Sanjeev Sharma

Comedy Drama Fantasy

3.5  

Sanjeev Sharma

Comedy Drama Fantasy

बीवी से पंगा, पड़ गया महँगा

बीवी से पंगा, पड़ गया महँगा

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मेरी मती मारी गयी थी कि पिछले साल मई की एक दुपहरिया में "मर्द उद्धार शिविर" में एक दोस्त के साथ पहुँचा


शायद मेरे दोस्त ने मेरी बीवी के सामने मेरी बोलती बन्द जैसी हालत देख ली थी और मैं मिमियाने वाली स्थिति से बाहर निकल सकूँ इस लिए मुझे शिविर ले गया।

शिविर, शिविर न हुआ, कोरोना का कन्टेनमेंट जोन हो गया, एक बार अंदर घुस गया तो बाहर निकल ही नहीं पाया, उनकी बातें सुन्न तीन बार भागने की कोशिश भी की पर सारे दरवाजे बंद आखिरकार छे घंटे बाद एक अलग इंसान बाहर निकल रहा था जो अपनी बीवी पर कैसे काबू पाया जाए, इसका मंत्र समझ चुका था


घर पहुँचा तो बीवी गरम और उसके चिल्लाने से पहले "तुमसे पूछ कर कहीं आऊंगा जाऊंगा" कहकर उसकी बोलती बंद कर दी।

मेरे अंदर के मर्द ने मुझे आशीर्वाद दिया और कहा" विजय भवः" 


यह सिलसिला और मेरे कारनामे तीन दिन तक चालू रहे और मेरी बीवी ने मेरे मुंह लगना छोड़ दिया, सोची होगी कि कहीं गुस्से में आकर पति डंडे से मारना न शुरू कर दे।

मेरे रॉब का इतना प्रभाव पड़ा कि जो बीवी कभी टिफ़िन नहीं देती थी वो चौथे दिन से टिफ़िन देने लग गयी।


ऑफिस पहुँचा तोह सीना थोक के लंच टाइम में अपनी बीवी के द्वारा दी गयी टिफ़िन की नुमाइश कर दी और मैंने अपने एक करीबी सहकर्मी(वही जो मुझे शिविर ले गया था) को टिफ़िन शेयर करने का निमंत्रण दे दिया।


उसे मेरी बीवी के हाथ का खाना इतना पसंद आया कि उसने अपनी टिफ़िन मुझे दे दी और मेरी टिफ़िन उसने पूरी खाली कर दी


मेरा कद सिर्फ घर में ही नहीं ऑफिस में भी बढ़ चुका था, सेल्फ कॉन्फिडेंस जो बढ़ा हुआ था।


तीन दिन तक मेरे दोस्त ने मेरी बीवी के हाथ की बनाई टिफ़िन खाते रहा और उसका टिफ़िन मैं, बॉस मुझसे खुश, सारे सह कर्मी अब मेरी इज़्ज़त करने लगे क्योंकि अब मैं उनसे सवाल करने लगा था और ना बोलना सिख गया था।


चौथे दिन मैं अपना टिफ़िन खोले बैठा रहा पर मेरा दोस्त उस दिन ऑफिस नहीं आया तब मन में आया कि फ़ोन करके हाल चाल पूछा जाए

रोटी का एक निवाला तोड़ हाथों में रख मैंने नंबर लगाया तो भाभीजी से बात हुई और सुनते ही निवाला वापस टिफ़िन में रख दिया


मेरा दोस्त हॉस्पिटल में भर्ती था, भाभीजी ने बताया कि डॉक्टर ने दोस्त को तीखा खाने से मना किया था ,  बवासीर हो गया है फिर भी उस इंसान का नाम नहीं बता रहा जो तीन चार दिन से इन्हें तीखा खाना खिला रहा था।


मैंने फ़ोन रखा और सोच में पड़ गया की मेरा दोस्त तो तीन चार दिन से मेरा ही टिफ़िन खा रहा है तो क्या मेरा ही टिफ़िन का खाना तीखा है!!!


