Manoj Gupta

Inspirational

3  

Manoj Gupta

Inspirational

पेड़ है जीवन

पेड़ है जीवन

3 mins
215


चंद्रशेखर और शंकर नाम के 2 दोस्त रहते थे. दोनों की बहुत ही ज्यादा बनती थी. आज दोनों 35 वर्ष के हो गए थे, लेकिन 35 वर्षों में ही किसी दिन भी दोनों की कभी झगड़े नहीं हुए. दोनों में हद से ज्यादा दोस्ती थी लेकिन इस महीने कुछ अलग हो गया. अलग क्या हो गया कि चंद्रशेखर को गांव के कुछ लोगों ने एक दिन छल से दारू पिला कर फुल कर दिया और फिर चंद्रशेखर ने नशे में आकर शंकर को खूब भला बुरा गाली जो मन में आया वह बका. शंकर कुछ देर नहीं बोला पर जब चंद्रशेखर का गाली बढ़ता गया तब शंकर ने ही चंद्रशेखर को डांटा और फिर दोस्ती को भी ठुकराते हुए कहा "आज से ना तुम मुझसे बोलेगा ना मैं तुझसे बोलूंगा" दोनों के घर के आस-पास कम से कम 20, 30 पर लगे हुए थे.

दोनों पेड़ों की महत्ता को समझते थे और सभी से पेड़ लगाने को कहते थे. लेकिन अब तो चंद्रशेखर दारु पीने लगा था. धीरे-धीरे चंद्रशेखर को गांव वालों ने खूब बहला दिया और सारे पेड़ चंद्रशेखर के हाथों से कटवा डाले। अब चंद्रशेखर के घर के आस पास एक भी पेड़ नहीं बचा था जबकि शंकर के घर के पास अभी चारों तरफ से पेड़ ही पेड़ लगे हुए थे. गर्मी का मौसम आया. चंद्रशेखर के घर में खूब गर्मी होने लगी. ना कहीं से छांव आती ना कहीं से हवा आती, मगर चंद्रशेखर को इससे क्या था. कुछ दिन तो बीत गए चंद्रशेखर किसी तरह से गर्मी सहित आ गया. मगर 10 दिन के अंदर ही चंद्रशेखर का तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई . क्योंकि आसपास के पेड़ खत्म हो गए थे, चंद्रशेखर को खूब गर्मी लग गई थी जिसकी वजह से चंद्रशेखर बीमार से ग्रस्त हो गया. क्योंकि पेड़ कटने के कारण वहां की सुबह सुबह की ताजी हवाई आना भी बंद हो गई थी. पर यह बात जब शंकर को पता चली तो शंकर तुरंत दौड़ा-दौड़ा चंद्रशेखर के पास आया और चंद्रशेखर से "बोला क्या हो गया मेरे दोस्त चंद्रशेखर" चंद्रशेखर शंकर को अपने पास देखकर बहुत खुश हो गया और फिर अपनी गलती का माफी मांगने लगा. शंकर ने "कहा माफी क्यों मांग रहे हो" तब चंद्रशेखर ने कहा कि "भले ही तुम मेरे सुख में काम नहीं दिए लेकिन आज मैं बीमार हो गया और तुम मेरे साथ हो इससे अच्छा और मेरे लिए क्या हो सकता है. तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो शंकर। मुझे माफ कर दो." शंकर चंद्रशेखर को माफ कर दिया। शंकर ने कहा "चलो यह सब तो ठीक है, पर तुम बीमार कैसे हो गए?" फिर चंद्रशेखर ने पेड़ काटने के बारे में पूरी कहानी बता दी. शंकर ने कहा "देखो मित्र चलो तुमने किया जो किया बरात से यह ना भूलना कि पेड़ ही हमारा जीवन है. आज से तुम खूब पेड़ लगाना। जैसे पहले तुम्हारे घर के आस-पास खूब सारे पेड़ थे, वैसे ही फिर से अपने घर के आस-पास हो ऐसे पेड़ खूब ज्यादा लगाओ। जब खूब ज्यादा पेड़ लगने लगेंगे तो तुम फिर कभी बीमार नहीं होगे।" चंद्रशेखर को पूरी कहानी समझ में आ गई और फिर वह सभी को कहता की खूब पेड़ लगाओ और खुद भी खूब पेड़ लगाया जिससे उसके घर के आस-पास फिर से पेड़ हो गए और फिर वह बीमार भी बहुत कम पढ़ने लगा!

            

                दोस्तों इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है कि हमें खूब ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए क्योंकि किसी ना किसी तरह से पेड़ भी हमारे जीवन का एक हिस्सा ही है इसलिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए


विषय का मूल्यांकन करें
लॉग इन

Similar hindi story from Inspirational