Manoj Gupta

Romance

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Manoj Gupta

Romance

बचपन का प्यार

बचपन का प्यार

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अमित अभी लगभग 10 साल का हुआ था। आज वह बहुत खुश था क्योंकि क्योंकि अगले हफ्ते उसके पढई के रिजल्ट आने वाले थे। वह कक्षा 5 में पढ़ता था। जब अगला हफ्ता आया तो वह बहुत ही अच्छे नंबर से पास हुआ है उसका पढ़ाई में बहुत ही ज्यादा मन लगता था। वह सुबह लगभग 2 घंटे और शाम को लगभग 2 घंटे तक रोज पढ़ता था। दिन में अगर टाइम मिल जाता तो दिन में भी पढ़ता रहता था।

धीरे-धीरे दिन बीत रहे थे और अमित की पढ़ाई में निखार आ रहा था। बस दो-चार दिनों में ही उनकी एक पड़ोसन भी आकर वहां बस गई और उसी गांव में अमित के घर के एकदम पास घर बनवा कर रहने लगी। उस पड़ोसन की एक बेटी भी थी जो लगभग 10 वर्ष की थी वह भी खूब पढ़ने जाती थी। उसके भी बहुत ही अच्छे नंबर आते थे और उसका भी पढ़ने में बहुत ही ज्यादा मन लगता था। उस बच्ची का नाम सुनीता था। कुछ दिनों के बाद अमित की स्कूल में अमित के ही क्लास में सुनीता नाम की बच्ची भी पढने लगी। अब तो कभी-कभी वह अमित के पास ही बैठती थी क्योंकि कभी-कभी सुनीता देर से आती थी जिसके कारण धीरे-धीरे दोनों में आपसी मेलजोल बढ़ने लगा।

समय बीतता गया दोनों लगभग 12 वर्ष हो गए और धीरे-धीरे दोनों बोलने चलने भी लगे और हंसने भी लगे बातें भी करने लग कुछ दिनों के बाद तो दोनों ज्यादातर साथ ही रहने लगे थे फिर समय ऐसे ही भेजता चला गया और दोनों 14 वर्ष के हो गए और फिर ऐसे हंसते बोलते बातें करते ही दोनों में कब प्यार हो गया इसका कोई पता ही नहीं चला। दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़े ज्यादातर स्कूल जाते थे अमित को भी सुनीता से प्यार हो गया था सुनीता को भी ऐसे धीरे-धीरे दोस्ती से प्यार होने लगा था लेकिन दोनों एक दूसरे से कभी भी इसके बारे में जिक्र नहीं करते थे। कभी भी इसके बारे में बताते नहीं थे उनका था कि सुनीता मुझसे कहे और सुनीता सोचती थी कि अमित मुझसे इसके बारे में बताएं तो ना ही अमित बताता था और ना ही सुनीता बताती थी धीरे-धीरे दोनों में आपसे मेलो लिखन ज्यादा बढ़ गया था कि दोनों एक दूसरे को देख कर हंसने भी लगे थे और एक दूसरे के पास ही बैठते थे कभी अमित सुनीता का हाथ पकड़े रहता था तो कभी सुनीता अमित कहार पकड़े रहती थी अब तो सुनीता के बिना अमित का मन ही नहीं लगता था और उनके बिना सुनीता का भी मन नहीं लगता था दोनों पिछले जन्म के बिछड़े हुए साथी थे लेकिन सुनीता से सच्चा प्यार करता था मतलब वाला प्यार नहीं करता था और सुनीता भी हमसे सच्चा प्यार करती थी।

समय बीतता गया और दोनों 15 वर्ष के लगभग हो गए इसी समय दुर्भाग्यवश सुनीता के पिताजी का तबादला हो गया वह एक पुलिसकर्मी मैं थी जिसके कारण सुनीता को गांव छोड़ना पड़ा वो स्कूल भी छूट ही गया और यह दोनों छोड़ जाने के साथ-सथ छोड़ना पड़ अमित का साथ भी टूट गया। जिस दिन सुनीता जा रही थी उस दिन अमित का मन नहीं लग रहा था उस दिन अपने ना ही खाना खाया हो नाही कुछ खाया लेकिन करता तो क्या करता है सुनीता तो दूसरे गांव चली गई थी अमित ने धीरे-धीरे अपने मन को वश में करना सीख लिया और फिर वह सुनीता के बारे में सोचना भी बंद कर दिया लेकिन जब भी वह कहीं भी अकेला होता तो अक्सर गुनगुनाया करता बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना। ऐसे ही दिन बीत गए हो सुनीता और अमित का साथ छूट गया लगभग 1 साल हो गए थे कि सौभाग्यवती ऊपर वाले की मर्जी थी जिसके कारण सुनीता के पिताजी जो पुलिसकर्मी भी थे उनका तबादला फिर से उसी गांव में हो गया जहां पर अमित रहता था अमित ने जब सुना कि सुनीता बिल्सी से गांव में आने वाली थी तो उसका खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा और भगवान को ढेर सारी शुभकामनाएं और धन्यवाद दिया कि हे भगवान तून मेरे प्यार मिला दिया है फिर से में यह तेरा एहसान जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगा फिर सुनीता और अमित धीरे-धीरे उतने ही करीबी में होते चले गए थे और फिर दोनों के बचपन का प्यार लौट आया था।


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