अजनबी से प्यार कैसे करता है
अजनबी से प्यार कैसे करता है
दो जिस्म एक जान क्यों कर कहलाते हैं !
दो लोग इस कदर आपस मे खो जाते हैं !!
ये दिल कैसे, दिन रात आहे भरता है!
दिल अजनबी से प्यार कैसे करता है!!
पहले पहला ये प्यार है ये मेरा!
दिल पर ऐतबार है बस तेरा!
प्यार मन मे कैसे पनपता है!
दिल अजनबी से प्यार कैसे करता है!!
मन की बाते तो बस मन मे रही!
तेरी खुशबु तो तनबदन मे रही!!
कैसे कहे मन कितना तड़पता है!
दिल अजनबी से प्यार कैसे करता है!!
जब जब हम तुमसे मिलते हैं !
अरमानो की कलि खिलते हैं !!
तुमसे मिलने को हरपल दिल तरसता है!
मिलकर तुमसे सुकून अब मिलता है!
मन के मधुबन मे फूल सा खिलता है!!
सुकून के लिए मन कितना तड़पता है!
दिल अजनबी से प्यार कैसे करता है!!