दो तोता
दो तोता
एक जंगल में दो तोते रहते थे एक का नाम दीनू और दूसरे का नाम मिट्ठू था दीनू के शरीर पर थोड़े बहुत काले काले तिल पत्ते पर गए थे और जो मिट्ठू तोता था वह बहुत ही सुंदर दिखता था मिठू तोता रोज दिनों का हंसी उड़ाता और कहता देखने कैसा है और तू कैसा है 1 दिन दोनों भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहे थे दिनों को भोजन मिल गया और वह पेड़ पर बैठा खा रहा था और मिट्ठू को भी भोजन मिल गया वह दूसरे पेड़ पर बैठा भोजन खा रहा था दोनों लगभग आधे किलोमीटर की दूरी पर थे तभी वहां से एक शिकारी गुजरा शिकारी नहीं है मिट्ठू तोता को देखा तो बहुत आश्चर्यचकित हो क्योंकि वह मिट्ठू तोता जो था बहुत ही सुंदर दिखता था।
शिकारी ने तुरंत ही तीर चला दिया लेकिन तीर मिट्ठू तोते के बाईं ओर से होते हुए पंख में टकराकर नीचे गिर गया मिट्ठू तोता बहुत ही ज्यादा घबरा गया इतना ज्यादा घबरा गया तू अपने आप को संभालना पाया और उड़ते हुए 1 घंटे में आकर गिरा उस गड्ढे में बहुत ही ज्यादा कचरा भरा हुआ था वह जितना ही सुंदर दिखता था उतना ही ज्यादा बदसूरत हो गया जब वह दीनू के पास पहुंचा तो दिनों में मिट्ठू को किसी तरह पहचान लिया दोनों ने सोचा कि भले ही मिट्ठू मेरा मजाक उड़ाता था परंतु जब मैं भी मिट्ठू का मजाक उड़ाने लगा तुम मेरे में और मिट्ठू में फर्क क्या रह जाएगा।
दीनू ने मिट्ठू से कहा मिट्ठू भाई मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं यह सब सुनकर मैं तो पानी पानी हो गया और कहा कि तेरा हमेशा मजाक उड़ाता था पर आज तूने मेरी मजाक ना उड़ा कर मेरी भलाई के बारे में सोचा मैं यह तेरा एहसान जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगा।