Poonam Atrey

Drama Inspirational

4  

Poonam Atrey

Drama Inspirational

सिंगल मदर

सिंगल मदर

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शिप्रा कई दिनों से बहुत परेशान थी ..काम की अधिकता से मन थोड़ा खिन्न था, कुछ विशू की तबियत भी थोड़ी खराब थी।

विशू शिप्रा का 5 साल का बेटा था एक बेटी ईशा थी जो इसी महीने 8 वर्ष की हुई, । शिप्रा सिंगल मदर थी जो अपने दो बच्चों और 

अपनी माँ के साथ दिल्ली में रहती थी।

3 वर्ष पहले पति से तलाक हुआ।बच्चे छोटे थे तो उनकी कस्टडी माँ को ही दी गई हालांकि बेटी ईशा को अपने साथ ले जाने की बहुत कोशिश की आशीष ( शिप्रा का पति ) ने।लेकिन उसकी गलत आदतों की वजह से शिप्रा किसी भी कीमत पर ईशा को भेजने के लिए राजी नही हुई।और वो दोनों हमेशा के लिए एक दूसरे से अलग हो गए।

बाद में मां ने बहुत कोशिश की कि शिप्रा दूसरी शादी कर ले लेकिन शिप्रा ने साफ साफ बोल दिया कि वो अपने दम पर अपने बच्चों की परवरिश करेगी।बच्चो के लिए सौतेला पिता हरगिज़ नही लाएगी।

शिप्रा एक प्राइवेट स्कूल में अध्यापिका थी, अपने मृदुल व्यवहार और काम के प्रति निष्ठा से वह पूरे विद्यालय में सभी की चहेती थी।

आजकल परीक्षाओं की वजह से काम का बोझ अधिक था कुछ बेटे की खराब तबियत ने उसे थोड़ा चिढचिढा बना दिया था।

उसके स्कूल के ही एक अध्यापक रोहन सर वह हर तरह से शिप्रा की मदद करने के लिए तैयार रहते थे।

कई बार देरी होने पर उसे अपनी बाइक से घर पर भी छोड़ देते थे।

शिप्रा ने कभी इस मेल जोल को दोस्ती से ज्यादा दर्जा नही दिया।

बस ज़िन्दगी की गाड़ी यूँ ही जद्दोजहद और तूफानों से टकराती चली जा रही थी।

एक दिन स्कूल से घर लौटी तो देखा विशू को बहुत तेज़ बुखार था।

शिप्रा ने तुरंत डॉक्टर को फोन किया। डॉक्टर ने आकर जब विशू की जांच की और बताया कि विशू को तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ेगा लगातार बुखार की वजह से उसकी प्लेटलेट्स काफी कम हो गई हैं''।

शिप्रा पहले तो काफी घबरा गई लेकिन जल्द ही ख़ुद को सम्भालते हुए माँ से बोली ''माँ ! तुम ईशा का ध्यान रखना मैं विशू को हॉस्पिटल लेकर जाती हूँ '"।

माँ रोते हुए बोली '' कब से कह रही हूँ तू अकेले नही संभाल पाएगी बच्चो की परवरिश का बोझ .....''।

माँ ''' ! शिप्रा लगभग चिल्लाते हुए बोली '" अब तुम शुरू मत् हो जाओ मैं पहले ही विशू की तरफ से परेशान हूँ तुम ये फ़िजूल की बहस लेकर मत बैठ जाओ ""!

कहती हुई शिप्रा विशू को लेकर निकल गई।

हॉस्पिटल जाकर सारी औपचारिकतायें पूरी की विशू का ईलाज शुरू हो गया।वह कमरे के बाहर रुआँसी सी बैंच पर आकर बैठ गई।

उसका पूरा अतीत चलचित्र की भाँति उसकी आँखों के आगे घूम गया।

कैसे कॉलिज की पढ़ाई करते करते ही माँ ने उसे विवाह के बंधन में बाँध दिया और स्वयं जिम्मेदारी से मुक्त हो गई थी।

लेकिन उसकी तो शायद परीक्षाएं ही प्रारंभ हुई थी, ज़िन्दगी की परीक्षाएं।

वह प्रयास करती हर इम्तिहान को अपना सौ प्रतिशत देने का, लेकिन कोई न कोई चूक रह ही जाती इन्ही इम्तिहानों से जूझते हुए दो फूल उसकी झोली में आ गिरे और वो इन दोनों की परवरिश में ज़्यादा वक्त बिताने लगी।इसी दौरान उसने व्यक्तिगत रूप से कॉलिज की पढ़ाई भी पूर्ण कर ली थी।

लेकिन पति आशीष उसके सपनो के अनुरूप तो बिल्कुल नही था।

शिप्रा के प्रति बेहद आक्रामक रवैया रहा उसका, बच्चो के होने के बाद शिप्रा ने सोचा कि शायद अब उसका मेरे प्रति व्यवहार बदल जाये लेकिन ये उसकी गलतफहमी थीं जो जल्द ही दूर हो गई जब आशीष बच्चो के सामने ही बहुत शर्मनाक और बेहूदा ढंग से पेश आया।

तो उसने एक फैसला लिया आशीष से अलग होने का क्योकिं अब पानी सर से ऊपर जा चुका था और उसकी सहनशीलता जवाब दे चुकी थी।

मैडम " अचानक सिस्टर ने आकर उसे झंझोड़ा तो वह अतीत से वर्तमान में लौट आई।

" ये कुछ दवाइयां लिखी हैं डॉक्टर ने आप प्लीज़ ले आये" कहकर नर्स ने उसके हाथ मे प्रिस्क्रिप्शन दे दिया।वह तुरंत बाहर मेडिकल स्टोर से दवाएं ले आई और नर्स को थमा दी नर्स दवाइयां लेकर रूम में चली गई।

शाम के 7 बज चुके थे शिप्रा बेचैनी में टहलती रही तभी डॉक्टर ने आकर कहा" अब आपका बेटा खतरे से बाहर है आप उसे घर लेजा सकती हैं।

शिप्रा की जैसे साँसे वापस लौट आई वह तुरंत सारी औपचारिकताएं पूरी कर विशू के पास पहुंची और कसकर उसे गले से लगा लिया।

 घर पहुंचते ही माँ दरवाज़े के पास ही खड़ी मिली बोली " बेटा मुझे माफ कर देना मैं बहुत शर्मिंदा हूँ, ।शायद मेरी ही वजह से तुझे ये दिन देखना पड़ा शायद मैं एक अच्छी माँ नही बन पाई।

शिप्रा ने कहा " ऐसा मत् कहो माँ आप बहुत अच्छी माँ हैं।मुझे पता है पापा के जाने के बाद आपने अकेले ही मेरी परवरिश की। बस आशीष को पहचानने में आपसे चूक हुई, लेकिन मैं ये गलती नही दोहराऊंगी।

जब तक ईशा अपने पैरों पर नही खड़ी हो जाती उसे विदा नही करूँगी और हाँ मैं अकेली ही काफ़ी हूँ अपने बच्चों के लिए।बस आप मुझे दूसरी शादी के लिए मत् फोर्स कीजियेगा।मैं नही कर पाऊँगी। और माँ, माँ सिंगल हो तो और भी मजबूती से अपना फर्ज निभाती है "।कहकर दोनों माँ बेटी मुस्कुराने लगी।।


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