शादी बैटरी की तरह है!!!
शादी बैटरी की तरह है!!!
बचपन से ही बड़ी जिज्ञासा थी कि किस तरह से बैटरी पर चीज़ें चला करती थी, जैसे रेडियो हो गया, टोर्च इत्यादि इन सभी में, एक बैटरी पॉजिटव तो दूसरी नेगेटिव। कभी समझ में नहीं आया फार्मूला, बचपन से जवानी में कदम रखा, बैटरी का सवाल धुंधला हो चला था। फिर कुछ हफ्ते पहले यह बैटरी फिर से मेरे दिमाग में खेल कूद करने लगा...
हुआ यूं, आज से कुछ हफ्ते पहले से, मैं वातानुकूलित लोकल ट्रैन से जाने लगा, दो दिन बाद, दो दोस्तों को लगातार देखने लगा, राइटर हूँ तो लोगों के हाव भाव देखना मेरी फितरत है। वे दोनों साथ मीरा रोड से चढ़ते, फिर सीट पकड़ कर, अपने अपने मोबाइल में गेम खेलना शुरू करते, ज्यादा बात ही नहीं करते, स्टेशन आने पर अपने अपने स्टेशन उतर जाते। आज कुछ अलग हुआ, इस बार एक लड़का, पहले वाला और उसके साथ उसका दूसरा दोस्त नहीं था, बल्कि एक लड़की थी। पहले की तरह लड़के ने मोबाइल में गेम खेलने के बजाय, उसमें से जोक पढ़ के सुनाने लगा, लड़की भी जोक सुनाने लगी, दोनों खूब हँसते, बिन मतलब का भी, उन्हें देख कर बाकी डब्बे के यात्री का भी मन लगा रहा, वो लोग चाव से सुन रहे थे बिना उनकी नज़र में आये और हंस भी रहे थे।
अब समझ में आया, क्यों बैटरी में एक पोसिटिव और एक नेगटिव होता है ताकि जीवन में एंटरटेनमेंट बना रहे।
तो सीख यह मिली कि लाइफ में पोसिटिव रहो पर नेगेटिव का रहना जरूरी है शायद इसी लिए बड़े बूढ़े शादी करवाते है!!!!