एक घर बनाते हैं
एक घर बनाते हैं
एक घर बनाते हैं
आओ हम एक घर बनाते हैं,
नव जीवन को प्रेम से सजाते हैं।
महज़ ईंट-पत्थर से नहीं,
भावनाओं से इसे चमकाते हैं।।
आओ हम एक घर बनाते हैं।
आने वाले हैं राह में मोड़ नये,
बुनने हैं हमें अभी सपने नये।
उम्मीद के मज़बूत धागे में,
अरमानों के मोती पिरोते हैं।।
आओ हम एक घर बनाते हैं।
हर लम्हा, हर पल जीना है हमें,
एक-दूसरे के होकर रहना है हमें।
मन की दूरियों को मिटाकर,
यक़ीन का गुलिस्ता सजाते हैं।।
आओ हम एक घर बनाते हैं।
रूठने-मनाने का दौर भी चलेगा,
तिलमिलाने का दौर भी चलेगा।
लेकर हाथों में हाथ, बैठकर साथ,
हम ख़ुद को समझाते हैं।।
आओ हम एक घर बनाते हैं।
कभी तुम मेरी कही सुन लेना,
कभी मैं तुम्हारी सुन लूँगा।
दरमियाँ हमारे कभी न कोई आये,
समर्पण से नींव मज़बूत बनाते हैं।।
आओ हम एक घर बनाते हैं।