मां के साथ खट्टी मीठी यादों की झलक...।
मां के साथ खट्टी मीठी यादों की झलक...।
वो फास्ट फूड को खाने से मां का मना करना और मां से मेरा जिद्द करना कि सब खाते हैं मां। आप ही इतनी गुस्सा करती हो। आप इतनी कठोर क्यों हो मां ? आप बस हरी सब्जियों को खाओ। पौष्टिक आहार लो। कसरत करो। सुबह जल्दी उठो बस यही माला जपती रहती हो।
क्या होगा अगर कभी कभी पिज्जा बर्गर का लिया तो मेरा बच्चा मैं कठोर नहीं हूं सब तेरी भलाई के लिए कहती हूं। शरीर के स्वस्थ रहने के लिए हरी सब्जियों को खाना जरूरी है ताकि शरीर स्वस्थ रहें और तू मानसिक और शारीरिक रूप से तंदुरुस्त।
अरे मां रोज रोज एक ही बात और सुबह सुबह क्या दूध लेकर आ जाती हो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं यह हटाओ इसे मां। बेटा तुम बच्चे भी न मोबाइल क्या आ गया हाथों में खुद को ज्यादा समझदार समझते हो और मां को जैसे कुछ समझते नहीं। मां हूं तुम्हारी भला बुरा सब जानती हूं इसलिए इतना कहती हूं। जब तुम मां बनोगी तब पता चलेगा अरे मां! फिर वही घिसी पिटी बातें ।मैं आपसे अच्छी मां बनकर दिखाऊंगी देख ले ना। हां हां देख लिया वो तो कितनी अच्छी मां बनेंगी तूं।
चल अब दूध पी सुबह सुबह से मोबाइल । थोड़ा साइड रख इसे और घर के काम सीख । और हां आज पालक की दाल बनाऊंगी आंखों के लिए फायदेमंद होती है जो तू इतना मोबाइल चलाती है न।
ओ हो मां की बातें और कड़वी दवाई दोनों एक ही है अच्छी ही नहीं लगती। मां.. हां हां हमारी बातें बेशक बेकार लगती है तुम्हें पर क्या समझो तुम फायदेमंद भी होती है समझी।अब बात कम बना और दूध पीकर जल्दी रसोई में आजा। थोड़ा मां का हाथ बंटाना सीख न जाने ससुराल में कैसे काम करेगी मेरी तो जरूर नाक कटाएगी। मां ... तुम भी न आजकल मोबाइल पर खाना बनाने की रेसिपी आती है वहां से देखकर बना लूंगी। ओ हो सच्ची यहां तो एक बार भी न बनाके दिखाई तूने।ओ हो मां अब मुझे बाहर खेलने जाने दो नहीं तो तुम्हारा भाषण कभी भी खत्म नहीं होने वाला।