उफ्फ पगली!!!
उफ्फ पगली!!!
मेरा एक फ्रेंड मूवी देख कर आया कहने लगा एक्टर ने क्या करैक्टर पकड़ा है एक दम जान दाल दी फिर उसने पूछा क्या राइटर भी करैक्टर में घुस कर लिखता ताकि वह करैक्टर की लाइफ यादगार बन जाए।
मैंने बताया बिलकुल राइटर भी कोई कहानी लिखता है तो वह उस करैक्टर की लाइफ जीता है जो उस कहानी को आगे ले जाता है।
पर मैंने दोस्त को यह नहीं बताया की कभी कभी इस तरह की मेथड राइटिंग जी का जंजाल बन जाता है।
हुआ यूं की एक लव स्टोरी लिख रहा था पहली बार प्रयास किया सो हीरो को अपने अंदर फील कर रहा था।
सुबह उठकर सारे रोमांटिक गाने सुनना वाइफ के साथ उन गाने पर डांस करना, खाते समय वाइफ को प्यार से कभी कभी आँखों की कनखियों से देखना।उसके साथ टहलना उसकी बातें बड़े गौर से सुनना काम के बीच व्हाट्सप्प पर उसका हाल चाल पूछना
घर में कैंडल लाइट डिनर के लिए बाकी घर वालों को मूवी देखने भेज देना।
किसी चीज़ से दिल नाराज़ है उस दिन चुप चुप बैठे रहना, अपने में लगे रहना, घंटों घंटों पंखे को देखते रहना...आखिरकार स्क्रिप्ट कम्पलीट कर दी पर वाइफ मुझपर शक कर बैठी है, जो पति शादी के इतने सालों में इतना सब कुछ नहीं किया वो अचानक यह सब कर रहा है, उसे लगा मेरा चक्कर कहीं चल रहा है....बहुत समझाया समझ ही नहीं रही है पगली।