माँ बेटे का प्यारा किस्सा
माँ बेटे का प्यारा किस्सा
दूध पिलाकर सींचा माँ ने, अपने दिल के टुकड़े को।
देखो कैसे तरस रही है, एक नज़र उस मुखड़े को।
कैसे बीता बचपन उसका, आओ तुम्हें बतायें हम।
माँ बेटे का प्यारा किस्सा, आओ आज सुनायें हम।
घौंटुन जब चलता था लालन, माँ को खूब भगाता था।
ठुमुक ठुमुक कर थाम के उँगली,अपने खेल दिखाता था।
माँ को खूब सताता हरदम, अपनी अदभुत बातों से।
सीने से माँ के लग जाता, पौंछ के आँसू हाथों से।
नन्हें नन्हें कदमों से जा,दूर कहीं छिप जाता था।
ढूँढ ढूँढ थक जाती मैया,इतना नाच नचाता था।
कान्हां कान्हां कह के मैया, फूली नहीं समाती थी।
उसकी एक हँसी की ख़ातिर, ग़म अपना पी जाती थी।
माँ बेटे का प्यार निराला,आँखों का वो तारा है।
माँ ने इस ममता की ख़ातिर,अपना सब कुछ वारा है।
धीरे-धीरे बढ़ता-बढ़ता, माँ के कद से बड़ा हुआ।
लिखने को इतिहास नया कुछ, माँ का बेटा खड़ा हुआ।
उसको तालीम मिले अच्छी, इस ख़ातिर ख़ुद से दूर किया।
करके सीने को पत्थर फिर, जीना भी मंज़ूर किया।
बड़ा गर्व है माँ को अपने, इस प्यारे से लालन पर।
कभी न थकती देखो मैया, बेटे की तारीफ़ें कर।
आस लगाये बैठी दिल में,लाल मेरा घर आयेगा।
हर पहलू मेरे जीवन का, आकर वो महकाएगा।
अब तक माँ ने पाला उसको, अब वो फ़र्ज़ निभायेगा।
खूब करेगा सेवा उनकी, हर दम हाथ बटायेगा।