Poonam Atrey

Inspirational

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Poonam Atrey

Inspirational

घूँघट की आड़

घूँघट की आड़

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आसमां से भी ऊँचे ख़्वाब थे उसके, पढ़ाई में हमेशा अव्वल। चाहे जो हालात हो उसके पास बहाना नहीं था न पढ़ने का। उसे हर हाल में मंजिल को पाना था।

मगर जो हम चाहे ऐसा होगा ही ऐसा संभव तो नहीं है, जहान्वी जी हाँ यही नाम था उस अटल और मजबूत इरादों वाली लड़की,

क़ुदरत को शायद कुछ और ही मंजूर था, काल के क्रूर पंजों में उसके ख़्वाब उलझ कर रह गए। उसके पिता एक गम्भीर रोग के शिकार हो गए,

इससे उसकी पढ़ाई प्रभावित होना लाज़मी था। 2 महीने बाद वो पूरे 18 वर्ष की होने वाली थी, उसकी माँ को उसकी शादी की चिंता सताने लगी। और एक दिन उसके मामा का फोन आया तो माँ ने बताया कि कल लड़के वाले उसे देखने आ रहे हैं बहुत भला परिवार है और लड़का भी बहुत सभ्य है। जहान्वी बहुत रोई गिड़गिड़ाई कि वो अभी शादी जैसी जिम्मेदारी उठाने में सक्षम नही होगी 

उसने कहा कि मुझे आईएएस बनकर देश की सेवा करनी है। मगर माँ शायद फैसला ले चुकी थी। जहान्वी खून के घूँट पीकर रह गई।

अगले दिन लड़के वाले आये और जहान्वी को पसन्द कर गए। बहुत सुंदर और गुणवान जो थी जहान्वी।

अगले महीने की 5 तारीख को विवाह निश्चित हुआ।

फ़िर दिन मानो पंख लगाकर उड़ने लगे। मगर जहान्वी को लग रहा था कि मानो किसी ने उसके पंख ही काट दिए हो। ख़ैर, विवाह संपन्न हुआ और जहान्वी अपनी ससुराल में आ गई।

उसने देखा वहाँ की सभी औरते लंबे घूँघट की आड़ से झाँक रही थी। तो क्या मुझे भी ऐसे ही घूँघट में रहना होगा उम्रभर।

सोचकर जहान्वी अंदर तक सिहर गई "।

धीरे धीरे समय बीतने लगा जहान्वी घूँघट की प्रथा को पूरे दिल से निभाने लगी। उसका सपना बार बार उसे बेचैनियों से भर देता था मगर उसने हिम्मत नही हारी, उसने अपने आईएएस बनने के सपने को कायम रखा और पूरी मेहनत से जुट गई। दिन भर काम करती और रात में अपने सपने की ताबीर लिखती। समय बीतता जा रहा था और उसके परीक्षा की घड़ी नज़दीक आ रही थी उसने अपने पति और सास ससुर से कुछ दिन मायके जाने की इजाज़त ले वह मायके आ गई और पूरे मनोयोग से पढ़ाई में जुट गई परीक्षा खत्म होने के बाद वह ससुराल वापस आ गई।

और फिर परीक्षा के परिणाम का इंतज़ार करने लगी और एक दिन वह दिन आ पहुँचा। जैसे ही वह अखबार लेने बाहर हॉल में पहुँची उसके ससुर ने अखबार उठा लिया। पहला पृष्ठ पलटते ही ऊपर जहान्वी की फोटो देख हतप्रभ रह गए। उन्होंने बारी बारी परिवार के सभी सदस्यों को आवाज दी तो वह सहम गई। परिवार के सभी सदस्य एकत्रित हो गए तो उसके ससुरजी ने बड़े गर्व से सर उठाकर कहा देखा मैंने कहा था न मैं हीरा लेकर आया हूँ। आज जहान्वी बहु ने हमारा सर गर्व से और ऊँचा कर दिया। जहान्वी घूँघट की आड़ से झाँक रही थी और उसकी पलकें खुशी के मारे नम हो गई। उसने दौड़ कर पिताजी के पाँव छुए तो पिताजी ( जहान्वी के ससुर ) ने उसे गले से लगा लिया और सर पर हाथ फेरते हुए बोले कि आज से तू बहु नहीं बेटी है हमारी और जा देश की सेवा पूरी लगन और ईमानदारी से करना और ये घूँघट आज से दीवार नहीं बनेगा तेरे सपनों के बीच। जहान्वी गदगद हो गई और पूरे जी जान से देश सेवा में जुट गई। ।


 


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