आखिर क्यों?
आखिर क्यों?
आज थम नहीं रहे थे राधिका के अश्रु जैसे नैनो ने आज रिमझिम बारिशों का मौसम बना लिया था,मन में बस एक ही प्रश्न था,आखिर क्यों? आखिर क्यों?आखिर क्यों?
पूरी सृष्टि जैसे उसके लिए अंधकार से भरी थी, जहां न कोई राह थी और न कोई ऐसा मसीहा जो उसे बता सके कि उसे क्या करना है।
अभी मुश्किल से जीवन के बीस बसंत ही तो देखे थे,एक ख्वाब था जीवन में कुछ मुकाम पाने का,अपने पैरो पर खड़े होने का,एक बैंक अधिकारी बनने का।
एक मेधावी छात्रा तो थी वो और सदा अव्वल भी रहती थी,
पर क्या एक लड़की होना सबसे बड़ा दोष होता है महत्वाकांक्षा का गला घोटने के लिए।क्यों पीछे पड़ जाते है सब कि पराया धन है,क्यों इस पर खर्च करना,क्या पढ़ाना,घर ही तो सम्हालना है,क्या करेगी ज्यादा पढ़ाई करके।
आज राधिका की आंखों के आगे अंधकार ही तो था,जैसे उसके स्वप्न टूट रहे थी।
मां की आवाज आई तभी,
"राधिका,तैयार नहीं हुई,हल्दी की रस्म के लिए सब पहुंच रहे है,गेस्ट हाउस पहुंचना है,बस एक घंटा हो बाकी है।"
राधिका कुछ न बोली,नैन बारिशो को थाम रहे थे,पर दिल रो रहा था,फिर जुबान पर मौन ही था।
वह चुपचाप मां को बातो को सुन तैयार हो गई,मात्रा दो दिन के बाद शादी थी और फिर विकास की जीवन संगिनी बन चले जाना था एक छोटे शहर प्रतापगढ़,वही तो था विकास एक बैंक ऑफिसर,केवल फोटो ही देखी थी उसकी,कभी मिली तो न थी सो मन और तेजी से धड़क रहा था, यों तो वो लखनऊ में पली बढ़ी थी,फिर क्या होना था,वो घबराई थी,मां की पुरानी सोच,उसे और डराती थी।
न जाने कब फेरे पड़ गए और राधिका प्रतापगढ़ पहुंची,कुछ डरी कुछ सहमी सी एक नववधू सी,पर क्या यहां तो माहौल कुछ और था,सभी बहुत ही उच्च सोच वाले थे।
विकास की मां ने पूछा कि राधिका अभी तो तुम ग्रेजुएट हुई हो आगे क्या सोचा है,क्या करना चाहती हो?
राधिका ने दबी आवाज में अपनी इच्छा बता दी,विकास की मां बोली तुम्हे बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना है घर की जिम्मेदारी मैं सम्हालूंगी,तुम अपना स्वप्न पूरा करो पूरी लगन और मेहनत से,ये तुम्हारा घर है,बिना संकोच और पूती खुशी से रहना।
राधिका की आंखों में खुशियों के आंसू थे और एक ही प्रश्न था,
आखिर लोगो की सोच में इतना अंतर क्यों,आखिर क्यों?आखिर क्यों हारते है लोग,आखिर क्यों?जब हर राह ही हमे कुछ सिखाती तो है,बनाती तो है,फिर क्यों हार जाते है सब,आखिर क्यों?जैसे मैं हारी।आखिर क्यों?बेटी को अपनी पूरी इच्छा से जीने क्यों नहीं दिया जाता,आखिर क्यों? और इसी बीच अधरो में एक मुस्कान भी थी,स्वप्न को साकार करने की राह जो मिल गई थी।