वक़्त
वक़्त
तुम अगर वक़्त का ध्यान रखो,
मैं तुम्हारी यूँ ही सराहना करूं।
तुम वक़्त के साथ चलते रहो,
मैं तुम्हारी यूँ ही प्रशंसा करूं।।
कितने दुनिया में आये मगर,
सबने वक़्त को समझा नहीं।
वक़्त देख के इंसा को कहने लगा,
मुझे बर्बाद होना गवारा नहीं।।
तुम अगर वक़्त की क़द्र करो,
मैं तुम्हें हर पल आगे बढ़ाता रहूँ।
तुम अगर वक़्त का ध्यान रखो,
मैं तुम्हारी यूँ ही सराहना करूँ।।
आज का काम कल पर टाला जिसने,
समझ लो कल कभी आता नहीं।
तुम न समझो तुम्हारे लिए ठहरूंगा मैं,
मुझे इक पल भी रुकना गवारा नहीं।।
तुम अगर वक़्त पे हर काम करो,
मैं मंज़िल पे तुमको पहुंचता रहूँ।