पहला प्यार
पहला प्यार
छुट्टियां होने वाली थी मई का महीना चल रहा था छुट्टी होने में बस 10 दिन और बाकी थे कि हमारे स्कूल में एक नई लड़की का दाखिला हुआ था चेहरा गोल था घुंघराले बाल थे चलती थी तो ऐसा लगता था कि जैसे घनघोर घटा में मोर नाच रहा है, कितनी प्यारी आवाज थी मन करता था उसकी सांसों में डूब जाऊं। पढ़ने में हम दोनों ही तेज थे वह लड़की चित्रकला में बहुत तेज थी तो मैं हिंदी में तेज था, यानी किसी चीज में वह तेज थी तो किसी चीज में मैं तेज था। धीरे-धीरे दिन बीत रहे थे हम दोनों की आपसी मेल भी बढ़ती जा रही थी। दिन में एक दो बार बातें भी कर लिया करते थे जैसे ही चार-पांच दिन बीते ऐसा लगने लगा कि जैसे वह ना आए तो मन ही नहीं लगता था। उससे बातें ना करो तो जैसे अकेला-अकेला पल महसूस होता था। दिन बीते कोई छुट्टियां होने में 2 दिन बचे थे इसी बीच में ही है इससे कब प्यार होगा कोई पता ही नहीं चला। वह भी मुझसे प्यार करने लगी थी यह मेरी जिंदगी का पहला प्यार था। आज तक मैंने ऐसी लड़की नहीं देखी थी और ना ही ज्यादा किसी से बातें किया था इधर छुट्टियां भी हो गई। अब घर पर मन नहीं लग रहा था उसके बिना बस यही सोचता रहता कि अगर स्कूल में होता तो उससे बातें करता उसके साथ टाइम बिताता लेकिन कहते हैं ना कि प्यार सब को नसीब नहीं होता शायद ऐसे ही हालात मेरी भी थी हो गई थी।