगर दृढ़ है और वह इस भय को अपने मन से निकाल सके तो फिर मैं कुछ कर सकता हूं। यह कहकर वह शक्ति देवी से अनुग्रह करते हैं कि वह सूर्य के किरणों में बदल जाए और सूर्य के प्रकाश के साथ वायुमंडल में फैल जाए तथा जो मनुष्य श्रद्धा और विश्वास के साथ अपनी इच्छा शक्ति को दृढ़ करता है उसके शरीर में यह सकारात्मक प्रभाव द्वारा उसके शरीर में ही कोरोना का अंत कर दे ।  


धीरे-धीरे फिर मनुष्यों का विश्वास अपने आप पर मजबूत होने लगता है ।उनकी इच्छा शक्ति प्रबल होने लगती है ,और ईश्वर में विश्वास अटूट हो जाता है, कोरोना का अंत हो जाता है । फिर से सम्पूर्ण पृथ्वी कोरोना विहीन हो जाती है। मनुष्यों में जीवन के प्रति इच्छाशक्ति फिर जीवित हो जाती है ।कोरोनावायरस का भय का वातावरण ही समाप्त हो जाता है ।


कहते हैं "जहां चाह है वहां राह"। फिर क्यों ना हम अपनी मन की इच्छा शक्ति और विश्वास को इतना दृढ़ कर ले कि कोई भी नकारात्मक ऊर्जा हमारे सकारात्मक विचारों को मारने ना सके और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा इस प्रकार से विद्यमान हो जाए कि वह नकारात्मक ऊर्जा को शरीर के अंदर उत्पन्न ही ना होने दें। तब मनुष्य पहले की भांति जीवन जी सकेंगे और यमराज का भय फिर से बना रहेगा।


ये केवल एक सकारात्मक सोच का स्वप्न है और मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि ये स्वप्न सच हो जाएं। जीवन फिर से संक्रमण से मुक्ति पा जाए।

धन्यवाद


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