अधूरी कहानी
अधूरी कहानी
लखनऊ स्टेशन,एक बुजुर्ग,साथ मे बेडिंग,हाथ मे गिटार और उंगलियों से बजती प्यारी धुन और एक प्यारा गीत।
अनजान थी इस भाषा से,शायद कोई विदेशी भाषा थी, वह बुंउर्ग भी विदेशी ही लग रहे थे।
जैसे ठिठक सी गयी मैं,जैसे धुन कुछ कह रही हो,कुछ तो संदेश था,जो मुझे खींच रहा था,कुछ बता रहा था। मैं एक पल को रुकी,फिर आगे बढ़ गयी,कॉलेज जो टाइम पर पहुँचना था।
रोज का सफर था मेरा,रायबरेली से लखनऊ का, मीडिया स्टडीज के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी जो जाना होता था।
आज कुछ अलग सा लेक्चर था कॉलेज,जो सामान्य से अलग है वो न्यूज़ है और एक असाइनमेंट मिला कि ऐसी ही कोई न्यूज़ कवर कर एक प्रोजेक्ट बनाना।इसी लेक्चर के समय मुझे वही दृश्य फिर याद आ गया,शायद ये न्यूज़ है, जो मुझे ही लिखनी हैं।
आज मैं चल दी वापस रायबरेली,यह सोच कर कि कल मैं उन बुजुर्ग से बात करूंगी और लिखूंगी एक अलग कहानी।
सुबह मैं जल्दी तैयार हो गयी,पहली ट्रैन से ही लखनऊ पहुंच गई।
सीधे उन बुजुर्ग के पास पहुंची, जिनकी धुन से तो पहले ही दोस्ती हो गयी थी,आज इसके पीछे का राज जानना था।
मैंने कहा,"गुड मॉर्निंग सर,"मैं अरुणिमा, आप से बात करना चाहती हूं"
उनकी स्वीकृति पा कर वही बैठ गयी।
बुजुर्ग बोले,मैं मिस्टर ब्राउन हूँ,इंग्लैंड से आया हूँ,बस ये देखने कि भारत मे इतनई अतुल्य विभूतियां होते हुए,क्यो अवसाद में ग्रसित हैं बच्चे,मैं बस उन्हें इस गीत से प्रेरणा देता हूँ।
वह आगे बोले,मैंने तुम्हारे जैसी ही एक बेटी को गोद लिया था,इतनी टैलेंटेड होकर भी,अवसाद में आकर वो ये संसार छोड़ गई।मैन सोचा कि क्यो न मैं यहाँ बैठकर अपने गीतों से हर बच्ची को जीवन की मधुरता सिखा जाऊ।शायद कुछ सार्थक कर पाऊ,इस जीवन को।
मैं निःशब्द थी,पूरी कहानी जानना चाहती थी,पर मिस्टर ब्राउन फिर से वही धुन बजाने लगे,आखों में एक गहराई लिए,सूखे अश्रुओं से वो कुछ तो कह रहे थे,जो जानना अभी भी बाकी था।।