Arunima Bahadur

Tragedy Inspirational

4  

Arunima Bahadur

Tragedy Inspirational

दर्द बनाम शक्ति

दर्द बनाम शक्ति

2 mins
439



दर्द की घुटन अब सताने लगी थी इला को,समझ नही पा रही थी कि क्या करे।सामने भविष्य के सपने और राह को रोकते ये पथरीले शूल। किससे बात करे और क्या?

कुछ समझ नही पा रही थी।

एक मध्यम वर्गीय परिवार,1 भाई, और 4 बहनों में सबसे छोटी थो वो।बस सुनना ही सीखा था और आज्ञा पालन ही।पर आज वो ही सब कैसे एक संकुचित मन मस्तिष्क के हो गए थे।

 आखिर क्यों?समाज मे जब एक लड़की बलात्कार की शिकार होती है, तब कितनी ऐसी ही कन्याओं की राह बंद हो जाती हैं विद्यलय जाना,या अपने लक्ष्य को पाने के अवसर भी खोने पड़ जाते है।

 उसके पापा रामधारी एक छोटे सरकारी कर्मचारी ही तो थे और एक छोटे कस्बे में नई पोस्टिंग हुई थी।बाकी सब भाई बहन लगभग अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके थे,बस अब अपने कार्यो में व्यस्त हो चुके थे।शायद सफल होने की एक नई दुनिया बन गयी थी,जहाँ अपने ही रिश्ते दम तोड़ रहे थे।

तभी पापा का तबादला बुलंदशहर में और उसके कुछ समय बाद ही यह वीभत्स घटना जो एक नाबालिग के साथ घट गई,पड़ोस में ही।

इला का स्वप्न्न था कि एक पत्रकार बने और स्वप्न्न संजोया था अच्छी पढ़ाई का।पर बुलंदशहर आते ही जैसे सारे सपने चकनाचूर हो गए।घर मे बस एक हुक्म आया कि केवल कॉम्पटीशन की तैयारी घर मे रह कर करो,कोई एडमिशन नही,कही पढ़ने नही जाना।केवल ग्रेजुएशन के बाद वो क्या करे।बिना मार्गदर्शन,बिना कुछ जाने,कैसे मिलेगा अपडेट।

पर मजबूरी क्या नही कराती?आखिर खुद से पढ़ना शुरूकिया।पर लेखनी का जुनून एक अलग ही नशा बन गया था उसका।जो दर्द वो समाज की दयनीय दशा के कारण आज वो झेल रही थी,उसे उसने कलम की शक्ति के सुपुर्द कर दिया।

और अपने अंदर जल रही दर्द की अग्नि को लिखना शुरू किया।भेजती गयी बस समाचार पत्रों के पते पर।और जब यह प्रकाशन के साथ उसके पास पारिश्रमिक आने लगा,तो उसको एक नई दिशा मिल गयी,जिससे वह आज समाज को भी बदल सकती थी,जागरूकता ला सकती थी और खुद को भी नई दिशा दे सकती थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy