मत ब्याहो बाबा
मत ब्याहो बाबा
मत ब्याहो बाबा छोटी है उमरिया,
कैसे चलूं कठिन है डगरिया।
पढ़ने दो, लिखने दो, निखरने दो,
मत भेजो काँटों की नगरिया।।
चले जाना तो है एक दिन ज़रूर,
आज बनने दो मुझे मेरा ग़ुरूर।
ओछी बहुत है लोगों की नज़रिया,
मत ब्याहो बाबा छोटी है उमरिया।।
जो मैं सोचूँ वो तुम क्यों नहीं सोचते,
बस बेटी तो हूँ ये क्यों हो कहते।
बजाने दो मुझे भी ज़िम्मेदारी की बंसुरिया,
मत ब्याहो बाबा छोटी है उमरिया।।
देखो मुझे मैं हूँ तुम्हारी गुड़िया,
कहते हो जिसे तुम जादू की पुड़िया।
फिर परायी क्यों है तुम्हारी दुअरिया,
मत ब्याहो बाबा छोटी है उमरिया।।
करने दो मुझे भी डिग्री हासिल,
बनने दो मुझे भी क़ाबिल।
करने दो मुझे भी नोकरिया,
मत ब्याहो बाबा छोटी है उमरिया।।
समाज की बुराई से लड़ना है मुझे,
बेटा-बेटी का भेद दूर करना है मुझे।
ऊँची करनी है मुझे तुम्हारी पगड़िया,
मत ब्याहो बाबा छोटी है उमरिया।।