फ़र्क
फ़र्क
राधा आज फ़िर देर से पहुँची थी काम पर ,रिया मैडम जिन्हें राधा दीदी बोलती थी कुछ देर बड़बड़ा कर चुप हो गई ।घर का काम निपटा कर राधा जब जाने लगी तो रिया ने उसे रोक लिया ,बोली " बैठो यहाँ "!!
राधा कुछ सोचकर वही नीचे फ़र्श पर बैठ गई ,कुछ देर चुप रहने के बाद रिया ने ही चुप्पी तोड़ी बोली
" क्या हुआ ,आज देरी क्यूँ हुई लगता है आज फ़िर श्यामू ने तुम पर हाथ उठाया ! तू क्यूँ सहती है उसकी मार तू तो अच्छा खासा कमा लेती है तो उसे छोड़ क्यों नही देती ।
राधा ने लंबी साँस भर कर कहा " दीदी अगर इतना आसान होता तो कब का छोड़ देती " ।आपको पता है कि पति की छोड़ी हुई औरत पूरे समाज की जागीर बन जाती है हर कोई उसे नोच खाने को दौड़ता है ।
और अगर वो अपनी इज़्ज़त बचाने में कामयाब हो भी जाती है तो ये समाज के ठेकेदार ही उस पर झूठे लाँछन लगाने से बाज़ नही आते।
कुछ देर इधर उधर की बतिया कर राधा घर से बाहर निकल गई अभी दो घरों का काम बाक़ी थी ,उसे निपटा के तब घर की राह पकड़ेगी ।अगले दिन कुछ जल्दी ही रिया मैडम के घर पहुंच गई अंदर से जोर जोर से झगड़े की आवाज़ें आ रही थी ,लगता है आज फ़िर रिया दीदी और सुहास भैया के बीच झगड़ा हो रहा था ।कुछ देर रुककर वह अंदर आई तो रिया दीदी के चेहरे पर सूजन और चोट के निशान बन्द कमरे में जो हुआ उसकी गवाही दे रहे थे ।
राधा कुछ बोलती इससे पहले ही रिया बोल पड़ी "राधा तू ना अपने काम से काम रखा कर चल फटाफट काम निपटा ।दीदी ये आपके चेहरे पर क्या हुआ कहीं .....!
नही रे कुछ भी मत सोच "! यूँ ही जरा बाथरूम में पाँव फिसल गया था ।
बाहर आकर राधा सोचने लगी कि क्या फ़र्क़ है मुझमें और रिया दीदी में,कल इतना समझ रही थी मुझे
और आज उसी को चुपचाप सह रही हैं और कुछ सोचते 2 शायद उसे फ़र्क़ समझ मे आ गया था ।।