Manoj Gupta

Romance

4.0  

Manoj Gupta

Romance

प्यार

प्यार

4 mins
198


बरसात का दिन आ गया था। हर रोज पानी बरस रहा था। एक दिन धूप निकली मैं और मेरा दोस्त ऐसे मूड हुआ तो घूमने निकल पड़े, दोनों जा रही थी अभी 1 किलोमीटर दूर पर ही पहुंचे थे कि फिर से पानी शुरू हो गया, हमने सोचा कि अभी थोड़ा थोड़ा बरस रहा है छोटी-छोटी बूंदें गिर रही है अभी निकल जाएगा चलो घूमते हैं लेकिन यह क्या जैसे ही चार कदम और चला पानी तो इतना तेज हो गया कि जैसे 5 मिनट में ही एकदम भीग गए हो मैं और मेरे दोस्त ने सोचा कि यहीं ठहर जाते हैं नहीं तो भीगना तो तय है हम दोनों ने देखा कि एक घर है ताला मारा हुआ है लेकिन आगे में बरामदा है वहां कई महिलाएं औरत बैठे हुए थे हम दोनों भी वहां पर बैठ गए ताकि भीग ना सके, कुछ देर वहां हम लोग रुके रहे बातें करते रहे तभी मेरे दोस्त ने देखा की एक महिला और एक लड़की और उसके पिताजी भीगते हुए आ रहे हैं मेरे दोस्त ने मुझसे कहा तो मैंने भी देखा वह लड़की और उसके माता-पिता भी आकर उसी बरामदे में रुक गए, कुछ देर तो चुप रहे पर 10 मिनट बीतने के बाद उस लड़की ने मेरे तरफ देखा मैंने सोचा वह मेरे दोस्त संदीप के तरफ देख रही है लेकिन फिर 10 सेकंड ध्यान से देखने के बाद मुझे पता चला कि वह की जो है मेरी तरफ देख रहे हैं मैं भी उसकी तरफ देखता तो वह मुंह मोड़ लेती और जब वह मेरी तरफ देखती तो मैं मुंह मोड़ लेता ऐसे ही आधे घंटे देते गए फिर एक बार ऐसा हुआ कि मैंने उसकी तरफ देखा तो इस बार उसने मुंह नहीं मोड़ा बल्कि थोड़ा सा हंसी और उसने जब मेरी तरफ देखा है तो मैं भी थोड़ा सा मुस्कुराया इसके आगे हाथ मैं ही हिलाया इसलिए भी मुझसे हाथ हिलाकर बातें कि वह भी संकेतों द्वारा 1 घंटे बीत गए पानी भी नहीं निकल रहा था। मेरा दोस्त मेरी तरफ देख रहा था और कह रहा था की यह किसकी तरफ देख रहा है? लेकिन मैंने उसको ऐसे ही कुछ बातों में उलझा दिया ताकि उसका ध्यान मेरी तरफ ना रहे लेकिन वह भी मेरी तरफ देख रहा था कि उसको भी पता चल गया कि मैं किसकी तरफ देख रहा हूं वह जान गया कि मैं उस लड़की की तरफ देख रहा हूं मैं भी हंस रहा हूं वह भी हंस रही है फिर मैं थोड़ा उसके पास गया ज्यादा पास नहीं गया क्योंकि उसके माता-पिता बैठे थे

मैं और मेरा दोस्त थोड़ा सा उसके पास गए पर जैसे ही बातें करने को चाही कि पानी निकल गया, वह लड़की उसके माता पिता अपने घर की तरफ चल दिए मेरा दिल उस लड़की पर आ गया था इसलिए मैंने वहां पर कई सारी महिलाएं पुरुष बैठे थे उनसे उस लड़की और उनके माता-पिता के घर के बारे में पूछा तो उन लोगों ने मुझे बताया कि 1 किलोमीटर एक गांव है छोटा सा वहां पर यह लड़की और उनके माता-पिता रहते हैं मैं घर गया लेकिन मेरा मन घर नहीं लग रहा था। और उस लड़की से मुझे कब प्यार हो गया पता ही नहीं चला कहते हैं ना कि प्यार हो जाता है पता नहीं चलता पर कहते हैं ना किस समय ऐसा चीज है जो बिछड़े हुए को भी मिला देती है इस समय मैंने सुना कि गांव के बगल एक मेला लगने वाला है अगले दिन मेला लगा है और मैं और मेरा दोस्त दोनों मेले में घूमने निकले, लेकिन देखिए भाग हमारा कितना अच्छा गए हम दोनों मेले में मिल गए मैंने देखा तो आज झूला झूल रही थी मैंने झूले वाले को भी पाया अच्छी बात तो यह थी कि जहां पर वह लड़की बैठी थी उस सीट पर कोई नहीं बैठा था। मैं झूले में उस लड़की के पास बैठ गया पर जहां एक तरफ भाग ने हम दोनों को मिलाया वहीं दूसरी तरफ से हम दोनों को जुदा कर दिया जैसे ही झूला एक बार गया मैंने सोचा था कि अभी कुछ देर चलेगा हम दोनों बातें करेंगे अपने प्यार का इजहार करेंगे अपने दिल की बात उससे कहेंगे वह अपने दिल की बात मुझसे कहेगी कि तब तक झूला ही रुक गया और इधर उसके माता-पिता भी आ गए और कहे कि चलो अब घर चलना है एक बार फिर हम दोनों मिलकर भी ना मिल पाए कभी कभी प्यार में ऐसा ही होता है।


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