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Ruby Mandal

Inspirational

4.5  

Ruby Mandal

Inspirational

प्रेम की पराकाष्ठा

प्रेम की पराकाष्ठा

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पवित्र बंधन वो जो हो प्रेम से जुड़ा,

जिस बंधन ने मर्यादा का पाठ हो पढ़ा।

मर्यादा भी वो नहीं जिसमें सिर्फ बंधन हो भरा,

पवित्र बंधन वो जो प्रत्येक के लिए हो सम्मान से भरा।

सम्मान भी वो जिसमें हो समानता , 

नर- नारी मे हो ईमादारी की परकाष्ठा।

शारीरिक सुंदरता एक क्षणभंगुर है,

रिश्तो में वासना हमेशा ही होता क्रूर है।

वासना का पापी बंधन ,

हर रिश्ते की मर्यादा को करता है खंड- खंड।

हर पवित्र बंधन का है यह शत्रु बड़ा,

इंसान के अंदर बैठा है छुप कर यह पापी दरिंदा।

इसलिए मर्यादा की रेखा है अब बहुत जरूरी,

जागृत करें अपने मन को करें युद्ध की तैयारी।

वासना रूपी रावण को हराए हर नर -नारी,

दुर्गा रूपी शक्ति का करें हम हर मन में संचार।

फिर शायद कभी नहीं होगी कोई नारी,

किसी महिषासुर का शिकार ।

प्रेम के बंधन को हम पहचाने ,

सिर्फ रूप की सुंदरता को ना जाने।

प्रेम जीवन का वह बंधन है ,

जो ईश्वर को भी बांध देता है ।

भक्त और भगवान के बीच में, 

फिर रहती कहां कोई रेखा है।

चाहे हो कोई भी रिश्ता ,

हर रिश्ते में ईश्वर बसता है।

प्रेम हो अगर मर्यादित ,

तो वो हमेशा फलता फूलता है।

मन से ईश्वर को पा लेना,

यही तो प्रेम की परकाष्ठा है।


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