Kavita Sharma

Others

3  

Kavita Sharma

Others

प्रकृति की गोद

प्रकृति की गोद

2 mins
26


उत्तरांचल पर्वतों से ढका मानो स्वर्ग है। बस ठीक सुबह सात बजे पहुंची। उतरते ही बर्फ़ से ढके पहाड़ झक श्वेत, शुभ्र बर्फ़ आंखें मानो उस दृश्य को देखकर जड़ सी हो गईं। आकाश का नीला रंग ऐसा लग रहा था मानो शहर में जो आसमान दिखता है आज उसे अच्छे से धो दिया हो तभी उसका साफ़ धुला सा नीला है। कहीं कहीं श्वेत बादल बिल्कुल रुई से बने हो ऐसे लग रहे थे। इतने पास दिख रहे थे मानो उन्हें छू लें। सच में प्रकृति का सौंदर्य अवर्णनीय है। 

 चौपटा, काफ़ी सुंदर जगह है सैलानियों से बिल्कुल अनभिज्ञ। हम लोगों ने प्रकृति का ख़ूब आनंद उठाया। तुंगनाथ मंदिर (भगवान शिव) गये। काफ़ी चलना पड़ता है, मौसम देखते ही देखते अपना रूप दिखाने लगा। खिली हुई धूप को अचानक बादलों ने ढक लिया, ओलों के साथ बारिश शुरू हो गई। हमारे पास छातारे नकोट कुछ भी नहीं था दौड़ भी नहीं सकते थे रास्ता फिसलन भरा था ठंड इतनी बढ़ गई कि मई के महीना दिसंबर लग रहा था। थोड़ी दूर एक चाय की टपरी दिखाई दी बस वहीं रुके इतनी ठंड से दांत किटकिटाने लगे तब उस दुकान की महिला ने चाय बनाई और गर्म मैगी भी । खा-पीकर कुछ सुकून मिला।एक- डेढ़ घंटा वहीं बिताना पड़ा। बारिश अब थम चुकी थी आकाश भी एकदम स्वच्छ धुला सा दिख रहा था।

हमने सुबह सात बजे के आस पास मंदिर के लिए चढ़ाई शुरू की थी। चार बजे के करीब जाकर हम पहुंचे। काफ़ी पुराना मंदिर है। । कुछ देर बैठ कर हम पुनः नीचे वापस लौटने के लिए चल पड़े। नीचे आते समय ज्यादा वक्त नहीं लगा क्योंकि ढलान थी ।चढ़ना ज्यादा कठिन है ईश्वर को पाना आसान कैसे हो सकता है थोड़ी मेहनत तो करनी ही पड़ेगी न? वो भी तो परीक्षा लेकर देखना चाहता है कौन कठिन रास्ते को पार कर पाता है।‌उस दिन जीवन का मंत्र भी मिल गया हर कीमती वस्तु पाने के लिए अनथक प्रयास जरुरी है।‌ सच में प्रकृति के समीप रहकर कितना ज्ञान मिल सकता है।‌काफ़ी रोचक और दिल के क़रीब है वो यात्रा। 



Rate this content
Log in