अंशु चला मुंबई की ओर
अंशु चला मुंबई की ओर
अंशु बहुत शरारती लड़का था। वह स्कूल में सभी बच्चों के साथ खूब शरारत करता था। 1 दिन पिताजी ने कहा कि तुम्हें भी मुंबई आना है तुम मेरे साथ यहां पर काम करोगे पिताजी की बात मानकर अंशु मुंबई की तरफ चल दिया अंशु मुंबई की तरफ जा रहा था। लेकिन उसे मुंबई का रास्ता पता नहीं था। देखा कि कुछ बच्चे जिस रास्ते से गुजर रहे थे उसी रास्ते पर बैठे हुए थे उन्होंने कहा भैया मुझे मुंबई जाना है रास्ता बता दो लेकिन जब ध्यान से देखा तो उसे पता चला कि वह तो वही बच्चे हैं जिसे मैं रोज स्कूल में चिढ़ाया करता था। सभी बच्चों को पहले से ही पता था कि अंशु को इस दिन मुंबई जाना है इसलिए बच्चों ने पहले ही अंशु के साथ बेईमानी करने के लिए एक खेल खेला था। सभी बच्चों ने अंशु से कहा कि यह सीधा रोड है इसी सीधे रोड पर चले जाओ फिर दाएं तरफ मुड़ जाना अंशु बच्चों के कहे रोड पर चल दिया लेकिन कुछ दूर जाने पर पता चला कि या तो दिल्ली का रोड है अब अंशु बहुत ही ज्यादा घबरा गया उसकी आंख से आंसू आने लगे तभी वहां पर एक सज्जन व्यक्ति खड़ा था। अंशु ने उस सज्जन व्यक्ति से पूछा कि भाई मुंबई का रास्ता कहां है मुझे कुछ बच्चों ने बेवकूफ बनाकर गलत रास्ते पर भेज दिया है सज्जन ने अंशु को मुंबई का सही रास्ता बताया कि वह किसी की बात मानकर कहीं चला ना जाया करें नहीं तो फिर बाद में भटक जाएगा सज्जन की बात मानकर उनकी तरफ चल पड़ा और 3 दिन के बाद मुंबई पहुंच गया लेकिन अब डर लग रहा था कि कोई उसे फिर ना कहीं ऐसे ही पहले की तरह बेवकूफ बना दें इसलिए वह पहले से बहुत ही ज्यादा सावधान हो गया था।