मुझमें हिम्मत नहीं थी कि मेरी बीवी की बनाई टिफ़िन आज मैं टेस्ट करूँ( इसके पहले मेरे दोस्त ने मेरी बीवी के बने हाथ का खाना कभी खाने ही नहीं दिया) सो मैंने अपने पिउन को मेरे टिफ़िन से एक रोटी खाने की दरख्वास्त की।

रोटी छोड़ो वो एक निवाले में ही शु शु !!! करने लग गया और उसके बाद चार से पांच गिलास पानी गटक गया, उसकी हालत अचानक से सुस्त हो गयी


मैं समझ गया कि मेरी बीवी इतने दिन से चुप क्यों थी और मैं पगला समझ रहा था कि मैं उसे शह और मात दे दी है।


हर शाम जब मैं घर पहुंच कर बीवी को टिफ़िन सौंपता तो कैसे वो मेरा चेहरा घूरते रहती, दरअसल वो यह देखना चाहती थी कि तीखे खाने का मेरे शरीर पर क्या असर हो रहा है क्योंकि तीखे से मुझे भी एलर्जी है।

और जब मेरे चेहरे को देख उसे ऐसा लगता कि कोई असर नहीं हो रहा तो जरूर दूसरे और तीसरे दिन मिर्ची और मसाले का डोज़ बढ़ाया होगा और चौथे दिन तो पिउन की हालत तो मैंने देखीं ही थी।

वो बवासीर मेरे लिए था, बलि चढ़ गया मेरा दोस्त।


मैंने तय कर लिया था कि कुछ भी हो जाए बीवी के ईगो को हर्ट नहीं करने का, भाड़ में गया "मर्द उद्धार के प्रिंसिपल्स" अर्रे सुकून से रहा तभी तोह ज़िंदा रहूंगा। घर पहुंचा, फिर से बीवी का मुंह देखो अभियान शुरू हो गया, एक शब्द नहीं बोली इन चार दिनों में, मुझे सबक सिखाने का भूत जो सवार था उसके सिर पर।

मैंने कहा "कल से ऑफिस में कैंटीन सर्विस शुरू कर रहे है सो टिफ़िन मत देना" कुछ नहीं बोली, यहीं मझ से गलती हो गयी, कैंटीन के खाने वाली बात नहीं बतानी चाहिए थी।

दूसरे दिन की सुबह ब्रेड जाम और जूस टेबल पर रखा हुआ था, मैंने न खाना ही ठीक समझा" मुझे लेट हो रहा है, मैं ब्रेकफास्ट बाहर कर लूंगा " कहकर बाहर निकलने से पहले उसकी टेबल की तरफ रखी हुई पानी की ग्लास से पानी पी के निकला, वो मुझे देखे जा रही थी

पर यहीं पर मार खा गया, मेरा ब्रेकफास्ट और जूस न लेना सही था पर ग्लास का पानी .... नहीं पीना चाहिए था!!! 


मेरे पेट में गड़बड़ शुरू हुई और स्टेशन के रिक्शा स्टैंड के पास सुलभ शौचालय में हल्का हुआ, जब मुझे अच्छा लगने लगा तो ट्रैन पकड़ी तो तीसरे स्टेशन पर उतरना पड़ा और फिर से शौचालय का मुंह देखना पड़ा और इस तरह घर से लेकर ऑफिस के बीच सारे म्युनिसिपल के शौचालय देख आया। 


पूरे दिन ऑफिस के बाथरूम को गंदा करने के बाद और सारी दवाइयों के फेल होने के बाद, घर पहुँचा तो बीवी ने फिर से मेरे चेहरे की पड़ताल की और आखिरकार उसने अपनी जुबान खोली और बोली "हॉस्पिटल में चले, आपकी तबीयत खराब लग रही है।"



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