स्वप्न का डर
स्वप्न का डर
अंकित बहुत आलसी लड़का था। उसके आलस से तो सभी परेशान हो गए थे, वह कोई काम नहीं करता बस दिन भर खाता रहता था। उसके माता-पिता भी उसके इस काम से बहुत ही ज्यादा परेशान हो गए थे। कभी झगड़े से परेशान तो कभी सोने से परेशान कभी काम ना करने से परेशान तो कभी खाने से ही परेशान हो जाते थे। आज अंकित स्कूल गया वह कक्षा 7 में पढ़ता था। उसकी उम्र लगभग 16 साल की हो गई थी स्कूल में आज उसे बहुत अच्छी बातें बताई गई गुरु जी ने सभी को बताया कि हम लोगों को कभी आलस नहीं करना चाहिए क्योंकि आलस करने से हमें तरह-तरह की बीमारियां हो जाती है। अंकित ने मन ही मन सोचा कि अब तो मुझे आलस नहीं करना चाहिए फिर उसने दूसरे दिन से ही खेत खेत में काम करना और जहां भी मम्मी और पापा उसे काम करने को कहते तो वह कभी भी मना नहीं करता था। ऐसे ही समय बीतता गया और शुक्रवार का दिन आया इस दिन स्कूल में भी छुट्टी थी क्योंकि इस दिन दीपावली का दिन आया था। अंकित के पिताजी ने अंकित से कहा कि आज मेरे पैर में बहुत तेजी से दर्द है इसलिए मैं खेत नहीं जा पाऊंगा आज तुम थोड़ा ज्यादा गुड़ाई कर देना अंकित अपने पापा की बात मानकर चला गया आज उसने बहुत मेहनत कर दी उसने आज हद से भी ज्यादा मेहनत कर दी इसीलिए वह बहुत ही ज्यादा थका हुआ था। वह रात को आया खाना भी नहीं खाया हर रात को वह पढ़ता था। आज वह पढ़ा भी नहीं और लगभग 7:00 बजे रात को ही वह सो गया जब लगभग 11:00 बजे तब अंकित ने सपना देखा कि कि वह अगले दिन स्कूल जा रहा है और जैसे ही वापस पर बैठा कि उसका एक पैर फिसल गया जिसके कारण आ रही दूसरी वाहन की चपेट में अंकित आ गया और अपना एक पैर गवा बैठा सुबह जब अंकित की नींद खुली तो वह बहुत ही ज्यादा घबरा गया था। उसने जल्दी-जल्दी अपने हाथों पैरों को देखा कुछ देर सोचने के बाद उसे लगा कि वह सब उसने सपना देखा है फिर भी अंकित बहुत ही ज्यादा परेशान था। और उसके बहुत ही ज्यादा घबरा जाने के कारण उसको 100 डिग्री बुखार भी हो गया था। अब तो सब चौपट हो गया क्योंकि अंकित के माता पिता जी अंकित के बुखार से परेशान थे और अंकित अपने उस स्वप के डर से परेशान था। अंकित का बुखार बढ़ता ही जाता था। क्योंकि उसकी घबराहट भी तेजी से हो रही थी उसने अपनी यह बात किसी को भी नहीं बताया और उसने अपने माता-पिता से कहा कि आज मैं स्कूल भी नहीं जाऊंगा अंकित के माता-पिता ने कहा कि चलो मैं तुम्हें अच्छे डॉक्टर से के पास ले चलता हूं वहां पर दिखाकर तुम्हारी बुखार का दवाई ले आऊंगा लेकिन अंकित तो उस सपने से घबरा रहा था। उसे यह भी लगने लगा कि हो सकता है कि मैं दवाई लेने हॉस्पिटल जाऊं तू वह स्वप्न का बत स्कूल में जो होना था। हॉस्पिटल में ही ना हो जाए अब तो अंकित के पिताजी और भी परेशान हो गए क्योंकि अब तो अंकित हॉस्पिटल जाने को भी तैयार नहीं था। तभी अंकित की मां ने कहा कि मेरे पास एक उपाय है डॉक्टर को अपने घर ही बुला लेती हूं जिससे अंकित का बुखार ठीक हो जाए फिर क्या था। डॉक्टर को अंकित के घर बुलाया गया डॉक्टर ने दवाई दी और चले गए जाते-जाते अंकित से कहा कि एक-दो दिन में तुम्हारा बुखार हो सकता है एकदम से ठीक हो जाए अंकित तू घबराहट के मारे अपने बुखार की भी चिंता नहीं कर रहा था। क्योंकि बुखार भी तो अंकित की घबराहट से ही हुई थी अंकित को तो बस यही डर था। कि कहीं ऐसा ना हो कि कोई दूसरा काम आ जाए जिससे मुझे कहीं बाहर जाना पड़े और वही जो मैंने स्वप्न की बात स्कूल में जाते वक्त देखा वह उस समय ना घट जाए अंकित घबराते घबराते किसी तरह दवाई खाया और फिर सो ही गया अंकित इस बार सोया तो वह सीधे शाम को ही लगभग 5:00 बजे उठा जब वह उठा तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। कि आज वह कितनी देर सो गया वह भी दिन में अंकित की घबराहट अब भी थी परंतु अब कुछ कम हो गई थी क्योंकि स्वप्न का डर तो उसे अभी घबराहट की ओर ढकेले ले जा रहा था।