कल्याण मयी शिव
कल्याण मयी शिव
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आयी पावन
शिवरात्रि चलिए
अराधे शिव ।
भोले को मन
रखिए इत उत
सब महेश।
डमरु धुन
सुन हिय बावरा
होय रे मोरा।
छवि है अति
कल्याणमयी शिव
करते कृपा ।
कर दरस
अर्धनारीश्वर की
छवि पावन।
देव खड़े हैं
कर जोर मांगत
शिव आशीष।
हे गंगाधर
भांग धतूरा अति
प्रिय चढ़ावा।
हर संकट
के हैं अपरिहार्य
मोचक शिव।
विसंगतियों
में पुण्य संगति का
प्रमाण शंभू।
हे शशिधर
गले सर्प माला सोहे
जटा में गंगे।
गरल विष
पान कर जग के
तारक शिव।