पानी
पानी
रजनी को याद आया कि बिसलरी पानी की बोतल तो उसने मंगवाई ही नहीं थी। पीने के लिए मुंबई जैसे शहर में दसवें माले पर फलैट में असुविधा तो होगी ही। पानी चौबीस घंटे उपलब्ध था सोसायटी का पर पीने लायक नहीं था। पीने के लिए रजनी बिसलरी बोतल (पच्चीस लीटर)ही मंगाती थी आज ऑफिस के लिए देर हो गई और इसी में वो भूल गई राज उसका पति अक्सर देर से ही आता था। उसने सोचा कि चौकीदार को फोन करके कह देगी कि पानी रखवा लेगा। दोपहर लंच के वक्त उसने फोन करके दीनू चौकीदार को बता दिया। लंच करते हुए उसे गांव का पोखर याद आ गया जहां सब गांव की महिलाएं, लड़कियां पानी भरने आतीं और साथ साथ अपने सुख दुःख भी बांटा करतीं। कैसी रौनक रहती थी, पोखरन के किनारे। सच में वो जीवन कितना सादा और खुशियों भरा था। उस एक समय के लिए सभी को इंतजार रहता था। पर आज किसको समय है कि पड़ोसी से कितने दिन हो गये। उसने सोचा कि चार दिन कि छुट्टी लेकर वो गांव जाएगी और सबसे मिलकर आएगी।