Sanjeev Sharma

Children Stories Inspirational

4  

Sanjeev Sharma

Children Stories Inspirational

जहाँ चाह वहाँ राह

जहाँ चाह वहाँ राह

4 mins
342



 सोहन और मोहन दोनों एक ही शहर से पर एक दूसरे से अनजान, कोविड-19 के दौरान हुए लोक डाउन से दोनों के आर्थिक हालात पर बुरा असर डाला था 

सोहन एक बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन साइट से निकाला गया, और मोहन एक सिक्योरिटी एजेंसी से निकाला गया.


 ट्रेनें और बसें बंद थी सो वापस अपने शहर लौट जाना यह उनके बस में ना था, चार महीने जैसे तैसे लॉक डाउन में बीता दीए,  बचाए गए पैसे सब खर्च हो गए, कभी सोचा ना था कि इस तरह की परिस्थिति आएगी कि गुजर-बसर करना मुश्किल हो जाएगा दोनों एक बात को लेकर खुश थे कि मुंबई जैसे शहर में वे लोग ही स्ट्रगल कर रहे हैं ना कि उनका परिवार, ठीक है वह अपने गांव पैसे नहीं भेज पा रहे पर उनके बीवी बच्चे भूखे तो नहीं रहेंगे जैसे वे दोनों कई दिन रात रह चुके हैं,  उन्हें यकीन था गांव में उनका परिवार खेती बारी या कुछ ना कुछ करके गुजर बसर कर लेगा पर सोहन और मोहन के हालात मुंबई में बद से बदतर होते जा रहे थे.

लॉकडाउन कुछ महीनों के बाद हल्का हुआ,   ट्रेन बस रिक्शा प्लेन धीरे-धीरे शुरू किए गए,  इन दोनों में भी एक आस जगी काम ढूंढने निकल पड़े पर सफलता हाथ न लगी  सोहन और मोहन के सब्र का बांध टूट रहा था, पैसे हाथ में थे नहीं और भूख कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था.दोनों हालात के मारे एक दिन एक फूड प्रोसेसिंग फैक्ट्री में चोरी करने के इरादे से घुस गए और गौर करने वाली बात है कि दोनों ही एक दूसरे से अनजान थे और वह दोनों एक ही जगह पर चोरी करने पहुंचे सोहन किचन खंगालता रहा और मोहन ऑफिस, पर दोनों के हाथ कुछ ना लगा चोरी करने के पीछे एक ही मकसद था कि कुछ पैसे हाथ लग जाए और ट्रेन की टिकट खरीद कर वह वापस गांव लौट जाएं।


 अब दोनों के पोजीशन चेंज हुए और बिना कोई आभास हुए मोहन किचन में दाखिल होता है और सोहन ऑफिस में सोहन के हाथ कुछ नहीं लगता है और वह निराश होकर फैक्ट्री से बाहर चला जाता है पर मोहन के हाथ कुछ लग गया अब आप सोच रहे होंगे कि किचन में क्या उसे पैसे रखे हुए मिल गए जी नहीं किचन में मोहन को 50 पैकेट मैगी रखे हुए मिले साथ ही मटर टमाटर प्याज, दूसरी तरफ बड़ी सी कढ़ाई और स्टोव और पेपर प्लेट्स  उसकी नजर कोने में पड़ी कई सारी गोनियों पर पड़ी, एक गोनी में  50 पैकेट मैगी के नूडल्स रख दिए दूसरी गुनी में मटर टमाटर प्याज और तीसरी गुनी में कढ़ाई और स्टोव और पेपर प्लेट्स। तीनों गोनी उठाकर वह फैक्ट्री से निकल गया,  दूसरे दिन बस स्टैंड का एक कोना पकड़कर स्टोव पर कढ़ाई चढ़ा कर मैगी के पैकेट से मैगी निकालकर कढ़ाई में डालते हुए साथ ही उस में मटर टमाटर प्याज मिक्स करके मसालेदार मैगी तैयार की। ताजा-ताजा मैगी बनते देख वहां पर खड़े यात्री खुद को रोक न पाए और मैगी खाने पहुंच गए.

मोहन ने एक पैकेट के मैगी से 6 लोगों का पेट भरा और हर प्लेट ₹20 के हिसाब से बेचा यानी एक पैकेट मैगी जिसकी कीमत ₹40 है उसे 6 लोगों के बीच बेचकर 120 कमाए। उस दिन बस स्टैंड से लेकर रेलवे स्टेशन और भीड़भाड़ वाले इलाके मैं मैगी बेचकर कुल ₹6000 कमाए,  उस दिन स्टॉक कम होने की वजह से वह ज्यादा बेच ना पाया। इन 6000 से ट्रेन का टिकट खरीदने के बजाएं होलसेल में 75 नूडल्स के पैकेट और पेपर प्लेट्स खरीदें,  टमाटर मटर और प्याज भी, बाकी बचे हुए पैसों से स्टोव में भरने के लिए किरासन का तेल.


 महीने के आखिर में मोहन को जो भी प्रॉफिट हुआ उस प्रॉफिट में से 50 पैकेट मैगी और मटर प्याज टमाटर खरीद कर वह फैक्ट्री में जाकर उसी जगह पर रख आया और खुद से वादा किया कि आने वाले महीने में जो भी प्रॉफिट होगा उससे कढाई और स्टोव खरीद कर फैक्ट्री में वापस रख आएगा मोहन इस लॉकडाउन में छोटा-मोटा व्यवसाय करके जी भी रहा था और बचत करके पैसे गांव भी भेज रहा था इस कहानी से यह सबक मिलती है कि एक आशावादी इंसान कोई भी परिस्थिति में रास्ता ढूंढ निकालेगा जैसे मोहन ने निकाला


 सोहन और मोहन दोनों पैसे चोरी करने के इरादे से ही गए थे. सोहन निराश होकर लौटा और मोहन कुछ कर गुर्जर ने के इरादे से लौटा।



Rate this content
Log in