ना थको मुसाफिर
ना थको मुसाफिर
जिस राह पर तू चला मुसाफिर ,
ना थक कर तुम लौट आना।
तुम सिकंदर हो हर हाल में मंजिल पाकर आना।
मृत्यु से कठोर ताना सुना तुमने,
तुम बोल रहे हो ताना में जमाना सुना तुम।
जब सभी मौज मस्ती की दुनिया में खोया था
बेफिक्र तुम अपनी रात की नींद खोया था।
जिस दिन सभी अपने प्रेमी प्रेमियों के साथ वैलेंटाइन डे मनाया था ,
तुम पुलवामा की याद में रात भर आंसू बहाया था।
नई नई फैशन की दुनिया को तू ने लात मारा था
नई कपड़े की जगह तुमने ncert book अपनाया था।
जिस राह पर तू चला मुसाफिर
ना थक कर तुम लौट आना
तुम सिकंदर हो हर हाल में मंजिल पा कर आना ।