लेखन के क्षेत्र में मेरी यात्रा ...।
लेखन के क्षेत्र में मेरी यात्रा ...।
यूं तो हर कोई जब नया सफर शुरू करता है जो उसकी राहों में अनेकों तकलीफें आती है कुछ उसी तरह मैंने जब नये सफर की शुरुआत की मेरी राहों में भी अनेकों तकलीफें आई... कभी कभी तो मन बहुत हताश हो जाता है और सोचने लगता छोड़ दूं उस राह को पर कहते हैं न ईश्वर की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती ठीक वैसा हाल मेरा था।
मुझे पढ़ना पसंद था और मैं कुछ बनना चाहती थी घरवाले कहते थे कि तू कलेक्टर बन मैं टीचर बनना चाहती थी पर शायद मेरी किस्मत को मंजूर नहीं था मेरा कुछ बनना स्नाकोत्तर की डिग्री के बाद मेरी पढ़ाई छूट सी गई मैंने फॉर्म डाला पर पेपर नहीं दे पाई और फिर कुछ कारणों की वजह से मैं आगे नहीं पढ़ पाईं।
सब कहते तुझे क्यों नहीं पढ़ना है कुछ कर ले अभी तेरे पास वक्त है पर मैं सोचती थी शादी के बाद कोई जॉब कराना चाहेगा नहीं और फिर पढ़ाई का क्या ही मतलब ?
लेकिन एक बात ये भी थी अगर हम पढ़ लें तो शायद भविष्य मैं कैसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाए और तब शायद वो पढ़ाई काम आ जाए ।पर आपको तो पता है भविष्य की आखिर सोचता कौन है। खासकर मैं तो नहीं ।क्योंकि हमें आज का तो पता नहीं कब तक है फिर कल के बारे में क्या सोचना।
पर एक दिन अचानक मेरी तबियत खराब हो गई। और मेरी आवाज़ चली गई तब मैं बहुत शांत थी रहने लगी। और एक दिन मोबाइल पर मेरे टीचर का मैसेज आया। बेटा तुम ठीक हो। मैं उन्हें अपना बड़ा भाई मानती थी। इसलिए सब बात बता दिया करती थी तब मेरे टीचर ने मुझसे कहा बेटा याद रख हर कोई परफेक्ट नहीं होता। हर किसी के पास सबकुछ नहीं होता। फिर भी वो हंसी खुशी जिंदगी जीते हैं और तू उदास है।
सुन तू योरकोट एप डाउनलोड कर और उस पर अपने मन की बात लिखा कर पहले मैने उनकी बात नहीं मानी कि क्या लिखूंगी लेकिन एक दिन पता नहीं क्या हुआ मैंने योरकोट एप डाउनलोड किया और उसमें लिखना स्टार्ट किया आप विश्वास नहीं मानोगे आज उस एप पर 700 से अधिक क्योट है मेरे।
फिर मेरे टीचर ने फेसबुक के एक साहित्यिक ग्रुप साहित्य वसुधा का नाम बताया और वहां लिखने को बोला और मेरी पहली कविता ही साझा संग्रह में प्रकाशित हुई और धीरे धीरे में इस राह में आगे बढ़ी कुछ नहीं पता था ये रास्ता मुझे कहा ले जाएगा भी या नहीं।
पर मैं लिखती गयी बिना सोचे और फिर एक दिन मेरी मुलाकात मनोहर श्रीवास्तव सर से हुई उन्होंने मुझसे कहा अपनी कविताओं का कुछ अंश मुझे भेजो और मैंने भेजा उन्होंने मेरी कविताओं को बहुत सराहा और मेरी कविताओं को अतंरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित कराया और फरवरी 2022 में मेरा इंटरव्यू हुआ जो फरवरी की पत्रिका में भी प्रकाशित है और इस तरह धीरे धीरे मेरे सफर की शुरुआत हुई।
हालांकि घर में किसी को नहीं पता कि मैं लिखती भी थी पर धीरे धीरे उनको भी पता चला जब मेरी दूसरी कविता अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। पर घरवालों की आंखों में न कोई खुशी थी और न ही उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया ।बल्कि कहां इसमें क्या है हर कोई लिख सकता है।
और मैं बहुत निराश हुईं और अपनी सारी बात भाई को बताई फिर मेरे भाई ने बस मुझसे एक बात कही कि-
जरूरी नहीं हर कोई तेरे काम की प्रशंसा करें। पर तेरी मेहनत और काबिलीयत की एक दिन पूरी दुनिया प्रशंसा करें ऐसा काम कर। और दिखा तू उन्हें कुछ भी ऐसे ही नहीं लिखती। उस दिन देखना तेरे पापा और सभी घरवालों को फक्र होगा तुझ पर।
बस जब से मैंने लिखना नहीं छोड़ा लिखती गयी अपने जज्बातों को अपने विचारों को ।
और आज 200 से अधिक एंथोलॉजी में मेरी कविताएं प्रकाशित है अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के साथ अनेकों अखबारों साहित्यिक पत्रिका साझा संकलन में मेरी कविताएं प्रकाशित है और साथ ही मेरी 5 किताबें "मेरा सपना", "मां की विवशता", "लड़की आदिशक्ति का दूजा रूप", "खुला आसमां", "अनकहे लफ्ज़" प्रकाशित हुई है।
और यह सफर यूं ही आगे भी चलता रहेगा बस आपका साथ और प्यार यूं ही मिलता रहे।