प्रेम के रंग हजार
प्रेम के रंग हजार
काश प्रेम के तापमान को नापने
का कोई थर्मामीटर होता
नाप कर जान लेते
मिजाजे हुस्न किस कद्र
राजी है देख के आस -पास निकले हैं की
ताब है जो मिजाज के तापमान को
हवा हौले से दिए जाएं है।
वो हंस के बोले बड़े दिनों के बाद
आज सूरज का ताब रंग लाया है
किरणें तुझको छू के निकल जाए
हैं या की तू किरणों को।
एक बात तो तो फिर भी तय है
तेरे मन का तापमान बढ़ते ही
इन्द्रधनुष बन जाए हैं।
मन बावरा बन इत- उत डोले है।
तुझको ना पाकर मन के आकाश
पर काले से बदरा छाए जाए हैं।
थोड़ी सी बात पर तुनक कर
बस वो बरसने चली जाए है।
बदली से जब चांद झांके है तो मानो
सुंदरी ने बिंदिया लगायी है
प्यार के तापमान से वो जिया
पिया का भरमाए है।