रात
रात
रात की नीरवता में
सोच का विस्तृत आकाश
ह्रदय के तार छेड़ता,
तो कभी टूटता आत्मविश्वास,
कभी बाधित होता मन का सहज सरल विकास।
रात की नीरवता में,
सन्नाटे को चीरता ये मौन
उद्वेलित होता ये शांत मन,
पल पल में बदलते विचार।
रात की नीरवता में.....
कभी जीवन लगता है नेमतों से पूर्ण,
कभी जीवन की कमियों का शोर
तोड़ता ह्रदय को,
विक्षिप्त सा हो जाता है मन।
रात की नीरवता में....
जीवन का संघर्ष, टूटती हिम्मत
हो जाती है मन की थकान हावी,
लगता है कभी इस जीवन समर से भागना जरूरी।
मगर फिर जीवन मर्म
यही समझाते हैं चुपके से
यही है शाश्वत सत्य जीवन का।
अंधकार के बाद प्रकाश
विषाद के बाद हर्ष ,या
हार के बाद जीत।
और रात की नीरवता को जब चीरती प्रखर रवि किरणें,
तो, हो जाते हैं तैयार
जीवन रण के लिए।
नई उमंग नये जोश के संग।