Manoj Gupta

Children Stories Inspirational

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Manoj Gupta

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सच्चा दोस्त

सच्चा दोस्त

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जंगल के बीचो बीच में एक महात्मा रहते थे। उसी जंगल के बगल में एक गांव था उस गांव का नाम रोवारी था इस गांव के बहुत से लोग रहते थे। बहुत से लोगों के कई दोस्त थे। कई लोगों की स्कूलों में भी दोस्त थे। परंतु उसमें से विशांत एक ऐसा बच्चा था जिसका कोई भी दोस्त नहीं था, वह सोचता था कि मेरा भी कोई दोस्त बन जाए परंतु उसका कोई भी दोस्त नहीं था उसने सोचा कि जंगल की में जो गुरुजी है वह तो सभी के दुखों के निवारण कर देते हैं क्यों ना मैं अपना दुख भी उन्हीं को बता दूं जिससे मेरा एक दुख का भी निवारण हो जाए , और सच बात यह थी कि महात्मा जी जो थे वह सभी के दुखों का निवारण कर देते थे। भले किसी को उनकी बात अच्छी लगती थी किसी को बुरी लगती थी परंतु जो भी बोलते थे वह सभी के भले के लिए ही बोलते थे और सच ही बोलते थे। विशांत अगले ही दिन गुरुजी के पास जंगल में मिलने चल दिया उस समय गुरुजी ध्यान में थे। लगभग 4 घंटे बैठने के बाद अंकित को गुरु जी का दर्शन हुआ अंकित तुरंत उनके चरणों में गिर पड़ा और कहा गुरु जी मेरी एक समस्या है कृपया आप उसका निवारण कर दें गुरुजी ने देखा कि विशांत एक अच्छा स्वभाव का और शांत बच्चा है, इसलिए गुरुजी ने कहा कि बोल बेटा तेरी क्या समस्या है। विशांत ने गुरु जी से कहा कि गुरु जी मेरा कोई दोस्त नहीं है गांव में सभी के दोस्त हैं किसी के दोस्त स्कूलों में भरे पड़े हैं परंतु मेरा एक भी दोस्त नहीं है। तब गुरुजी ने कहा कि चल बेटा मैं आज तेरी अज्ञान की आंखें बंद कर ज्ञान की आंखें खोल देता हूं। गुरु जी ने उसे जीवन का पूरा पाठ पढ़ाया और कहा कि तू दोस्ती के बारे में जानना चाहता है तो सुन दोस्त भी नहीं होता है सच्चा दोस्त वही होता है जो हमारी मुश्किल समय में या फिर मुसीबत में अथवा दुखों में कम दे जाए यह नहीं कि जब सुख रहे तो काम दे और जब दुख आये तो छोड़कर हमें चला जाये। इसीलिए दोस्त किसी से कभी भी मत बनाना क्योंकि 100 दोस्त में से कहीं 24 दोस्त ही अच्छे होते हैं बाकी सब तो बस मतलब के दोस्त होते हैं इसलिए बेटा तुम कभी दोस्त ना बदलना और दोस्त तो मैंने तुम्हें पहले भी बताया है अभी बता रहा हूं कि अच्छे या फिर सच्चे वही होते हैं जो मुसीबत में काम आ जाए और भी कई सारी बातें गुरु जी ने विशांत को बताए, जिससे विशांत की ज्ञान की आंखें बंद होकर ज्ञान की आंखें खुल गई निशांत ने गुरु जी के चरणों में गिर पड़ा और बोला गुरु जी आप गुरु नहीं भगवान हैं आज से आप जो राह बताएंगे मैं उसी राह पर चलूंगा और फिर विशांत गुरु जी के चरणों में रहने लगा।


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